मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने शनिवार को कहा कि आतंकियों के समर्पण के लिए बनाई गई नीति पूरी तरह से असफल साबित हुई है। मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस मुद्दे पर बातचीत की है। उन्होंने कहा, "यह निराशाजनक है कि राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ चुके संगठनों पर निगरानी रखने का कोई समुचित तंत्र नहीं है। यह आत्मसमर्पण नीति की निर्थकता साबित करता है।"नियमानुसार, आतंकियों द्वारा सौंपे गए हथियारों को सेना में जमा किया जाना चाहिए और समर्पण कर चुके संगठनों के सदस्यों को निर्धारित विशेष परिसरों के अंदर रहना चाहिए।
बिरेन ने कहा, "पूर्व विद्रोहियों पर किसी तरह का प्रभावी नियंत्रण नहीं होने के कारण यह नीति पूर्ण रूप से असफल है।"उन्होंने कहा, "यहां कोई समुचित आत्मसमर्पण नीति नहीं है। पूर्व विद्रोहियों को घर बनाने और अन्य चीजों के लिए पर्याप्त मदद नहीं दी गई है। इन लोगों और इनके परिवार के लिए अजीविका का कोई साधन नहीं है।"सेना ने जहां कुछ आतंकी संगठनों के साथ अभियान स्थगन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, वहीं मणिपुर सरकार ने इन समझौतों को मानने से इंकार कर दिया है। यही कारण है कि पुलिस और अर्धसैनिक बल जनजातीय उग्रवादियों को लगातार तलाश रहे हैं, उन्हें मार रहे हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार कर रहे हैं, जबकि वे समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।