बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन की शानदार सफलता के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) बहुत जल्द एक होने वाले हैं। जद-यू के राष्ट्रीय महासचिव सांसद के.सी. त्यागी ने आईएएनएस को साथ बातचीत के दौरान ऐसे संकेत दिए।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और जदयू अध्यक्ष शरद यादव इस कवायद में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश की कई अन्य छोटी राजनैतिक पार्टियों को साथ लाने की बात चल रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो मार्च के आखिर तक नए दल की घोषणा हो सकती है।
यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी जोड़-तोड़ तेज हो गई है। जद-यू जहां बिहार से बाहर विस्तार चाहता है, वहीं रालोद अपने आधार को पूरे यूपी में फैलाना चाहता है। वंचित समूहों की क्षेत्रवार नुमाइंदगी का दावा करने वाले दल भी अलग-अलग रहने से चुनावी राजनीति में पिछड़ जाते हैं। इन सभी की एकजुट करने की कोशिश हो रही है। रालोद और जद-यू में नए दल के गठन पर सहमति बन गई है। त्यागी ने कहा कि कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल, पीस पार्टी के डॉक्टर अय्यूब समेत पांच-छह अन्य छोटे समूहों से बात चल रही है। हरियाणा से इंडियन नेशनल लोकदल को साथ लाने का प्रयास हो रहा है।
त्यागी के मुताबिक मार्च में यह तस्वीर साफ हो जाएगी। नया दल बनने के बाद व्यापक जनजागरण किया जाएगा। पूरब से पश्चिम तक नीतीश कुमार, शरद यादव, अजित सिंह और अन्य नेताओं की सभाएं होंगी।त्यागी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने गांव, गरीब और किसानों के मुद्दों को समेटा था। पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियों के समूहों को एकजुट किया था। उनके निधन के बाद और दल के बार-बार विभाजन से इनकी एकता कमजोर हुई है। चरण सिंह की तर्ज पर उन्हें पहले की तरह प्रतिनिधित्व दिलाया जाएगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खास तौर से इसकी कोशिश की जाएगी।बिहार में भाजपा को हराने में महागठबंधन का प्रयोग सफल रहा था। वैसी ही शुरुआत उत्तर प्रदेश में भी की जा रही है लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि यहां स्थितियां भिन्न हैं।भले ही रालोद, जद-यू और कुछ अन्य छोटे दल एक हो जाएं, लेकिन प्रदेश में गठबंधन का करिश्मा आसान नहीं है। यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में से किसी एक को साथ लिए बिना 2017 में राजनीतिक विकल्प का परवान चढ़ना आसान नहीं है।