दिल्ली में सिख भाईचारे के मैंबर जल्द ही अपने विवाह आनंद मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर करवा सकेंगे, क्योंकि यह एक्ट इस सप्ताह दिल्ली में लागू किए जाने की तैयारी मुकम्मल हो गई है।
यहां जारी किए एक बयान में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि उन्होंने यह मामला दिल्ली के उप राज्यपाल श्री अनिल बैजल के समक्ष उठाया था तथा उनको अवगत करवाया था कि यह एक्ट संसट तथा राष्ट्रपति द्वारा पास किया जा चुका है, पर दिल्ली में लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि वह उप राज्यपाल श्री बैजल के धन्यवादी हैं, जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझा तथा इसको तुरंत लागू किए जाने के आदेश जारी किए हैं।उन्होंने कहा कि एक्ट लागू करने की फाइल उप राज्यपाल के कार्यालय द्वारा डिवीजनल कमिश्रर को भेजी गई, जिन्होंने यह मंजूर करके सचिव कानून को भेज दी है।
अब सचिव कानून द्वारा दो दिनों में यह पास करके दोबारा उप राज्यपाल के पास भेजी जाएगी तथा उप राज्यपाल की मंजूरी के बाद दिल्ली में एक्ट लागू हो जाए। उन्होंने कहा कि इससे सिखों की एक सदी से चली आ रही पुरानी मांग पूरी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1909 में पहली बार यह मांग उठी थी। इसके बाद एक्ट बनवाने तथा पास करवाने के लिए लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने आनंद मैरिज (शोध) एक्ट पास करवा दिया तथा सभी राज्यों को कहा गया कि इसको लागू किया जाए। श्री सिरसा ने बताया कि अब वह एक्ट लागू करने का मामला अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा मुख्य सचिवों के समक्ष उठा रहे हैं तथा उनको पत्र भी लिख चुके हैं।
उन्होंने बताया कि कल उन्होंने असम के मुख्यमंत्री श्री सरबनंदा सोनवाल के साथ मुलाकात की थी, जिन्होंने उनको भरोसा दिलाया है कि एक्ट असम में जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा व पंजाब में यह पहले ही लागू हो चुका है। श्री सिरसा ने बताया कि हकीकत में जागरूकता की कमी ही एक्ट लागू करने के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन बनी रही। उन्होंने कहा कि अब सिख भाईचारे के सदस्यों को इस बात से अवगत करवाया जा रहा है कि एक्ट पहले ही तैयार होकर लागू हो चुका है तथा वह अपने विवाह केवल इसी एक्ट तहत रजिस्टर करवाएं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या प्रवासी भारतीय पंजाबियों को आ रही थी, जिनको इस बात के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था कि वह अपना धर्म तो सिख लिखवाते हैं, पर विवाह की रजिस्ट्रेशन इस एक्ट के तहत नहीं हुई होती।