Tuesday, 14 May 2024

 

 

खास खबरें अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब बचाओ यात्रा का समापन श्री केशगढ़ साहिब में किया पंजाब भयंकर कर्जे की चपेट में, गर्दन तक कर्ज में डूबा हुआ है : विजय इंदर सिंगला कांग्रेस सरकार किसानों का कर्ज माफ करेगी; एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करेगी वीरभूमि से हूं, खनन माफिया के सामने नहीं डालूंगा हथियार : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू चंडीगढ़ के वार्ड 8 से नगर निगम चुनाव लड़े अमरीक सिंह सैनी आम आदमी पार्टी में हुए शामिल अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बन चुका है,अब मथुरा की बारी है-पुष्कर सिंह धामी संगरूर और फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को मिली बड़ी मजबूती श्री आनंदपुर साहिब से भाजपा प्रत्याशी डा. सुभाष शर्मा ने भरा नामांकन नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले मनीष तिवारी की पदयात्रा में हजारों कांग्रेसी, आप,सपा वर्कर हुए शामिल धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाली बीजेपी को हटा कांग्रेस को विजेता बनाएं-गुरजीत औजला मीत हेयर ने मालेरकोटला में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया राजा वड़िंग ने दाखा में चुनाव प्रचार किया, पंजाब के लिए कांग्रेस के 'पांच न्यायों' की वकालत की सीजीसी लांडरां की एनसीसी कैडेट एसयूओ महिमा को मिला बेस्ट कैडेट अवार्ड 6000 रुपए की रिश्वत लेता ए. एस. आई विजीलैंस ब्यूरो द्वारा काबू शहरी मंत्री रहते भू माफिया बने पूर्व विधायकः सीएम सुखविन्दर सिंह सुक्खू मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने साइक्लिंग एक्सपीडिशन को रवाना किया एलपीयू द्वारा15वां अचीवर्स अवार्ड समारोह आयोजित: विद्यार्थियों को किया एक करोड़ रुपये के नकद पुरस्कारों से सम्मानित मोहकमपुरा से आम आदमी अध्यक्ष कांग्रेस में शामिल सैयामी खेर का कहना है, मुझे ऐसी भूमिकाएं करना पसंद है जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से थका देने वाली हो, एक अभिनेता के रूप में यह फायदेमंद है यह चुनाव भारत के भविष्य का चुनाव है और नरेंद्र मोदी सारे देश को आगे ले जाना चाहते हैं : पूर्व गृह मंत्री अनिल विज केस में से नाम निकालने के बदले 10,000 रुपए रिश्वत लेता ए. एस. आई. विजीलैंस ब्यूरो द्वारा काबू

 

कश्मीर : सर्दियों में अब नहीं मिलते किस्सागो

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

श्रीनगर , 09 Jan 2018

कश्मीर के हाथ से जैसे उसकी एक विरासत फिसलती जा रही है। हड्डियों को जमा देने वाली ठंड में घाटी के बच्चों को खासकर यह गर्म रखा करती थी। ये वे कहानियां थीं, जो बच्चों को सुनाई जाती थीं। सर्द रातें जितनी लंबी और स्याह होती जाती थीं, उतनी ही इन कहानियों का रहस्य पैना होता जाता था। लेकिन, अब यह गुजरे जमाने की बात होती जा रही है।हाड़ को कंपा देने वाली ठंड में बड़े-बुजुर्ग, माएं सुनाती थीं बर्फीले आदमी की कहानी, उन चुड़ैलों की कहानियां जो बच्चों को उठा ले जाती हैं, शैतानों से लड़ते राजकुमारों की कहानियां और फिरदौसी की दसवीं सदी के ईरानी पहलवान रुस्तम और उसके बेटे सोहराब की कहानी..अब कश्मीरी इन सभी की कमी महसूस कर रहे हैं।टेलीविजन और थिएटर से आज के समय में मिलने वाला मनोरंजन शायद कभी भी पूरी तरह से उस कला की जगह न ले सके, जो बिस्तर पर सुनाई जाने वाली कहानियों की शक्ल में कश्मीरियों को सदियों तक बहलाती रहीं।बात छिड़ते ही हबीबुल्ला (78) को एकदम से अपना बचपन याद आ गया। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "नानी-दादी जब उन चुड़ैलों की कहानी सुनाती थीं, जो जाड़े के मौसम में बच्चों को उठा ले जाती हैं और पहाड़ों की गुफाओं में बंद कर देती हैं, तो फिर शायद ही कोई बच्चा ऐसा होता था जो अंधेरी रात में निकलने की हिम्मत जुटा सके।"

