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तुर्की में नागरिकों ने तख्तापलट को नाकाम किया, 161 की मौत

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अंकारा/इस्तांबुल , 16 Jul 2016

तुर्की में बीती रात हुई सैन्य तख्तापलट की कोशिश नाकाम हो चुकी है और इसमें उन हजारों नागरिकों की भूमिका अहम रही जो तख्तापलट में शामिल सैनिक टुकड़ियों का सामना करने सड़कों पर उतर आए। इस बीच शनिवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि तुर्की पर उनका पूरा कमान है और घटना में अब तक 161 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार की रात शुरू हुई तख्तापलट की कोशिश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान 1,500 लोग घायल हो गए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदिरिम ने शनिवार को कहा कि तख्तापलट करने वाली सेना पर आम जनता की ताकत भारी पड़ी और तख्तापलट में शामिल 2,839 अधिकारियों और सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

एरदोगन ने तख्तापलट की कोशिशों को देशद्रोह करार देते हुए कहा कि साजिशकर्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।एरदोगन ने इस्तांबुल के अतातुर्क हवाईअड्डे पर उतरने के बाद अपने टेलीविजन संबोधन में कहा, "यह देशद्रोह का मामला है। उन्हें देशद्रोह की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"समाचार पत्र 'द गार्डियन' के अनुसार, प्रधानमंत्री यिलदिरीम ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सैन्य तख्तापलट की साजिश में शामिल लोगों को आतंकवादी की संज्ञा दी और साथ ही कहा कि तुर्की ने उन्हें करारा जवाब दिया है।सरकारी समाचार एजेंसी एनादोलु के अनुसार, तुर्की में शुक्रवार की रात सैनिकों के एक समूह द्वारा कई महानगरों में अहम पुलों और प्रमुख स्थलों पर नियंत्रण करने की कोशिश की खबरें आने के साथ अराजकता का माहौल बन गया, जिसके बाद सेना के हेलिकॉप्टर ने राजधानी अंकारा में हवाई हमले और गोलीबारी शुरू कर दी।

तुर्की के संसद के नजदीक एक बम गिरा। कई जगहों पर हवाई गोलीबारी हुई जिसमें सत्ताधारी पार्टी का मुख्यालय, राष्ट्रपति भवन और सेना का मुख्यालय शामिल है।सेना के एक धड़े ने इससे पहले कहा था कि देश पर 'पीस काउंसिल' शासन कर रही है और तुर्की में कर्फ्यू लगा देना चाहिए और सैन्य शासन स्थापित होना चाहिए। सेना के इस धड़े द्वारा की गई घोषणा में कहा गया था, "उन्होंने तुर्की में संवैधानिक व्यवस्था, लोकतंत्र, मानवाधिकार और स्वतंत्रता कायम करने के उद्देश्य से सैन्य तख्तापलट शुरू कर दिया है।"मीडिया में आई खबरों के अनुसार, मृतकों में अधिकांश आम नागरिक हैं, जो राष्ट्रपति एरदोगन के आह्वान पर तख्तापलट करने वाली सैन्य टुकड़ी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे और सैनिकों की गोलीबारी में मारे गए। तख्तापलट में शामिल सैनिकों के खिलाफ सड़कों पर उतरे आम नागरिकों का साथ पुलिस ने भी दिया।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति एरदोगन ने देश के नाम अपने संबोधन में पूरे घटनाक्रम के लिए धार्मिक विद्वान व बड़ी राजनीतिक हस्ती फतुल्ला गुलेन को जिम्मेदार ठहराया है, जो फिलहाल अमेरिका में है।एरदोगन ने गुलेन को संबोधित करते हुए बेहद सख्त लहजे में कहा, "अगर तुममें हिम्मत है तो अपने देश लौटकर दिखाओ। तुम कहीं से भी इस देश में अव्यवस्था फैलाना चाहो तो नहीं कर पाओगे।"एरदोगन का संबोधन समाप्त होते ही हजारों नागरिकों ने देशभक्ति के गीत गाने शुरू कर दिए।गुलेन ने हालांकि सैन्य तख्तापलट के पीछे अपना हाथ होने से इनकार कर दिया है। गार्डियन ने यिलदिरिम के हवाले से कहा, "सैन्य तख्तापलट में शामिल लोगों के खिलाफ तुर्की के कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें उसी के अनुरूप दंड दिया जाएगा।"

तख्तापलट में शामिल लोगों के लिए फिर से मौत की सजा बहाल किए जाने के सवाल पर यिलदिरिम ने कहा कि तुर्की की सरकार इस पर कानूनी बदलाव के बारे में विचार करेगी।उन्होंने कहा, "राजद्रोह करने वाले इन लोगों को देश कभी नहीं भूलेगा। तख्तापलट का पहला चरण खत्म हो चुका है।"विद्रोही सैन्य टुकड़ी ने तुर्की के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल हुलुस्की अकर का अपहरण कर लिया था, हालांकि बाद में उन्हें छुड़ा लिया गया। प्रधानमंत्री ने हालांकि उमित दुंदार को तुर्की का कार्यवाहक सैन्य प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की।इससे पहले शनिवार की सुबह इस्तांबुल के एक पुल पर तख्तापलट की कोशिश करने वाले 60 सैनिकों ने समर्पण कर दिया और टेलीविजन पर इसका सीधा प्रसारण भी किया गया।

 

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