कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने विदेश नीति को निजी बना दिया है, जो भ्रमित है और ध्यान एवं दिशा से भटकी हुई है। पार्टी ने अपने 84वें पूर्ण अधिवेशन के दौरान कहा कि मोदी की अपने पूर्ववर्तियों की उपेक्षा करने और आजादी के बाद से देश की उपलब्धियों को कमतर करने की प्रवृत्ति से विदेश में देश की विश्वसनीयता कम हुई है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने विदेशी नीति पर प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री अपने दुष्प्रचार के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पार्टी के पूर्ववर्तियों के प्रति असम्मान दिखाने के लिए मोदी की निंदा करते हुए कहा, "यह कांग्रेस पार्टी या इसके नेताओं का अपमान नहीं है बल्कि देश का अपमान है।"प्रस्ताव के मुताबिक, "विदेश नीति में निरंतरता होनी चाहिए और इसे व्यापक राष्ट्रीय समर्थन मिलना चाहिए। दुर्भाग्यवश, भाजपा सरकार ने इसे बाधित कर दिया है।"
प्रस्ताव के मुताबिक, "सरकार का दुष्प्रचार उस पर ही भारी पड़ा है, जिस वजह से भारत के कई प्रमुख साझेदारों से संबंध बिगड़े हैं। सरकार की विदेश नीति भ्रमित और दिशा एवं ध्यान से भटकी हुई है।"उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री एक तरह की निजी विदेश नीति अपना रहे हैं।"प्रस्ताव के मुताबिक, "असहयोग आंदोलन में भारत की ऐतिहासिक भूमिका को नकारना और विदेश नीति में हमारी पूर्व उपलब्धियों को निरंतर खारिज करने से भारत-अफ्रीका फोरम सम्मेलन और बांडुंग सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ में नेहरू के योगदान की सराहना कर रहे विदेशी नेताओं के समक्ष अजीब सी स्थिति पैदा हुई है।""खेदजनक है कि सरकारी अधिकारियों के संबोधन से नेहरू के नाम और उनके योगदान को हटा दिया गया है।""आज विश्व अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में समग्र बदलाव से गुजर रहा है। यह अनिश्चितता और अप्रत्याशित बदलाव का दौर है। इससे हमारी विदेश नीति के समक्ष जटिल चुनौतियां खड़ी हुई है। तेजी से बदल रहे अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य के लिए सोच समझ कर तैयार की गई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जरूरी है।"