Saturday, 25 March 2023

 

 

खास खबरें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बल्लाँ में गुरू रविदास वाणी अध्ययन केंद्र का नींव पत्थर रखा सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संजौली महाविद्यालय में अधोसंरचना निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपए प्रदान करने की घोषणा की ‘‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’’ शनिवार को 28वां दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के जन्मदिवस पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने दी बधाई सरकार ने सभी सुझाव सुने, अब एक्शन से लाएगी परिणाम : बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी नंबरदार यूनियन द्वारा माँगों सम्बन्धी विधान सभा स्पीकर के साथ बैठक मंडी बोर्ड के चेयरमैन द्वारा आढतियों के साथ मीटिंग पहला वनडे: हेनरी शिप्ले का पंजा, न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को 198 रन से रौंदा भारत हर एक व्यक्ति के प्रयासों से 'विकसित' टैग हासिल करेगा : नरेंद्र मोदी डब्लूपीएल 2023: इसी वोंग ने अपनी हैट्रिक पर कहा: मैं अपनी लय को ढूंढने और योजना को निष्पादित करने की कोशिश कर रही थी मेरे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है: श्रद्धा कपूर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने नितिन गडकरी से कटक-संबलपुर एनएच को जल्द पूरा करने का किया आग्रह पीएम नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में बहुप्रतीक्षित व्हाइटफील्ड मेट्रो लाइन का किया उद्घाटन इराक में हवाई हमले में आईएस के तीन आतंकी मारे गए जम्मू-श्रीनगर रेल लिंक साल के अंत तक खुल जाएगा : अश्विनी वैष्णव सदस्यता जाने से फर्क नहीं पड़ता, अपना काम करता रहूंगा : राहुल गांधी यूरो 2024 क्वालीफायर्स : फ्ऱांस ने हॉलैंड को हराया, बेल्जियम भी जीता तीन महीने में ट्विटर की पेड ब्लू सर्विस ने सिर्फ 11 मिलियन डॉलर की कमाई की पहला टी 20: अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत गर्भावस्था के दौरान कोविड, नवजात लड़के में पैदा कर सकता है मस्तिष्क विकार : रिपोर्ट मियामी ओपन: अल्काराज तीसरे दौर में

 

'जीएसटी के कारण लाखों बुनकर असहाय'

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

नई दिल्ली , 09 Oct 2017

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी ) ने देश के लाखों गरीब शिल्पकारों और कारीगरों को तगड़ा झटका दिया है। इसके कारण उन्हें जीवनयापन और पारंपरिक शिल्प को जिंदा रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जीएसटी ने उन्हें मशीन से बने उत्पाद के खिलाफ एक असमान जंग में धकेल दिया है। ऐसा कहना है शिल्पकारों के लिए काम करने वाली लैला तैयबजी का। तैयबजी ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया,"जीएसटी के कारण आज बुनकरों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। हाथ से बने उत्पाद पिछले कई सालों से कर मुक्त थे और भारतीय नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।"

तैयबजी का संगठन 'दस्तकार' शिल्पकारों के साथ मिलकर पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने और उसे पुनर्जीवित करने के लिए काम करता है और हाल ही में उनके संगठन ने देश भर से पारंपरिक साड़ियों की विशेषता वाला 'ग्रैंड साड़ी मेला' आयोजित किया था।उन्होंने कहा कि उनमें से ज्यादातर हाशिए पर मौजूद समुदायों से आते हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "उन्हें लगातार पिछली सरकारों से प्रोत्साहन मिला। महात्मा गांधी अक्सर कहते थे कि कुटीर उद्योग और बुनकरों का शिल्प भारत की संस्कृति, समाज और अर्थशास्त्र का हिस्सा हैं।"तैयबजी ने कहा, "अब वे कर लगाए जा रहे हैं, जो हमारे लिए पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। जीएसटी एक जटिल संरचना है, जो इसकी (शिल्प वस्तु) सामग्री और जिन साधनों से इसे बनाया गया है, उसे नहीं देख रहा है। जबकि पहले.. हैंडलूम और हाथ से बनाई गई वस्तु पर कोई कर नहीं होता था।"उन्होंने कहा, "अब, लोग इसे एक उत्पाद के रूप में देख रहे हैं। मशीन-निर्मित परिधान हस्तनिर्मित परिधान के साथ समान दर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे, भले ही मशीन-निर्मित चीजों में कंपनी और विज्ञापन के सभी समर्थन हों। जबकि छोटे शिल्पकार कुछ गांव में काम करते हैं, जिनके पास निश्चित रूप से उस तरह का बुनियादी ढांचा नहीं है।" 

तैयबजी ने कहा, "यह एक बहुत ही मुश्किल समय है।"दस्तकार हर महीने विषयगत प्रदर्शनियों का आयोजन करता है। 

अगली प्रदर्शनी 'फेस्टिवल ऑफ लाइट्स' है, जो दिवाली से संबंधित हस्त निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी है। यह पांच अक्टूबर को शुरू हुई और 16 अक्टूबर को समाप्त होगी।तैयबजी ने कहा कि भारत में कई कौशल हैं, न कि सिर्फ शिल्प, लेकिन देश इनका प्रचार करने के बजाए, पश्चिम की औद्योगिक क्रांति को दोहराने की कोशिश कर रहा है।उन्होंने कहा, "हर क्षेत्र में कुछ करने की अपनी विशिष्ट शैली है। ऐसा कुछ, जो दुनिया के किसी दूसरे देश में नहीं है।"तैयबजी ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय डिजाइनर, निर्यात घर या ब्रांड के खरीदार भारत में नहीं आ रहे हैं, क्योंकि हम नाइक्स बना रहे हैं.. वे कौशल के लिए आ रहे हैं। वे आ रहे हैं, क्योंकि वे अपने देश में शिल्प खो चुके हैं। हमारे पास सौ से ज्यादा अलग-अलग कौशल हैं, लेकिन उनके पास नहीं हैं।" उन्होंने बताया, "चीन हमारे शिल्पकारों को अपने लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए लेता है। उन्हें लगता है कि यहां हमारे पास कुछ असाधारण है।"उन्होंने कहा कि हम कई देशों की तुलना में भाग्यशाली हैं, क्योंकि हमारे पास कपड़े का एक अलग मंत्रालय है। लेकिन सरकार एक नौकरशाही और जटिल तरीके से काम कर रही है।तैयबजी ने कहा, "हालांकि कारीगरों के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं, जिनका मार्गदर्शन करना आसान नहीं हैं। बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें शिल्प क्षेत्र में निवेश करना होगा जैसा हम आर्थिक गतिविधियों के किसी अन्य क्षेत्र में करते हैं।"तैयबजी, शिल्प क्षेत्र में अपने लंबे और प्रेरक योगदान के लिए जानी जाती हैं, जो दस्तकार की सह-संस्थापक और अब अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, "हम समुद्र में सिर्फ एक बूंद हैं। दस्तकार लगभग 100,000 लोगों के साथ काम करती है, लेकिन यहां लगभग 1.5 करोड़ से भी ज्यादा कारीगर हैं। हम केवल एक मॉडल हो सकते हैं और क्या कर सकते हैं। अगर सरकार, डिजाइनर, उद्यमी भी इस तरह काम करें तो हम इन कारीगरों के जीवन को बदल सकते हैं।"

 

Tags: GST , KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2023 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD