जिलों में कॉलेज नहीं हैं, स्कूलों में बेंच-कुर्सी और बिजली नहीं है और छात्र शिक्षा के लिए राज्य के बाहर जा रहे हैं। यही झारखंड की सच्चाई है लेकिन मुख्यमंत्री रघुबर दास की सरकार इस सुधार के लिए गति बढ़ा रही है। प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिव अजय कुमार सिंह ने आईएएनएस को बताया, "मौजूदा वित्तीय वर्ष में पॉलिटेक्निक और तकनीकी संस्थान सहित 100 कॉलेजों का निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो अगले दो-तीन वर्षो में पूरा हो जाएगा।" यह मामला देर आए दुरुस्त आए का है। बिहार से अलग हुए 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी झारखंड का शिक्षा क्षेत्र खंडहर बना हुआ है। 81 विधानसभा क्षेत्रों में से 35 में कोई कॉलेज नहीं है। राज्य के 11 जिलों में महिलाओं के लिए एक भी कॉलेज नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड भारत के गरीब राज्यों में से एक है जहां गरीबी के कारण अक्सर युवाओं को नौकर का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है या वे दूसरे राज्यों में जाकर बस जाते हैं। शिक्षा से इस स्थिति में सुधार कर सकती है। लेकिन पर्याप्त आधारभूत संरचना का अभाव अक्सर इस संभावना को शून्य कर देता है। पॉलिटेक्निक एवं तकनीकी कॉलेजों सहित झारखंड में कुल 428 कॉलेज हैं लेकिन राज्य को कम से कम 1000 ऐसे कॉलेजों की जरूरत है। सिंह के अनुसार, "राज्य सरकार चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ रही है। हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक डिग्री कॉलेज खोलने की योजना है।" स्नातक एवं स्नातकोत्तर डिग्री के लिए राज्य में केवल 65 अंगीभूत एवं 62 संबद्ध कॉलेज हैं। यदि हर साल पास करने वाले छात्रों की संख्या पर विचार किया जाए तो राज्य को कम से कम ऐसे 300 डिग्री कॉलेजों की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमलोग निजी साझीदारी से ऐसे संस्थान शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं शिक्षा क्षेत्र में निवेश लाने के लिए विधानसभा से पांच निजी विश्वविद्यालय कानून पारित किए गए हैं। पांच निजी विश्वविद्यालय अगले पांच साल में 1432 करोड़ रुपये निवेश करेंगे। सिंह ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार जल्दी ही चार पेशेवर कॉलेज खोलेगी। 11 राज्यों में एक भी महिला कॉलेज नहीं है। इस समस्या के निवारण के लिए कदम उठाए गए हैं। वह कहते हैं, वास्तव में सरकार सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, खूंटी, कोडरमा, चतरा, रामगढ़, पाकुड़, साहेबगंज, सरायकेला-खरसावां और लातेहार में महिला कॉलेज स्थापित करने के लिए पैसा भी आवंटित किया जा चुका है। राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिए 425 करोड़ रुपये कर्णाकित किए हैं। लेकिन यदि कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार स्थापित करना है तो प्रत्येक कॉलेज के लिए कम से कम 50 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। झारखंड के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, झारखंड में प्रति एक लाख छात्र पर आठ संस्थान हैं जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 25 संस्थानों का है।सरकार के प्रयासों से बहुत सारे कॉलेजों ने अब अधिक छात्रों को शिक्षा की सुविधा देने के लिए शाम की कक्षाएं शुरू की हैं।