नोटंबदी के एक साल पूरे होने पर मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों में सभी प्रमुख विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों, किसान समूहों, मीडियाकर्मियों, गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं और लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को लिए गए इस फैसले की सराहना करते हुए विज्ञापनों की झड़ी लगा दी। राज्य के अंदर विभिन्न प्रकार से इस फैसले का विरोध किया गया। जिसमें जुलूस, अंत्येष्टि, बरसी स्मारक प्रार्थना, 500 और 1000 रुपये के नोटों का श्राद्ध, मानव श्रंखला, संदेश, गीत, कार्टून शामिल हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर नोटबंदी पर तंज कसते हुए चुटकुले भी देखने को मिले। मुंबई, नागपुर, पुणे, औरंगाबाद, नासिक, सांगली, कोल्हापुर और अन्य प्रमुख शहरों में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, वामपंथी, समाजवादी दलों, किसान संगठनों और यहां तक कि सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जुलूस का आयोजन किया। जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।मुंबई के आजाद मैदान में कांग्रेस और राकांपा ने साल भर पहले 500 और 1,000 रुपये के नोटों की 'मौत' पर शोक सभा की।
अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, संजय निरूपम, राधाकृष्ण विखे-पाटील समेत कांग्रेस के अन्य नेताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले ने 'अर्थव्यवस्था को कगार पर' पहुंचा दिया है। वहीं भाजपा ने राजग में सहयोगियों के अलावा अपने केंद्रीय मंत्रियों और अन्य शीर्ष नेताओं को नोटबंदी के फैसले को सही साबित करने के लिए तैनात किया था। केंद्रीय नौवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में इस कदम की प्रशंसा की और दावा किया कि नोटबंदी से प्रभावित लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं। इसके साथ ही केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को 'व्हाइट मनी डे' नामक एक समारोह का आयोजन किया और पिछले साल मोदी के इस 'साहसपूर्ण कदम' को लागू करने की सराहना की।इसके अलावा सरकार ने बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान भी शुरू किया, जिसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में नोटबंदी के लाभ पर चर्चा की गई। नोटबंदी के फायदे गिनाने के लिए विशेष रूप से वेबपेज बनाए गए हैं और लघु फिल्म और वृत्तचित्र पोस्ट किए गए हैं।