पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने लोगों से आह्वान किया कि वे महान सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर की शिक्षाओं की सही मायनों में पालना करें कि किस प्रकार उन्होंने क्रूर लोगों की ओर से किए गए अत्याचार, उत्पीडऩ और अन्याय का जवाब दिया था, यही उनकी शाहदत की 300 वीं सालगिरह पर प्रतिष्ठित नायक को असली श्रद्धांजलि है।माता गुजरी कालेज के स्टेडियम में आयोजित किए गए शाहदत समागम में विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय इतिहास में बाबा बंदा सिंह बहादुर के दुर्लभ बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखी और आज से बहुत पहले 1709 में पहले सिख राज की स्थापना की। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर स्मारक सिक्के जारी किए। इन सबसे ऊपर, वो समाज के सताए हुए वर्गों, विशेष रूप से किसानों के सच्चे नायक थे जिन्होंने जमींदारी प्रणाली को खत्म कर स्वामित्व का अधिकार प्रदान किया। बाबा बंदा सिंह बहादुर के महान दर्शन से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए श्री बादल ने कहा कि हमारी सरकार ने भी कई गरीब समर्थक और किसान अनुकूल कदम उठाए हैं, जिससे उनके जीवन स्तर में बहुत सुधार करने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया कि सिखों ने केवल इतिहास बनाया है, लेकिन दुर्भाग्य से उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजो कर नहीं रख सके। साथ ही उन्होंने कहा कि यह भी एक स्थापित तथ्य है कि जो राष्ट्र अपने इतिहास को भूल जाते हैं, वे या तो मारे गए या आने वाले समय में लुप्त हो गए। श्री बादल ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह को अवगत कराया है कि पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने ना केवल सिख पंथ की विरासत को संजो कर रखा है बल्कि अन्य धर्मों और समुदायों की विरासत को भी संरक्षित रखा है। इसके अलावा देश के स्वतंत्रता संग्राम में शानदार योगदान देने वाले गुमनाम नायकों को भी उचित स्थान दिया है यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति की असली भावना है। मुख्यमंत्री ने कुछ महत्वपूर्ण स्मारकों का भी उल्लेख किया, जिनमें विरासत-ए-खालसा श्री आनंदपुर साहिब, जंग-ए-आजादी मेमोरियल करतारपुर में (जालंधर), भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल अमृतसर में और गुरु रविदास स्मारक खुरालगढ़ (होशियारपुर) शामिल हैं।
श्री बादल ने कहा कि सिख धर्म समाजवाद के सही मॉडल का प्रचारित करता है जो सामुदायिक रसोई घर में संगत और पंगत की अवधारणा को दर्शाता है आमतौर पर लंगर के रूप में जाना जाता है। इसी तरह, श्री हरमंदिर साहिब की नींव मुस्लिम फकीर साईं मियां मीर ने रखी जिससे धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को बढ़ावा मिला।केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार की ओर से किए गए प्रयासों की भरपूर प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने 1984 के सिख नरसंहार के मामलों को पुन: खोलने के लिए एसआईटी का गठन किए जाने पर श्री राजनाथ सिंह का धन्यवाद किया। इसके अलावा मुआवजा राशि को 3.5 लाख रूपये से बढ़ाकर पांच लाख रूपये किए जाने पर श्री बादल ने कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से इन असहाय पीडि़तों को आखिरकार 32 वर्ष की अवधि में एक रोशनी की किरण दिखाई दी है। इसके विपरीत, कांग्रेस जानबूझ कर इन पीडि़तों को न्याय नहीं मिलने दे रही और कानूनी प्रक्रिया को धीमा कर उनके घावों पर नमक छिड़कती रही है ताकि कथित तौर पर इस नरसंहार में शामिल अपने शीर्ष नेताओं को बचा सके।
पंजाब के उप मुख्यमंत्री स. सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राज्य सरकार, राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को अपनी युवा पीढ़ी को परिचित करवाने की अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह अवगत है। इसी को ध्यान में रखते हुए, पंजाब आने वाले दिनों में एक महत्पूर्ण योजना की शुरूआत करने जा रहा है। जिस अनुसार राज्य भर में गांवों से युवाओं को 'तीर्थ यात्रा योजनाÓ की तर्ज पर बसों के माध्यम से ऐतिहासिक स्मारकों पर ले जाने की योजना शुरू करने के लिए विचार कर रही है।श्री बाबा बंदा सिंह बहादुर जी की 300 वीं शहादत दिवस का स्मरण करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर जी एक महान योद्धा थे जिन्होंने छोटे साहिबजादे और माता गुजर कौर जी की शहादत का बदला लिया था और चपड़ चिड़ी की लड़ाई में सरहिंद के कुख्यात सूबेदार वजीर खान को मौत के घाट उतारा था।
उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर जी किसानों और समाज के गरीब वर्गों के लोगों के एक सच्चे नायक थे। और पहली बार 'खालसा राजÓ की स्थापना की और भूमि का अधिकार उसे जोतने वालों को दिया, इतना ही नहीं उन्होंने गुरु साहिब के नाम पर सिक्के भी जारी किए।पंजाब सरकार की ओर से शुरू किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल राज्य और सिखों की विरासत के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और उन्होंने छोटा और बड़ा घल्लुघारा सहित कई अन्य स्मारकों का निर्माण करवाया है। इसके अलावा सभी धर्मों के पवित्र अवसरों को पूरे उल्लास के साथ मनाने के उपाय भी किए हैं।पंजाब के युवाओं को ड्रग्स का आदि बता कर और यहां की पूरी जवानी ब्रांडिंग कुछ इस तरीके से कर पंजाब को बदनाम करने की कोशिश कर रहे लोगों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब विरोधी और पंथ विरोधी लोगों ने अपने मन से इस खतरनाक ईरादे को डिजाइन किया है। इस तरह के असामाजिक तत्वों राज्य में बड़ी मेहनत से प्राप्त की गई शांति को खत्म करना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि पंजाब सरकार ऐसी ताकतों की नापाक योजनाओं को सफल करने की अनुमति नहीं देगी।
युवाओं से राज्य की समृद्ध और उदात्त पारंपरिक इतिहास में गर्व का अनुभव करने का आह्वान करते हुए स. सुखबीर सिंह बादल ने बड़ों व बुजुर्गों से आह्वान किया कि वे ऐसे अवसरों पर अधिक से अधिक युवाओं को अपने साथ लाएं क्योंकि यह हमारे युवाओं का मार्गदर्शन करने का सबसे अच्छा तरीका है कि वे अपनी शानदार सांस्कृतिक जड़ों और पंजाब के इतिहास से रूबरू हो सकें। वो इतिहास जो हमारे शहीदों द्वारा किए गए कई बलिदान से भरा पड़ा है।सिख नायक बाबा बंदा सिंह बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि इतिहासकारों ने उनके बलिदान सम्बन्धित सही तथ्यों को लोगों तक पहुँचाने की कोशिश नहीं की, जिससे लोगों खास कर नौजवानों को इस राष्ट्रीय नायक के महान जीवन प्रति अवगत करवाया जाये, जो जालिम हकूमत खिलाफ लडऩे के लिए हजारों लोगों को प्रेरित करती है।देश के लिए खालसा पंथ के महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि खालसा पंथ ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए सुरक्षा कव्च वाली भूमिका निभाई है।
1984 के सिख कत्लेआम के पीडि़तों प्रति गहरी हमदर्दी जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र इस मुद्दे को हल करने प्रति बेहद गंभीर है और पीडि़तों की संतुष्टि होने तक हम सभी यत्न करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से इस बेहद संवेदनशील मुद्दे की गहराई से जांच करने विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) का गठन पहले ही किया जा चुका है। 286 मामलों में से 22 मामलों की फिर से पड़ताल अपेक्षित है। गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने सिख वर्ग को विश्वास दिलाया कि इस दुखांत के पीडितों को कानून मुताबिक इन्साफ जरूर दिलाया जायेगा।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थिति दर्ज करवाने वालों में पंजाब विधान सभा के स्पीकर डा. चरणजीत सिंह अटवाल, कैबिनेट मंत्री डा दलजीत सिंह चीमा, श्री बिक्रम सिंह मजीठिया, श्री मदन मोहन मित्तल, श्री परमिंदर सिंह ढींढसा, जत्थेदार तोता सिंह, श्री सुरजीत सिंह रखड़ा, मुख्य संसदीय सचिवों में श्री एनके शर्मा, श्री प्रकाश चंद गर्ग, श्री गोबिंद सिंह लोंगोवाल और संत बलबीर सिंह घुन्नस और विधायक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) निर्मल सिंह, सदस्य राज्यसभा श्री सुखदेव सिंह ढींढसा, श्री बलविंदर सिंह भूंदड़ और लोकसभा सदस्य प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा, एसजीपीसी प्रधान जत्थेदार अवतार सिंह, डीएसजीएमसी के प्रधान श्री मंजीत सिंह जीके और महासचिव श्री मजिंदर सिंह सिरसा, एसजीपीसी के पूर्व प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडंूगर, भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रधान श्री कमल शर्मा, जिला प्रधान अकाली दल फतेहगढ़ साहिब श्री रंजीत सिंह लिबड़ा और स्थानीय अकाली नेताओं में श्री दीदार सिंह भट्टी और श्री जगदीप सिंह चीमा के अलावा सांस्कृतिक मामलों की प्रमुख सचिव श्रीमती अंजलि भावरा और विशेष प्रमुख सचिव श्री केजेएस चीमा शामिल हैं।