वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू ने प्राचीन काल के दौरान राज्य में प्रचलित सिक्कों के माध्यम से ‘राज्य की मुद्रा विरासत’ को दर्शाते हुए संस्कृति विभाग के वार्षिक विरासत कैलेंडर -2018 का अनावरण किया।संस्कृति राज्य मंत्री प्रिया सेठी, आयुक्त सचिव संस्कृति दिलशाद खान, निदेशक अभिलेखागार पुरातत्व एवं संग्रहालय मोहम्मद शफी जाहिद इस अवसर पर उपस्थित थे।इस अवसर पर बोलते हुए डॉ द्राबू ने कहा कि अभिलेखागार पुरातत्व और संग्रहालय के निदेशालय के विरासत कैलेंडर ने राज्य की अनूठी और समृद्ध मुद्रा को दिखाया है जो 350-150 बीसी से डोगरा राज के सिक्कों तक है। उन्होंने कहा कि इन तांबा, चांदी और सोने के सिक्कों को विभाग के राज्य संग्रहालय में भी प्रदर्शित किया गया है। मंत्री ने कहा कि कैलेंडर के विभिन्न पन्नों पर सिक्कों के विवरणों के माध्यम से राज्य के विभिन्न कालों में सिक्कों के कालानुक्रमिक इतिहास का पूरा ज्ञान हो सकता है।डॉ द्राबू ने कहा, ‘विरासत कैलेंडर के लिए सिक्कों पर विशय का उद्देश्य खासकर छात्रों के लिए पूर्व अतीत युग से हाल तक राज्य के सिक्कों के प्रति भावना पैदा करना है।’’यह कैलेंडर एक ऐसा मंच है जो न केवल नागरिकों को हमारे समृद्ध विरासत से परिचित करता है बल्कि उनको उनकी विरासत के संरक्षण की भावना भी पैदा करता है। विरासत कैलेंडर की प्रमुख विशेषताएं पंच-मार्का सिक्कें (350-150 ईसा पूर्व), भारत -यूनानी सिक्के (92-93 बी.सी.), इंडो-सिथियन सिक्कें (57-35 ईसा पूर्व), कुशान सिक्के (100 -120 एडी), हुन सिक्कें (400-500 ईस्वी), हिंदू सिक्कें (700-800 ईस्वी), सुल्तान सिक्कें (1420-1470), मुगल सिक्कें (1606-27), दुरानी सिक्कें (1747-72), सिख सिक्कंे (1799-1839 ईस्वी) और डोगरा सिक्कें (1842-1850) है।