Wednesday, 22 May 2024

 

 

खास खबरें बिट्टू द्वारा सीबीआई धमकी पर वड़िंग बोले - भाजपा उम्मीदवार पहले से ही हताश और पराजित महसूस कर रहे हैं मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फिरोजपुर से 'आप' उम्मीदवार जगदीप सिंह काका बराड़ के लिए किया प्रचार श्री आनंदपुर साहिब में पर्यटन की अपार संभावनाएं : विजय इंदर सिंगला मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरमीत खुड्डियां के लिए किया चुनाव प्रचार हम बांटने की नहीं जोड़ने की राजनीति कर रहे हैं: मीत हेयर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सुनाई किकली-2, किकली कलीर दी बुरी हालत सुखबीर दी शिरोमणी अकाली दल सत्ता में आने पर राजस्थान और हरियाणा के साथ सभी जल बंटवारा समझौते को रदद कर देगा : सुखबीर सिंह बादल अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने लुधियाना में भाजपा और आप पर साधा निशाना; पंजाब के लिए असली समाधान का वादा किया एलन चंडीगढ़ के छात्रों ने जूनियर साइंस ओलंपियाड 2024 में रचा इतिहास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से करतारपुर कॉरिडोर खुला जोकि कांग्रेस की गलती के कारण बंद था : पूर्व गृह मंत्री अनिल विज तपती दोपहर में गुरजीत सिंह औजला ने की दुकानदारों से मुलाकात आप सरकार ने कर्मचारियों की बकाया राशी और 12% डीए का नहीं किया भुगतान - गुरजीत औजला कंग और सिंगला बताएं राहुल और केजरीवाल दोस्त हैं की दुश्मन : डॉ.सुभाष शर्मा गुजरात के विधायक ने मोहाली में बीजेपी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया सुनील जाखड़ द्वारा यादविंदर सिंह बुट्टर प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त हरियाणा में प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की जा रही सख्त कार्रवाई बिकाऊ पूर्व विधायक लखनपाल की जुबान मीठी, दिल काला : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भारत की संगीत विरासत को दुनिया के मंच पर ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार : डेविड अंगु किसानों को देख गाड़ी से उतरे पूर्व गृह मंत्री अनिल विज आप ने बठिंडा में शिरोमणि अकाली दल और फिरोजपुर में भाजपा को दिया बड़ा झटका सी जी सी झंजेडी कैंपस और अमेरिकी यूनिवर्सिटी के साथ रणनीतिक शिक्षा साझेदारी

 

त्रिपुरा चुनाव : माकपा को काम, तो भाजपा को आक्रामक रणनीति पर भरोसा

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

नई दिल्ली , 15 Feb 2018

विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच पर्वतीय प्रदेश त्रिपुरा की फिजा बदल गई है। केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्वोत्तर में अपने पैर पसारने के मकसद से त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। इस कारण करीब दो दशकों से प्रदेश की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री माणिक सरकार को कड़ी चुनौती मिल रही है। त्रिपुरा की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले लोगों को भी लगता है कि इस बार चुनाव के नतीजे कुछ अप्रत्याशित हो सकते हैं। त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र की प्रोफेसर चंद्रिका बसु मजूमदार कहती हैं कि सत्तासीन वामपंथी दल, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पकड़ मजबूत है। करीब दो दशक से प्रदेश की सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री माणिक सरकार स्वच्छ व ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं, लेकिन भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग पिछले कुछ समय से जिस प्रकार से जमीनी स्तर पर चुनाव प्रचार में जुटे हैं, उससे माकपा को नुकसान पहुंच सकता है। चंद्रिका ने आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा, "मौजूदा सरकार के प्रति लोगों के भरोसे में प्रत्यक्ष रूप से तो कोई कमी नहीं दिख रही है, लेकिन लोकलुभावन वादे-इरादे चुनाव के ऐसे पहलू होते हैं जो नतीजों को प्रभावित करते हैं।"

