भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) असम में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में गठबंधन सरकार बनाने की संभावना तलाश रहे हैं। एआईयूडीएफ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "हो सकता है कि दोनों पार्टियों ने चुनाव प्रचार के दौरान जो कुछ कहा है उससे पीछे हटना पड़े, लेकिन यह राजनीति है।"नेता ने कहा कि भाजपा ने अजमल से संपर्क किया था।
सूत्र ने कहा, "भाजपा नेता हेमंत बिस्व सरमा की अजमल के साथ कुछ दौर की चर्चा हुई है। ऐसा लगता है कि अजमल ने तय किया है कि यदि कांग्रेस पार्टी गठबंधन के लिए पर्याप्त सीटें नहीं जीत पाई, तो वह भाजपा के साथ जाएंगे।" अजमल ने मीडिया से कहा है कि सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि किसको कितनी सीटें मिलती हैं। किसे समर्थन देना है, इस बारे में हमारा फैसला इसी से प्रभावित होगा। लेकिन, वह इस सवाल को टाल गए कि क्या वह किसी भी स्थिति में भाजपा को समर्थन नहीं देने पर जोर देंगे?
असम में चुनाव शुरू होने से पहले अजमल ने कहा था कि भाजपा को समर्थन देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता और अगर तरुण गोगोई को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता, तो कांग्रेस को समर्थन दिया जा सकता है। अजमल ने वर्ष 2006 से शुरू हुई गोगोई से व्यक्तिगत नाराजगी को ताजा किया। गोगोई ने तब कहा था, "अजमल कौन हैं"?। इसी को याद करते हुए अजमल ने कहा था, "गोगोई एक असफलता हैं।" भाजपा नेतृत्व को इस बात को लेकर पूरा भरोसा है कि उसका गठबंधन स्पष्ट बहुमत नहीं भी पा सका तो भी 126 सदस्यीय विधानसभा में सबसे बड़े गुट के रूप में उभरेगा। प्रदेश भाजपा के एक शीर्ष नेता ने कहा, "हमारी पहली पसंद निर्दलीय विधायक होंगे। इसके बावजूद हमें कुछ मदद की जरूरत होगी तो केवल एक ही पार्टी है जिसके पास हम जा सकते हैं और वह है एआईयूडीएफ।" लेकिन, हर किसी को नहीं लगता कि ऐसा हो सकता है।
एआईयूडीएफ के संस्थापक हाफिज राशिद चौधरी अब समता पार्टी के साथ हैं। वह कहते हैं कि यदि अजमल भाजपा के साथ जाते हैं तो वह असम में अल्पसंख्यक राजनीति की मूल भावना से धोखा करेंगे। असम पर विस्तार से लिखने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक समीर पुरकायस्थ ने कहा, "भाजपा बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश के बाहर निकालने को तैयार है। कम से कम उनका मुख्य चुनावी मुद्दा यही है, जबकि एआईयूडीएफको अवैध रूप से भारत में घुसे लोगों की पार्टी के रूप में जाना जाता है।"
पुरकायस्थ ने कहा कि एआईयूडीएफ, कांग्रेस से गठबंधन करने को इच्छुक इस वजह से नहीं है कि वे दोनों आपस में अल्पसंख्यकों के समर्थन को लेकर प्रतिस्पर्धा में हैं। कांग्रेस भी एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करना चाहती है, लेकिन यह तभी होगा जब उसे 50 के करीब सीटें मिले और एआईयूडीएफ के भी 15 से से अधिक विधायक हों।