आर्य समाज सफीदों रोड़ पर आयोजित साप्ताहिक यज्ञ व सत्संग के दौरान धर्मवीर आर्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि प्राणी मात्र की रक्षा करना ही धर्म है। उन्होंने बताया कि कमजोर का शोषण करने की प्रवृत्ति पशुओं में होती है जबकि इंसानियत हमें एक दूसरे की मदद करना सिखाती है। सनातन में अहिंसा परमो धर्म बताया गया है। जबकि आज बहुत सारे मत-पंत संप्रदाय ऐसे हैं जो निरीह प्राणियों की बलि देना ही धर्म बतलाते हैं, जबकि ऐसा करना धर्म के विरुद्ध है। यदि किसी भी मत-पंथ या संप्रदाय में पशु बलि जैसी क्रुर परंपरा लिखी है या प्रचलित है तो वह धर्म कभी नहीं हो सकता। धर्मवीर आर्य ने श्रद्धालुओं को बताया कि परमपिता परमात्मा ने मनुष्य के लिए फल-फूल, कंद-मूल व मेवा आदि अनेक औषधियां व वस्तुएं दी हैं फिर भी यदि मनुष्य इन्हें छोड़कर जानवरों के भोजन अर्थात मांस या अंडा आदि का सेवन करता है तो वह किसी राक्षस से कम नहीं है । यज्ञ के समापन पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने कमजोर व अयहायों की रक्षा का संकल्प लिया। इस अवसर पर हरिकेश नैन, राकेश बेनीवाल, अमित अहलावत, युवराज वत्स, सागर सैनी,नीरज बडगुज्जर, विरेन्द्र सैनी, तेजस आर्य, सुनील कुमार, मास्टर अनिल कुमार, अभिषेक तातन, सावित्री देवी ,कविता आर्या, मोनिका आर्या ,सोमकिरण आर्या, कैप्टन अभिमन्यु फैन कल्ब के सदस्य,राष्ट्र रक्षा दल के अनेक पदाधिकारी, असमर्थ महिला कल्याण समिति के सदस्य व श्रद्धालु उपस्थित थे।