भाजपा ने त्रिपुरा में युवाओं के लिए मुफ्त स्मार्टफोन, महिलाओं के लिए मुफ्त में ग्रेजुएशन तक की शिक्षा, रोजगार, कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने जैसे वादे अपने चुनाव घोषणापत्र, 'त्रिपुरा के लिए विजन डॉक्यूमेंट' में किए हैं। चंद्रिका ने कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र से सभी वर्गो के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है, लेकिन इससे उतना फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि प्रदेश सरकार ने भी कई काम किए हैं और उनके भी अपने वादे हैं। सबसे अहम बात जो भाजपा के पक्ष में जाती है, वह उसकी आक्रामक रणनीति है। भाजपा ने अपनी रणनीति से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इस चुनाव में हाशिये पर ला दिया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव 2013 में 36 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि भाजपा को महज डेढ़ फीसदी। लेकिन भाजपा ही इस चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को टक्कर दे रही है। यह चौंकाने वाला तथ्य है। इसका श्रेय भाजपा की मजबूत रणनीति को जाता है जिसके जरिए वह पूर्वोत्तर को फतह करना चाहती है। भाजपा ने कांग्रेस के तमाम प्रमुख नेताओं को तोड़कर अपने साथ मिला लिया है, जिससे कांग्रेस एक तरह से मुख्य स्पर्धा से बाहर हो चुकी है।" 

हालांकि उनका कहना है कि कांग्रेस का पूरा वोट भाजपा को नहीं मिलेगा लेकिन आधे से अधिक पर कब्जा जरूर होगा। मजूमदार ने कहा, "चुनाव दिलचस्प हो गया है। कोई भी पोल पंडित मतदाताओं के मिजाज का सही आकलन नहीं कर पा रहा है। लेकिन जिस पार्टी को पिछले चुनाव में करीब पचास फीसदी वोट मिला हो और उसके प्रति जनता में असंतोष की कोई ऐसी लहर भी न तो फिर उसको सत्ता से बाहर करना आसान नहीं होगा।" हालांकि विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग में ही एसोसिएट प्रोफेसर गौतम चकमा का मानना है कि इस चुनाव में त्रिपुरा में दो दलों के बीच स्पर्धा है और वाम दल ढाई दशक से सत्ता में, जबकि भाजपा तेजी से पूर्वोत्तर में सक्रियता के साथ अपनी पैठ बना रही है। भाजपा के पास विकास का मुद्दा काफी दमदार है। मतदाताओं में आकर्षण पैदा करने में विकास और व्यवस्था के मुद्दे ज्यादा होते हैं।उन्होंने फोन पर बातचीत में आईएएनएस से कहा, "पूर्वोत्तर के राज्यों में त्रिपुरा अपेक्षाकृत शांत प्रदेश रहा है, लेकिन पिछले दिनों यहां जो दुष्कर्म व हत्या की घटनाओं से कानून-व्यवस्था को लेकर लोगों में असंतोष है, जिससे वे व्यवस्था परिवर्तन के लिए वोट डाल सकते हैं। इसके अलावा भाजपा ने इनसे विकास का वादा किया है।"

चकमा ने बताया कि भाजपा कह रही है कि केंद्र की योजनाओं के लिए जो पैसे दिए जाते हैं, प्रदेश सरकार ठीक ढंग से खर्च नहीं करती है। इससे लोगों में एक विश्वास पैदा होगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से यहां ज्यादा विकास होगा। उन्होंने कहा, "प्रदेश में उद्योग का अभाव है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार युवाओं की एक बड़ी फौज है। भाजपा ने लोगों को नौकरियां देने का वादा किया है।" चकमा ने कहा कि त्रिपुरा में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी है और आदिवासी संगठन आईपीएफटी भाजपा के साथ है, जिसका उसे फायदा मिल सकता है। प्रोफेसर चकमा हालांकि यह भी मानते हैं कि वाम दल के गढ़ में सेंध लगाना आसान नहीं है, लेकिन इस बार राजनीतिक फिजा कुछ बदली हुई है, इसलिए अप्रत्याशित नतीजे आ सकते हैं। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद भाजपा की नजर फिलहाल त्रिपुरा है और संघ कार्यकताओं के साथ भाजपा सभी बड़े नेता व मंत्री इस समय वहां डेरा डाले हुए हैं। 

करीब 37 लाख की आबादी वाले इस प्रदेश में मतदाताओं की संख्या तकरीबन 25 हैं। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ माकपा को 48.11 फीसदी मतों के साथ 49 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस 36.53 फीसदी मतों के साथ 10 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर थी। एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के खाते में गई थी। भाजपा और इस चुनाव में उसकी प्रबल सहयोगी इंडिजीनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) को क्रमश: 1.57 फीसदी और 0.46 फीसदी मत मिले थे और दोनों को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इस बार, कुल 297 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनमें भाजपा के उम्मीदवार 51 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं तो आईपीएफटी ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार 59 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं वाम मोर्चा ने भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान अंतिम दौर में है। प्रदेश के 60 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए 18 फरवरी को मतदान होगा और मतों की गिनती तीन मार्च को होगी।

 

Tags: Election Special

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD