दिग्गज पत्रकार से नेता बने मोबाशर जावेद (एम.जे.) अकबर कभी बिहार के किशनगंज से कांग्रेस के सांसद थे और अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता हैं। कांग्रेस में होने के दौरान उन्होंने 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की थी।पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और चंद्रशेखर के करीबी माने जाने वाले अकबर का मोदी के मंत्रि परिषद में शामिल होना हैरानी की बात नहीं है।हमेशा से भाजपा के खिलाफ बोलने वाले अकबर का मोदी सरकार के प्रति रुझान दिखाना कई लोगों को हैरत में डाल चुका है। अकबर का झारखंड से राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल पिछले माह समाप्त हो गया था, लेकिन वह फिर से मध्य प्रदेश से उच्च सदन के सदस्य बन गए।
अकबर का कहना है कि मोदी को अनावश्यक ही 2002 से लक्ष्य बनाया गया है, जबकि कोई भी उनकी इन दंगों में संलिप्तता साबित नहीं कर पाया है। मोदी सरकार के प्रति अपना रुझान दिखाते हुए सितम्बर 2015 में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के दौरान उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 'भारतीय लोकतंत्र का बिगड़ैल बच्चा' करार दिया था। अपने राजनीतिक करियर में अकबर ने 1989 में लोकसभा चुनाव जीता था, इस दौड़ में उन्होंने सैयद शहाबुद्दीन को मात दी थी। हालांकि, उन्हें स्वयं 1991 में हार का सामना करना पड़ा था। बोफोर्स विवाद के दौरान राजीव गांधी ने अकबर की प्रशंसा की थी और उसके बाद वह कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता बन गए। हालांकि, पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वह पार्टी में टिक नहीं पाए और 1992-93 तक वह पत्रकारिता में वापस आ गए।