सरकार ने संसद को शुक्रवार को सूचित किया कि उसकी कॉरपोरेट कर्ज को माफ करने (वेव आफ) की कोई योजना नहीं है और बैंकों को यह सलाह दी गई है कि फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की वसूली या तनावग्रस्त परिसंपत्तियों का मुद्दा सुलझाने के लिए दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर मुद्दे का जल्द समाधान करें। लोकसभा में एक लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने यह भी कहा कि सितम्बर के अंत तक बैंकों का तनावग्रस्त उधार अनुपात इस साल जून के अंत के 12.1 फीसदी की तुलना में 11.75 फीसदी गिर गया है। उन्होंने कहा, "कॉरपोरेट कर्ज को माफ करने (वेवर) के लिए कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।"नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आंकड़ों के हवाले से शुक्ला ने कहा कि नवंबर के अंत तक 2,434 नए मामले दर्ज किए गए हैं और विभिन्न उच्च न्यायालयों से कंपनियों के 2,304 मामले सुलझाने के लिए स्थानांतरित किए गए हैं, जब से साल 2016 में दिवाला और दिवालियापन संहिता लागू हुई है। इनमें से 2,750 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जबकि नवंबर के अंत तक कुल 1,988 मामले लंबित थे। शुक्ला ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 खातों (बड़े कर्जदारों) की पहचान की है, जिसके पास बैंकों के कुल फंसे हुए कर्ज (एनपीए) का 25 फीसदी बकाया है। इन मामलों को दिवाला और दिवालापन संहिता के तहत भेजा गया है, जिसके तहत निश्चित समय सीमा में मामला सुलझाया जाएगा।