Thursday, 16 May 2024

 

 

खास खबरें संजय टंडन ने लिया बाबा बागेश्वर धाम से आशीर्वाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जीरा व भिखीविंड में लालजीत भुल्लर के लिए किया प्रचार सुखबीर सिंह बादल ने पंजाबियों से उस साजिश को समझने की अपील की, जिसके तहत भाई अमृतपाल को खडूर साहिब से खड़ा किया जा रहा अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग ने शहीद सुखदेव थापर को उनके जन्मस्थान पर श्रद्धांजलि अर्पित की कांग्रेस सरकार हर गरीब परिवार को 8500 रुपये प्रति माह देगी : अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर ढींडसा ने एन.के शर्मा के समर्थन में किया चुनाव प्रचार आम आदमी पार्टी को पंजाब के कई लोकसभा क्षेत्रों में मिली बड़ी मजबूती, विपक्षी पार्टियों के कई दिग्गज नेता हुए 'आप' में शामिल कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष चावला समर्थकों सहित भाजपा में शामिल फसलों पर एमएसपी की गारंटी कांग्रेस देगी : विजय इंदर सिंगला प्रदेश की बात छोड़े पहले अपने हलके में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारें बलबीर सिंह:एन.के.शर्मा 15,000 रुपए रिश्वत लेता पटवारी विजीलैंस ब्यूरो द्वारा काबू आम आदमी पार्टी के राज में उनकी अपनी महिला सांसद भी सुरक्षित नहीं : डा. सुभाष शर्मा मैं यहाँ ही पैदा हुआ हूं और आपके सभी दुख-सुख मेरे हैं: मीत हेयर बीस दिन के लालच में अगले 5 साल बर्बाद ना करें लोग – बाबर औजला हम अपने कामों के चलते वोट मांग रहे है जबकि दूसरी पार्टियों के पास वोट मांगने के लिए कोई विजन ही नहीं है : पूर्व मंत्री अनिल विज वोट मांगने का अधिकार, उसको है जिसने काम किया है तो इस देश में केवल नरेंद्र मोदी ने काम किया है : पूर्व गृह मंत्री अनिल विज बाबा हरदेव सिंह जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया सुखविंदर सिंह बिंद्रा ने अपने घर पहुंचे केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का गर्मजोशी से स्वागत किया पंजाब पुलिस की एजीटीएफ ने मास्टरमाईंड इकबालप्रीत बुच्ची की हिमायत प्राप्त आतंकवादी माड्यूल का किया पर्दाफाश पंजाब पुलिस ने बठिंडा और दिल्ली में खालिस्तान पक्षीय नारे लिखने वाले ऐसऐफजे के तीन गुर्गों को किया काबू मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना से उम्मीदवार अशोक पराशर पप्पी के लिए किया प्रचार

 

ढोंगियों की ध्वजा ढोने की ये कैसी मजबूरी!

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

09 Sep 2017

मैसेंजर ऑफ गॉड यानी राम रहीम सिंह इंसां के किले की तलाशी शुरू हो चुकी है। सात सौ एकड़ में फैले डेरा सच्चा सौदा के रहस्यलोक से पर्दा उठाने के लिए कोर्ट कश्मिनर की निगरानी में पांच हजार अर्धसैनिक जवान, 47 कमांडो, ताले तोड़ने वाले 22 लुहार और नोट गिनने के लिए 100 बैंककर्मी अपना पसीना बहा रहे हैं। एक ढोंगी का जलवा इतना कि इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा है। सवाल यह है कि ऐसे ढोंगियों की ध्वजा ढोने को लोग क्यों मजबूर हो जाते हैं? उस पर आंच आते ही लोग मरने-मारने पर क्यों उतारू हो जाते हैं? दुष्कर्मी ढोंगी को सजा मिलते ही हिंसा में 40 लोगों ने जान गंवा दी, उनकी पहचान तक नहीं हो पाई। ऐसा जुनून क्यों? सजा पाए ढोंगियों की कतार में आसाराम, नारायण साईं और रामपाल जैसे कई नाम हैं।

भारत में खुद को ईश्वर का अवतार मानने वाले ऐसे संतों या बाबाओं के प्रति लाखों-करोड़ों लोगों की श्रद्धा या अंधभक्ति कोई नई बात नहीं है। लेकिन इन संतों के पीछे जुटने वाली भारी भीड़ और इनके कहे शब्दों पर अक्षरश: विश्वास करने और इनके घिनौने कामों का चिट्ठा खुलने के बावजूद इनके प्रति इन भक्तों की उमड़ती श्रद्धा एक बड़ा और जरूरी सवाल छोड़ जाती है कि आखिर ऐसा क्या है जो इन लोगों को ऐसे बाबाओं का अंधभक्त बना देता है? या आस्था रखना ही गलत है?

