दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज कहा कि पंजाब में विरोधी पक्ष के नेता श्री एच.एस. फुलका को 1984 के सिख दंगा पीडि़त केस लडऩे के लिए विपक्ष के नेता के तौर पर इस्तीफा देने का नाटक बंद कर देना चाहिए क्योंकि उनके इस्तीफे का पीडि़तों और उनके परिवारों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला। उन्होंने कहा कि उल्टा श्री फुल्का को अपनी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इन परिवारों की भलाई के लिए काम करना शुरू करने के लिए राजी करना चाहिए।यहां जारी किए एक बयान में श्री सिरसा ने कहा कि यदि 'आप पार्टी इहना पीडि़तों और परिवारों को मदद करने के लिए संजीदा है तो फिर 'आप सरकार को इन परिवारों को एक मैंबर प्रति परिवार के हिसाब के साथ तुरंत नौकरियां प्रदान करनीं चाहीऐ हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम उठाने के इलावा इन पीडि़तों के लिए सीटों का आरक्षण प्रथमिकता के आधार पर होना चाहिए और 'आप सरकार को चाहिए कि इन परिवारों को सरकार की तरफ से अलाट किए फ्लैट और मकानों की मालकी का अधिकार तुरंत प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि सरकार को चाहिए कि इन घरों जिन की हालत बहुत खस्ता है, की मुरम्मत भी तुरंत शुरू करे।'आप लीडरशिप पर बरसते हुए श्री सिरसा ने कहा कि इन की संजीदगी तो इन की तरफ से मामलों की नए सिरे से जांच के लिए विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) गठित करन के मामलो में ही लोगों के सामने है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने एस.आई.टी. के मामले पर एक भी कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि दोषियों खिलाफ कार्रवाई तो क्या करनी है उल्टा श्री केजरीवाल की जगदीश टाइटलर समेत ओर दोषियों के साथ तस्वीरों सामने आईं हैं।उन्होंने कहा कि यदि 'आप पार्टी या इन की सरकार इन परिवारों की भलाई के लिए कदम उठाने प्रति संजीदा होती तो फिर वह 1 नवंबर को 'काला दिवस घोषित करने के लिए दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव ले कर आती। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले पर केजरीवाल को पत्र भी लिखे थे परन्तु उन्होंने इस प्रति कोई संजीदगी नहीं दिखाई।
श्री सिरसा ने श्री फुल्का, जिन्होंने दंगा पीडि़तों दे केस लडऩे के लिए विरोधी पक्ष दे नेता के तौर पर इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया है, को कहा कि यदि वह चाहते हैं कि दंगा पीडि़तों को इंसाफ मिले तो पहले उन को अपनी पार्टी दे प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राजी करना चाहिए कि वह इन परिवार की मदद के लिए प्रथमिकता के आधार पर कदम उठाए। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से सत्ता का आनंद उठा रहे केजरीवाल को इन परिवारों की बेहतरी के साथ कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जिन्होंने ने हाल ही में खत्म हुई पंजाब विधान सभा चुनाव समय इन परिवारों के साथ बड़े-बड़े वायदे किए थे, पंजाब के लोगों की तरफ से ठुकराए जाने के बाद बिल्कुल ही चुप्पी धारण कर गए हैं।दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव ने कहा कि पुरानी कहावत है कि भलाई और सुधार घर से ही शुरू होते हैं, इस लिए श्री फुल्का को यह मामला पहले अपनी दिल्ली सरकार के पास उठाना चाहिए और अधिक से अधिक काम कम से कम समय में करवाना चाहिए बशर्ते कि वह अपनी कथनी और करनी के पक्के हों।