धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले गीता ज्ञान संस्थानम् का निर्माण कार्य गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के करकमलों से रविवार को प्रारंभ हो गया। इस अवसर पर जिओ गीता और श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा अनाज मंडी के सामने स्थित रिजोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में राज्यमंत्री कर्णदेव का बोज, हरविन्द्र कल्याण, विधायक सुभाष सुधा, अंबाला विधायक असीम गोयल, जिप अध्यक्ष गुरदयाल सुनेहड़ी, वित्तायोग सदस्य राजेन्द्र वालिया, विजय पाल, सुश्री सुमेधा कटारिया आदि ने विशेष रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में पिहोवा, कैथल, अ बाला, सहारनपुर, यमुनानगर, करनाल, सफीदो, रोहतक, बठिण्डा, गुडग़ांव, पंचकूला व अन्य शहरों से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। राज्यमंत्री कर्णदेव का बोज, हरविन्द्र कल्याण, विधायक सुभाष सुधा आदि ने कुरुक्षेत्र में बनने वाले इस गीता ज्ञान संस्थानम् के लिए प्रदेश सरकार तथा अपनी ओर से तन-मन-धन से हर संभव सहयोग देने की घोषणा की। राज्यमंत्री कर्णदेव का बोज ने कहा कि भगवत् गीता नि:संदेह हमारी आस्था का गौरव ग्रन्थ है और जीवन जीने का सुन्दर सुव्यवस्थित ढंग है। साथ ही यह स पूर्ण जीवन विज्ञान है। ऐसे में कुरुक्षेत्र की धरा पर बनने वाले गीता ज्ञान संस्थानम् से पूरी दुनिया में बीता का प्रचार-प्रसार होगा और कुरुक्षेत्र की याति दुनियाभर में फैलेगी।
घरौंडा से विधायक एवं मंत्री हरविन्द्र कल्याण ने भी गीता की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि मनुष्य अपने जीवन में गीता को उतार ले तो वह तमाम चिंताओं, समस्याओं और तनाव से मुक्ति पा सकता है। अंबाला विधायक असीम गोयल ने भी कार्यक्रम में उपस्थित जनसूह को गौग्रास सेवा करने और गीता के उपदेशों को जीवन में उतारने का आह्वान किया। नगर विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि हजारों वर्षों से अब तक कुरुक्षेत्र को महाभारत की भूमि के नाम से जाना जाता है। कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान संस्थानम् की स्थापना दुनियाभर में गीता का प्रचार-प्रसार करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी के प्रयासों से अब कुरुक्षेत्र को केवल महाभारत की भूमि के नाम से नहीं बल्कि श्रीमद्भगवतगीता की जन्मस्थली के नाम से दुनियभर में जाना जाएगा।गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कार्यक्रम में मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गीता ज्ञान संस्थानम् की स्थापना केवल कुरुक्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि समस्त हरियाणा के लिए एक गरिमामयी उपलब्धि होगी। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गाया गया आलौकिक गीत होने से हमारी आस्था है, हमारा गौरव है। ये केवल हिन्दुओं के लिए नहीं अपितु समूचे मानव जगत के लिए एक अनूठी पे्ररणा है। यही कारण है कि इसमें बार-बार सर्वभूतेषु, सर्वभूतानाम आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है।
उन्होंने कहा कि गीता जीवन का गीत है, यदि मनुष्य चाहता है कि उसके जीवन का गीत बेसुर ताल न चले, सुरीला-रसीला बने तो उसे गीता से अवश्य जुडऩा चाहिए। गीता के अध्ययन-मनन-चिन्तन से मनुष्य अपने जीवन को सही दिशा की ओर ले जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि गीता सबका एवं सबके लिए ग्रंथ है, इसलिए सभी लोगों को गीता पाठ करना चाहिए। स्वयं को गीता की पे्ररणाओं से जोड़कर अपनी कुवृत्तियों, दुराचारों को त्यागकर एक सुखद एवं खुशहाल समाज के निर्माण में अपना योगदान देना होगा। इस मौके पर समिति से जुड़े मदन मोहन छाबड़ा, उपेन्द्र सिंघल, सुनील वत्स, विजय नरूला काका, महिन्द्र सिंगला, हंसराज सिंगला, खरैती लाल सिंगला, पवन शर्मा, फतेहचंद गांधी, मीडिया प्रवक्ता डा. राजेश वधवा भी मौजूद थे।गौरतलब है कि गत 4 मार्च 2016 को गीता ज्ञान संस्थानम् का शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित हुआ था जिसमें सरसंघसंचालक मोहन भागवत, प्रदेश के मु यमंत्री, राज्यपाल, हरियाणा के राज्यपाल, स्वामी रामदेव, स्वामी अवधेशानंद जी, ऋत बरा दीद, रमेश भाई ओझा, बाबा भूपेन्द्र सिंह, स्वामी परमान्मानंद, गुरुशरणानंद जी सहित संत समाज के अनेक महात्माओं के अलावा प्रदेश सरकार में शामिल लगभग सभी मंत्रियों और विधायकों ने भाग लिया था।