आशा वर्कर, मिड-डे मिल व आंगनबाड़ी के आंदोलनरत महिला कर्मचारियों व गेस्ट टीचरों का मामला गुरुवार को हरियाणा विधानसभा में गूंजा। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान इनेलो विधायकों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए न सिर्फ सरकार की खामियां गिनाई बल्कि अपने हलकों से जुड़ी मांगें भी रखी। पूर्व कृषि मंत्री जसविंदर संधू ने यह मामला उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है और दूसरी तरफ अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत इन महिला कर्मचारियों की सुनवाई तक नहीं की जा रही है। जसविंदर संधू ने सरकार पर निर्वाचित सरपंचों की अनदेखी करने और सरकारी अधिकारियों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ नौकरों जैसा सलूक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही थी कि प्रदेश में पढ़ी-लिखी पंचायतें चुनी गई हंैं। उन्होंने मदनपुरा गांव पंचायत का उल्लेख करते हुए कहा कि सर्वसम्मति से निर्वाचित पंचायतों को सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि अभी तक नहीं मिली। उन्होंने सरकार के कहने पर विधायकों द्वारा गोद लिए गए गांवों में भी विकास के कोई कार्य न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा की नहरों में पानी नहीं आ रहा और यह बात खुद मंत्री मान चुके हैं।
पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा की गई घोषणाएं पूरी नहीं हुई हैं किसानों को आलू-प्याज के पूरे भाव नहीं मिल रहे। उन्होंने चौधरी देवीलाल द्वारा लागू की गई उस नीति का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने सडक़ व नहर किनारे लगे वृक्षों में से आधे वृक्ष साथ लगते खेत वाले किसान को देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वृक्ष लगने से साथ वाले खेत के किसान को वहां पैदावार न होने के कारण नुकसान होता है इसलिए नए लगाए जा रहे वृक्ष बड़े होने पर आधा हिस्सा किसानों को लगना चाहिए। उन्होंने नौकरी के आवेदन में नो-ड्यू सर्टीफिकेट की शर्त लागू किए जाने की भी आलोचना की और सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया। जसविंद्र सिंह संधू ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में लिए गए फैसले को तीन महीने से ज्यादा समय हो गया अभी तक मुख्यमंत्री एसवाईएल के मुद्दे पर पीएम से मिलने का समय तक नहीं ले पाए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सीएम प्रदेश हितों में अगर कोई संघर्ष आगे लगकर लड़ेंगे तो पार्टी उन्हें पूरा सहयोग देगी।
नलवा के विधायक ने राज्यपाल अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अभिभाषण में सरकार को महिमामण्डित किया गया है जबकि धरातल पर ठीक इसके विपरीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बेहद खराब है, कमजोर, दलित व पिछड़े वर्ग पर अत्याचार बढ़े हैं। हत्या, बलात्कार, अपहरण की घटनाओं में इजाफा हुआ है। गेस्ट टीचर, कम्प्यूटर सहायक व नर्सिंग छात्राओं पर लाठीचार्ज हुआ है। उन्होंने भगाणा व मिर्चपुर की घटनाओं का भी उल्लेख किया। इनेलो विधायक ने मिट्टी के बर्तन बनाने के काम को उद्योग का दर्जा देने, जिन गांवों में पंचायत के पास जमीन नहीं है वहां सरकार द्वारा पांच एकड़ भूमि अधिग्रहण करके मिट्टी का बर्तन बनाने वालों को रोजगार के लिए देने, विधायकों को पांच करोड़ रुपए वार्षिक विकास कार्यों के लिए ग्रांट देने, खाली स्कूलों में टीचरों के पद भरे जाने, नलवा हलके में पीने के पानी की समस्या का समाधान करने, सडक़ों की हालत सुधारने और हिसार नगर निगम की बाहरी कॉलोनियों में विकास कार्यों के लिए विशेष पैकेज देने की भी मांग की।उकलाना के विधायक अनूप धानक ने अपने हलके की सडक़ों, पुलों व बसों की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि बसों के अभाव में स्कूल जाने वाली बहन-बेटियों को धरना भी देना पड़ा।
परिवहन मंत्री द्वारा सरकार व सहकारी 46 बसें चलने के दावे को सिर्फ कागजी दावा बताए जाने पर परिवहन मंत्री ने इस मामले की जांच करवाए जाने का भी भरोसा दिलवाया। लाहौरू के विधायक ओमप्रकाश गोरा ने भिवानी जिले में पहाड़ मजदूरों के दो महीनों से चल रहे धरने-प्रदर्शन का मुद्दा उठाया तो विस अध्यक्ष ने कहा जब उन्हें बोलने का मौका मिलेगा तब वे अपनी बात रख सकते हैं।इससे पहले रानियां के सात-आठ गांवों में पशुओं में फैली महामारी के कारण अनेक पशुओं की मौत होने का मामला विधायक रामचंद कम्बोज ने उठाया और सरकार से पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम भेजे जाने और प्रभावित किसानों को जिनके दुधारू पशु मारे गए हैं उन्हें आर्थिक मदद दिए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि बीती रात अकेले केहरवाला गांव में तीन दर्जन पशु दम तोड़ चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला ने भी रामचंद कम्बोज की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वहां डॉक्टर तो कुछ गए हैं लेकिन स्थिति कंट्रोल में नहीं आ रही इसलिए विवि से तुरंत डॉक्टर भेजे जाने की जरूरत है। पशुपालन मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने सदन को भरोसा दिलाया कि विवि से तुरंत डॉक्टर भेज दिए जाएंगे।