मणिपुर के नए मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह का पहला प्यार फुटबॉल उन्हें बीएसएफ में ले गया। यहां से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पत्रकारिता की। लेकिन अंतत: उन्होंने राजनीति को अपना कॅरियर बनाया। इंफाल से करीब 15 किमी दूर हिंगंग के एक युवक ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर खुद को साबित किया। इससे उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती होने का मौका मिला।उन्होंने बाद में बीएसएफ से इस्तीफा दे दिया और क्षेत्रीय समाचार पत्र 'नाहरोल जी थुआंग' शुरू किया। हालांकि उन्होंने पत्रकारिता का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था और न ही उन्हें इसका कोई अनुभव था। लेकिन समाचार पत्र सफल रहा।
साल 2000 में बिरेन के प्रेस पर पुलिस ने छापा मारा। उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। अधिकारियों ने उन पर आतंकियों के समर्थन में समाचार छापने का आरोप लगाया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।तब उन्होंने अपना रास्ता बदलने का फैसला किया।बिरेन सिंह ने कहा, "उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर लोगों की सेवा के लिए पत्रकारिता छोड़ दी, जिससे वह बहुत प्यार करते थे। बिरेन सिंह ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।"उन्होंने 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।बिरेन सिंह मई 2003 में कांग्रेस में शामिल हुए और मंत्री बने। वह बाद के चुनावों में भी अपनी सीट से जीतते रहे।राज्य में महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालते हुए वह मणिपुर सरकार के प्रवक्ता बने रहे। उन्हें मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी के संकट मोचक के तौर पर देखा जाने लगा।हालांकि उन्होंने जल्द ही इबोबी सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इबोबी सिंह ने बीते साल बिरेन सिंह को बर्खास्त कर दिया।बिरेन सिंह ने कांग्रेस और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।
वह 17 अक्टूबर, 2016 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।बिरेन सिंह (56) की राजनेता के तौर पर उनके मित्रवत व्यवहार के लिए प्रशंसा की जाती है। उन्हें पत्रकारों में भी लोकप्रियता हासिल है।बिरेन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने का सपना कभी नहीं देखा था।उन्होंने पद संभालने के बाद कहा, "लोगों ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट दिया है।"उन्होंने कांग्रेस के दावों को दरकिनार करते हुए कहा कि उन्हें नई सरकार बनाने का पहला मौका विधानसभा में सबसे बड़ा समूह होने के नाते मिला।नए मुख्यमंत्री ने कहा, "लोकतंत्र संख्या का खेल है। हमने राज्यपाल के समक्ष 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन को सिद्ध किया।"