इन प्रश्न के पीछे उत्तर ढूंढ़ने चलें तो धर्म के अलग तर्क होंगे और सामाजिक विज्ञान और मनोविज्ञान के कुछ और। गहराई से पड़ताल करें तो हम पाएंगे कि ऐसे स्वयंभू संतों के प्रति इस अंधभक्ति के मूल में चाहत है अपने दुखों, परेशानियों को दूर करने की, उस रिक्तता को भरने की जो समाज में आर्थिक-सामाजिक असमानता के कारण पैदा हुई है। इन्हीं दुखों को दूर करने और सुकून की तलाश में ही जन्म होता है इन डेरों और आश्रमों का, इन स्वयंभू संतों और गॉड के मैसेंजरों का।जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख कहते हैं, "आस्था होना गलत नहीं है। हर किसी के जीवन में इतने ज्यादा तनाव हैं, इतने ज्यादा उतार चढ़ाव हैं..। अलग-अलग कारणों से नकारात्मक हों या सकारात्मक, हम सभी अपनी धार्मिक आस्था को अपने जीवन में कहीं न कहीं स्थान देते हैं। इसके अपने फायदे भी होते हैं, इससे सकारात्मकता आती हैं, तनाव दूर होता है, लेकिन इस स्थिति में कुछ कमजोर प्रवृत्ति के लोगों का इसमें जरूरत से ज्यादा ही झुकाव हो जाता है और उनके और जिनके प्रति उनकी आस्था है उनके बीच की रेखा धुंधली पड़ जाती है।"वह कहते हैं, "सैद्धांतिक रूप से किसी गुरु में आस्था रखना या ऐसी आस्थाओं का पालन करना गलत नहीं है, जो स्वस्थ हों। समस्या तब पैदा होती है जब यह आस्था आपके लिए या दूसरों के लिए ही हानिकारक साबित होने लगती है।"

पारिख कहते हैं, "जब आप किसी को एक खास स्तर पर या अपने से ऊपर रख लेते हैं और मान लेते हैं कि वह कोई गलती नहीं कर सकता, समस्या तब पैदा होती है। यह केवल धार्मिक गुरुओं के मामले में ही नहीं होता, बल्कि आप अगर किसी कलाकार को या किसी पसंदीदा खिलाड़ी को हीरो मानकर पूजने लगते हैं, तब उस मामले में भी यही स्थिति पैदा होती है। उदाहरण के तौर पर तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी को हीरो मानने वाले खेल प्रेमी भी जब किसी मैच में उन्हें खराब प्रदर्शन करते देखते हैं, तो वे हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। इसलिए अपने और जिसे आप अपना हीरो मान रहे हैं, उसके बीच की महीन रेखा के फर्क को समझना जरूरी है।"दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की समाजशास्त्र की प्रोफेसर शिरीन कहती हैं, "ऐसे लोग मूर्ख होते हैं और भक्ति में इतने अंधे हो जाते हैं कि वे इन स्वयंभू संतों को अपना भगवान मानने लगते हैं, लेकिन गहराई से देखें तो ये संत या बाबा लोगों के लिए समाजसेवा के बहुत से काम करते हैं। उनके लिए अस्पताल, स्कूल आदि बनाते हैं, रक्तदान शिविर चलाते हैं।"शिरीन कहती हैं, "बहुत से लोगों की उनके साथ उम्मीदें जुड़ जाती हैं। यह साथ ही हमारी सरकारों की नाकामी भी दर्शाता है, जो समाज के हर वर्ग की जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रहती है। 

दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे इन संतों या धर्मगुरुओं के साथ खुद को इतनी गहराई से जोड़ लेते हैं कि ये तथाकथित संत उनकी इस भक्ति का फायदा उठाते हैं और लोगों पर इस हद तक अपना विश्वास कायम कर लेते हैं कि वही सब होता है, जो इस मामले में भी हुआ।इस मामले में आज के युवाओं की सोच को समझना भी काफी अहम है। अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्र अंबुज का मानना है कि अपनी जिम्मेदारियों को भारी बोझ समझने और उसे उठाने से घबराने वाले लोग भी ऐसे बाबाओं की शरण तलाशते हैं। अंबुज कहते हैं, "लोग अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियों को उठाने से भी घबराते हैं, ऐसे में गुरमीत राम रहीम इंसां जैसा कोई नया तथाकथित संत या गुरु जब उन्हें यह आश्वासन देता है कि वह उनकी जिंदगी का उद्धार कर देगा, उनके दुखों को दूर कर देगा, तो लोगों की भीड़ उसकी ओर जुटने लगती है और लोग उन्हें भगवान मानने लगते हैं।"मनोविज्ञान की छात्रा काव्या कहती हैं, "भारतीय भले ही कितने भी आधुनिक हो गए हों, लेकिन फिर भी भगवान से जुड़ा कोई भी मुद्दा आज भी उनके लिए बहुत बड़ी बात बन जाती है।"यही आस्था और भक्ति तब और भी प्रबल हो जाती है, जब उसे अपने जैसे और बहुत से लोगों का सााथ मिल जाता है।काव्या कहती हैं, "मनोविज्ञान के अनुसार, आपके धर्म की बात हो या राष्ट्रीयता की, लोगों पर ग्रुप कन्फर्मिटी का सिद्धांत लागू होता है। आपके अंदर यह भावना इतनी गहराई तक समा जाती है कि आप उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। मनुष्यों में खुद को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की प्रवृत्ति होती है, ऐसे में जब वे खुद को धर्म से जोड़ते हैं तो उसे अपना एक अटूट हिस्सा मानते हैं और उसके लिए मर-मिटने को भी सहज तैयार हो जाते हैं। यह भेड़चाल ही समस्या की जड़ है।"

 

Tags: DERA NEWS , KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD