आप सब में महावीर बनने की क्षमता है। ठीक वैसे ही जैसे-प्रत्येक बीज में वट वृक्ष बनने की संभावना छुपी होती है, ऐसे ही प्रत्येक आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान है । इसके लिए भगवान महावीर का जीवन एक आदर्श उदाहरण है । भगवान महावीर, महावीर बनने से पहले आप और हम सबकी तरह एक सामान्य इन्सान थे। जैसे ही उन्हें महान संतों से भक्ति का मार्ग मिला तो वे तन-मन से उस मार्ग पर चल पड़े । वह मार्ग क्या है? वह मार्ग है, अपने आप को अपने द्वारा जीतना अर्थात अपने जीवन में व्याप्त काम,क्रोध, लोभ और माया को जीतना । इसके लिए श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे अपने जीवन में सहनशीलता, समता,करुणा व दया जैसे सद्गुणों का विकास करें। जो व्यक्ति अपने जीवन में इन सद्गुणों का जितना अधिक विकास कर लेता है, वह परमात्मा के उतना ही ज्यादा निकट हो जाता है।
उपरोक्त विचार जैन समाज के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की पावन जयंती पर चंडीगढ़ के सैक्टर 18 स्थित जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राष्ट्र संत युवा प्रज्ञ उप प्रवर्तक, डॉ. सुव्रत मुनि जी महाराज ने व्यक्त किये ।डॉ. सुव्रत मुनि जी महाराज के परम भक्त उच्च न्यायालय के एडवोकेट अरुण जौहर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सतपाल जैन इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। श्री जैन ने कहा कि 2600 वर्षों से ज्यादा समय पहले मानव कल्याण हेतु भगवान महावीर द्वारा दिया गया उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है । श्री जौहर ने बताया कि 1989 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से योग साधना विषय पर पी.एच.डी उपाधि प्राप्त, हिन्दी एवं संस्र्कत भाषा के विद्वान जैन संत डॉ. सुव्रत मुनि जी महाराज का इस वर्ष चतुर्मास जैन सभा, फतेहाबाद (हरियाणा) में होगा।समारोह में चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल के सैकड़ो जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अध्यक्ष विद्या प्रकाश जैन (परवाणू वाले), स्वागत अध्यक्ष पवन कुमार जैन तथा ध्वजारोहण प्रभारी श्रीमती कांता जैन के अतिरिक्त जैन स्थानक-18 के प्रधान सुकेश जैन एवं उप प्रधान सुभाष जैन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।