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आम आदमी पर बजट का मिश्रित असर संभव

	आम आदमी पर बजट का मिश्रित असर संभव
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5 Dariya News (राजीव रंजन तिवारी)

29 Feb 2016

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने २९ फरवरी को संसद में साल २०१६-१७ का आम बजट पेश किया। उद्योग जगत से लेकर आम जन तक हर किसी को मोदी सरकार के इस दूसरे बजट से काफी अपेक्षाएं थीं, लेकिन वो अपेक्षाएं पूरी होती हुई नहीं दिखी। वैसे, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही कह दिया था कि यह लोकलुभावन बजट नहीं होगा। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में २०१६-१७ का बजट पेश करते हुए कहा कि विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में तेज़ी आई है। आम आदमी को महंगाई से निजात दिलाने के लिए अरुण जेटली के इस बजट में कोई खास प्रावधान नहीं दिख रहा है। दरअसल, सरकारें साल के बीच में सेस या अधिभार लागू कर पैसा वसूलती हैं। इससे महंगाई बढ़ती है। हालिया उदाहरण है स्वच्छ भारत अधिभार। सरकार ने यह सेस नवंबर में लगाया। जनता की जेब से फ़रवरी तक १,९१७ करोड़ रुपए निकल कर सरकार की तिजोरी में चले गए। इसी तरह से बीते दिसंबर में किराए बढ़ा दिए गए। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय क़ीमतों में आई भारी गिरावट से हो रही बचत का ७०-७५ फ़ीसद हिस्सा (डीज़ल और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाकर) सरकार ख़ुद अपनी तिजोरी में रख रही है। जबकि इसका २५-३० फ़ीसद हिस्सा पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में कम करके जनता को दिया जा रहा है। अगर क़ीमतें और कम की जातीं तो इससे महंगाई भी कम होती, खाद्य पदार्थों की, क्योंकि ट्रांसपोर्ट लागत में डीज़ल की क़ीमतों का अहम हिस्सा होता है। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि होलसेल प्राइस इंडेक्स पिछले १५ महीनों से नकारात्मक रहा है, लेकिन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ रहा है। सरकार ने ये सब तो नहीं बताया था बजट में कि ऐसा करेंगे। उसी तरह इस बार भी महंगाई रोकने के लिए किसी ठोस कदम पर चर्चा होती नहीं दिखी है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २८ फरवरी को 'मन की बात' में कहा था कि बजट उनकी 'परीक्षा' है। सारे वित्तमंत्री और विशेषज्ञ बजट में वित्तीय घाटे के बारे में ख़ूब बोलते हैं। भारत की सभी सरकारें साल २००८ तक क़ानूनन देश के वित्तीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन फ़ीसदी के बराबर लाने के लिए बाध्य थीं। ऐसा फ़िस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट २००३ के तहत किया जाना था। लेकिन सरकारें ऐसा नहीं करतीं। वो संसद से इस सीमा को लांघने की इजाज़त ले लेती हैं। पिछली बार जेटली ने भी यही किया था। उनके पहले भी ऐसा हुआ है. जब संसद के पास किए क़ानून को सांसद आगे खिसका देते हैं और साल भर में वित्तीय घाटे के टारगेट रिवाइज़ होते हैं, बजट कि ओर क्यों ताकें? १२० करोड़ से ज़्यादा लोगों के इस मुल्क में ९७ फ़ीसदी लोग आयकर या इनकम टैक्स नहीं देते हैं। यह अलग बात है कि परम्पराओं के अनुरूप विपक्ष ने इस बजट को निराशाजनक तथा सत्तापक्ष ने जनहितकारी बताया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा मोदी सरकार का दूसरा आम बजट लोकसभा में पेश करने के बाद से कारें, सिगरेट और ब्रांडेड कपड़े महंगे हो जाएंगे। वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरा होने के बाद ही विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि किसानों की आमदनी को अगले पांच साल में दोगुना करने का जो वादा इस बजट में किया गया है, वह असंभव है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि बजट में ग़रीबों का कितना ध्यान रखा गया है, यह देखना होगा। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि वित्तमंत्री ने परीक्षा पास कर ली है। इस बजट में सभी के लिए कुछ न कुछ है। अगर आप अमीरों से थोड़ा लेकर ग़रीबों को दे रहे हैं तो यह अच्छी बात है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि इस साल का बजट निराशाजनक है। इसमें आर्थिक सुधारों और अर्थव्यवस्था को दिशा दिखाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया गया है। आप नेता आशुतोष ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस बजट में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक कहां हैं?

लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच वित्त वर्ष २०१६-१७ के आम बजट का भाषण शुरू करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है, वित्तीय बाजार आहत हैं और व्यापार संकुचित हुआ है। सरकार पर २०१६-१७ में सातवें वेतन आयोग और ओआरओपी खर्च का अतिरिक्त बोझ आएगा। सरकारी लाभ सिर्फ जरूरतमंदों को मिले, इसके लिए सरकार कानून बनाएगी। वैश्विक निर्यात में गिरावट के बावजूद २०१५-१६ में वद्धि दर बढ़कर ७.६ प्रतिशत पर पहुंची है। चालू खाते का घाटा घटकर १४.४ अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह जीडीपी के १.४ प्रतिशत के बराबर होगा। उपभोक्ता थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछली साल के तीन साल में ९.४ प्रतिशत रही। यह अब घटकर ५.५ प्रतिशत पर आ गई है। बजट नौ क्षेत्रों- कषि क्षेत्र, ग्रामीण ढांचा, सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा एवं कौशल विकास, जीवनस्तर में सुधार, वित्तीय क्षेत्र, कारोबार सुगमता और कर सुधारों पर केंद्रित होंगे। हमें ढांचागत सुधारों कें जरिये अपनी बचाव क्षमता को मजबूत करना होगा। घरेलू बाजार पर निर्भर रहना होगा जिससे वद्धि सुस्त न पड़े। घोषणा की कि ई-मार्केटिंग प्लेटफार्म १४ अप्रैल, २०१६ को अम्बेडकर की जयंती पर शुरू किया जाएगा। वित्त वर्ष २०१६-१७ के लिए कषि ऋण का लक्ष्य ९ लाख करोड़ रुपये है। अपनी बड़ी घोषणाओं में उन्होंने कहा कि आधार प्लेटफार्म पर लाभ के पात्र लोगों के लिए कानून बनाया जाएगा। मनरेगा के लिए २०१६-१७ में ३८,५०० करोड़ रुपये का प्रावधान है। साथ ही एक मई, २०१८ तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जाएगी। कषि क्षेत्र के लिए ३५,९८४ करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की। २०१६-१७ में डेढ़ करोड़ गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन के लिए २,००० करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया।

वित्त मंत्री के मुताबिक सरकार संगठित क्षेत्र में कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन देगी। ढांचागत क्षेत्र के लिए २०१६-१७ में २,२१,२४३ करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन के लिए उन्होंने ९,००० करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की और कहा कि छह करोड़ ग्रामीण परिवारों के लिए डिजिटल साक्षरता योजना शुरू की जाएगी। २०१६-१७ में ग्राम सड़क योजना सहित सड़क क्षेत्र के लिए कुल ९७,००० करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा जबकि ग्रामीण विकास के लिए ८७,७६५ करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत ३,५०० मेडिकर स्टोर खोले जाएंगे। अगले तीन साल में एक करोड़ युवाओं को कुशल बनाया जाएगा। 

एनएचएआई, आरईसी और नाबार्ड अगले वित्त वर्ष में पूंजी बाजार से ३१,३०० करोड़ रुपये जुटाएंगे। कौशल विकास कार्यक्रम के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए १,५०० बहु कौशल प्रशिक्षण संस्थान खोले जाएंगे। नौकरी पेशा लोगों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि इपीएफ में ८.३३ प्रतिशत का योगदान सरकार करेगी। प्रति परिवार एक लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान करने के लिए एक नई स्वास्थ्य सुरक्षा योजना दी जाएगी और ६० साल से उपर के लोगों को इस योजना में ३०,००० रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। वित्त वर्ष २०१६-१७ में बुनियादी ढांचा के लिए कुल परिव्यय २.२१ लाख करोड़ रुपये है और सार्वजनिक परिवहन में परमिट कानून को समाप्त करना हमारा मध्यावधि का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत इस साल फरवरी तक ढाई करोड़ छोटे व्यवसायियों को एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया। अगले वित्त वर्ष में १.८० लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरण का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि बजट में सागरमाला परियोजना के लिए ८,००० करोड़ रुपये का प्रावधान है। साथ ही वर्ष २०१६-१७ में रेल और सड़क के लिए कुल आवंटन २.१८ लाख करोड़ रुपये रखा है।बहरहाल, पूरे बजट की गहन समीक्षा के बाद इस मुकाम पर पहुंचा जा रहा है कि बजट में भविष्य की योजनाओं पर फोकस किया गया है। जिसे सत्तापक्ष के लोग दूरदर्शी करार दे रहे हैं। जबकि आम आदमी प्रत्यक्ष और तुरंत लाभ लेने के चक्कर में था, जो उसे नहीं मिल रहा है। यूं कहें कि तुरंत और ज्यादा प्रत्यक्ष लाभ न मिलने से आम लोगों में इस बजट के प्रति उदासीनता भी दिख रही है। यूं कहें कि अपने मन की बात में प्रधानमंत्री आम बजट को लेकर जिस परीक्षा की बात कह रहे थे, उस परीक्षा में जनता की ओर से  सरकार के मनमुताबिक नम्बर नहीं मिल सकते।

संपर्कः राजीव रंजन तिवारी, द्वारा- श्री आरपी मिश्र, ८१-एम, कृष्णा भवन, सहयोग विहार, धरमपुर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), पिन- २७३००६. फोन- ०८९२२००२००३.

 

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