सफीदों रोड़ आर्य समाज में आयोजित साप्ताहिक यज्ञ एवं सत्संग के दौरान मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए धर्मवीर आर्य ने कहा कि यदि व्यक्ति को सुख चाहिए तो वेद को जानना जरूरी है। वेद को जाने बगैर ना तो धर्म को परिभाषित किया जा सकता और ना ही सुख की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने बताया कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का मूल है। वेदों में यज्ञ की महीमा का खूब बखान है। यदि कोई भी मत पंथ या संप्रदाय यज्ञ आदि धार्मिक क्रियाओं को छुड़वाने का काम करता है तो वह सनातन विरोधी है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म विज्ञान पर आधारित है और यज्ञ भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से न केवल मनुष्य की आत्मा शुद्ध होती है बल्कि वायुमंडल शुद्ध होता है जिसके माध्यम से जल और जल से अन्न और अन्न से मन की शुद्धि होती है। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रिया है सुख की इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह वेद को जानें व अपने घर पर यज्ञ अवश्य करवाएं। इस अवसर पर विकास विजयराज, मास्टर अनिल, दीपक बिड़ान, सुनील चहल, दीपांशु दूहन, वीरेंद्र सैनी, सत्यवान देशवाल, तेजस आर्य, गीता सैनी, राकेश बेनीवाल, सुनील बडगुजर, अभिषेक दातन, सावित्री देवी, मनीषा आर्या व श्रुति आर्या आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे जिन्होंने प्रति माह घर पर यज्ञ करवाने का संकल्प लिया।