हबीबुल्ला ने कहा कि तब जिंदगी में सहूलियतें आज के मुकाबले कम थीं, लेकिन सुकून ज्यादा था। उन्होंने कहा, "जब मैं छोटा था, उस वक्त घाटी के किसी गांव में बिजली नहीं थी। मां लकड़ी से चूल्हा जलाती थी और हम उसकी गर्मी में अपनी मां के साथ बैठ जाते थे। कोई दिया, डिबरी या लालटेन ही रोशनी का सहारा हुआ करती थी। अधिकांश घरों में माएं और नानी-दादियां एक से बढ़कर एक किस्से सुनाती थीं कि कैसे राक्षसों से लड़कर किसी राजकुमार ने राजकुमारी को रिझाया था।"हबीबुल्ला ने कश्मीर की उस परंपरा को भी याद किया जब चिल्ला कलां (21 दिसंबर से शुरू होने वाले सबसे भीषण जाड़ों वाले 40 दिन) में कहानियां सुनाने वाले गांवों में आया करते थे।उन्होंने कहा, "इन कहानियों को सुनाने वालों का आना अपने आप में एक बड़ी बात हुआ करती थी। आमतौर से गांव का सबसे संपन्न परिवार इनकी मेजबानी करता था।"हबीबुल्ला ने बताया, "रात के खाने के बाद, करीब-करीब पूरा गांव ही किस्सा सुनाने वाले के मेजबान के घर इकट्ठा हो जाता था। सभी लोगों को कहवा पिलाया जाता था। वह पहले एक छोटी कहानी से शुरू करता, कि कैसे एक राजकुमार लकड़ी के घोड़े पर बैठकर दूर राक्षस की गुफा से राजकुमारी को छुड़ाता है।"उन्होंने कहा, "उसके बाद वह फिरदौसी के फारसी में लिखे महाकाव्य शाहनामा से रुस्तम और उसके बेटे सोहराब की दर्द भरी कहानी सुनाता था।"ये कहानियां हबीबुल्ला ने करीब सत्तर साल पहले सुनी थीं। उन्हें आज भी यह सब याद हैं। उन्होंने कहा कि बात सिर्फ मनोरंजन की नहीं होती थी, कहानियों से नैतिक सीख भी मिलती थी कि क्या सही है और क्या गलत।

उन्होंने बताया कि कहानियां सुनाने वाला अपने कटे-फटे थैले में कहानियों की किताबें रखे रहता था। अगर सुनने वालों में से कोई कहानी की प्रमाणिकता पर सवाल उठाता था, तो वह झट से इन किताबों को पेश र देता था।कश्मीर की पुरानी पीढ़ी के लोग अपने वक्त को नहीं भूल पाते। उनका कहना है कि आज का वक्त अपनी तमाम सुविधाओं के बावजूद अतीत की मासूमियत का मुकाबला नहीं कर सकता।हबीबुल्ला ने बताया कि तब बर्फ भी ज्यादा पड़ती थी। सभी रास्ते बंद हो जाते थे। गांव कई महीनों तक अलग-थलग पड़ जाते थे। गांव ही दुनिया हो जाता था। लेकिन, हम पहले से इंतजाम रखते थे। इन हालात में हम आत्मनिर्भर रहते थे। आज कुछ भी कम पड़े, तो बाजार से ही मिलता है। तब जिंदगी में सुकून था। किसी को नींद नहीं आने या डिप्रेशन की बीमारी नहीं होती थी। हरी घास पर वो नींद आती थी, जो आज मखमल के बिस्तर पर नहीं आती।हबीबुल्ला उन तमाम कश्मीरियों में से एक हैं जिनका मानना है कि अपने अतीत से ताल्लुक तोड़ने से एक खुशहाल जिंदगी नहीं मिला करती।

MIX JK, KHAS KHABAR

 

Tags: MIX JK , KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD