गांव दुल्हेड़ा के बैंक में कैश का मुद्दा लोकसभा में गूंजा, सांसद दुष्यंत चौटाला ने उठाया मुद्दा
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झज्जर , 07 Feb 2017
दुल्हेड़ा के पंजाब नेशनल बैंक में कैश की कमी और ग्राहकों को कम पैसे मिलने का मुद्दा भी लोकसभा में गूंजा। इनेलो संसदीय दल के नेता व हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने इस मु्द्दे को बजट पर चर्चा के दौरान उठाया। इनेलो सांसद ने लोकसभा में कहा कि सरकार के कुछ मंत्री नोटबंदी को सर्जिकल स्ट्राईक बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि हथौड़ा स्ट्राईक था। उन्होंने कहा कि पूंजीपति लोग पैसे लेकर भाग गए और बैंकों की लाइन में आज भी अपने पैसे के लिए लोग खड़े हैं। उन्हें बैंकों से कम पैसे मिल रहे हैं। दुष्यंत चौटाला ने दुल्हेड़ा गांव के बैंक का जिक्र करते हुए कहा कि इस बैंक से 9 गांव जुड़े हुए हैं और कैश की कमी के चलते गावं वासियों को केवल 2-2 हजार दिए जा रहे हैं जबकि रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार 24 हजार रूपये कैश देने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि बैंक के बाहर नोटिस लगाया हुआ था कि ग्राहकों को 2-2 हजार दिए जाएंगे। सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बैंकों में कैश उपलब्ध करवाया जाए। यहां बता दें कि सांसद दुष्यंत चौटाला ने कुछ दिन पहले केंद्रीय वित्तमंत्री को इस बैंक में कैश उपलब्ध करवाने को लेकर एक पत्र भी लिखा था।दुष्यंत चौटाला ने संसद में उठाए कच्चे और दैनिक भोगी कर्मियों के मुद्दे इसी बीच दुष्यंत चौटाला ने आज लोकसभा में दैनिक वेतन भोगी व श्रमिकों के हितों की आवाज बुलंद करते हुए नाइंसाफी करने वाले रोजगार प्रदाता के खिलाफ कड़े प्रावधानों की मांग की। इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला ने पेमेंट आफ वेजिज अमेंडमेंट बिल 2017 का समर्थन करते हुए कहा कि कर्मचारियों को सरकार की चैक से वेतन भुगतान लागू करवाने की योजना स्वागतयोग्य है परन्तु इसमें कुछ शंकाओं को सरकार स्पष्ट करे और इसमें कड़े प्रावधान होने चाहिए जिसके कि रोजगार प्रदाता कर्मचारी का आर्थिक शोषण न कर सके। उन्होंने केंद्रीय मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जब मालिक अपने कर्मचारी को चैक देता है तो वह पूर्व निर्धारित तारीख का होता है जिसके कारण कर्मचारी 15-20 दिनों तक वह अपने वेतन को अपने खाते में वह राशि ट्रांसफर नहीं करवा सकता। यह समस्या देशभर में चल रही है। उन्होंने सरकार से स्प्ष्ट करने को कहा कि क्या सरकार ऐसा कोई प्रावधान करने जा रही है जिसमें मालिक या रोजगार प्रदानकर्ता अपने कर्मचारी को माह के पहले सप्ताह में भुगतान होने वाला चैक प्रदान करना सुनिश्चित हो।
उन्होंने सरकार से पूछा कि यदि कोई ऐसा रोजगार प्रदात्ता अपने कर्मचारी का वेतन दबा कर रखता है तो उसके खिलाफ क्या कानूनी प्रावधान होंगे। इनेलो सांसद ने कहा कि चैक से वेतन भुगतान के कानून को अब तक केवल पांच राज्यों में लागू किया गया है। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि केंद्र सरकार इस नियम को पूरे देश में कब लागू करने जा रही है। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या इस कानून के माध्यम से असंगठित क्षेत्र में दिहाड़ीदार व न्यूनतम निर्धारित वेतन से कम वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए भी कदम उठाने जा रही है। सांसद दुष्यंत चौटाला ने चैक बांऊस होने की स्थिति में बैंक द्वारा वसूली जाने वाली फीस को लेकर भी सरकार से इसमें प्रावधानों को स्पष्ट करने को कहा जिससे कि इसका बोझ कर्मचारी पर न पड़े।