5 Dariya News

मकर संक्रांति

5 Dariya News ( डॉ बनीता धालीवाल )

10-Jan-2016

यह त्योहार सौर वर्ष  के हिसाब से मनाया जाता है । वैदिक एस्ट्रोलॉजी में इस दिन गोचर का सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है । सूर्य दक्षिणायन से अपनी  स्थिति बदल कर उत्तरायण हो जाता है। मकर संक्रांति सूर्य के 'संक्रमण काल' का त्योहार  भी  माना जाता है।एक साल में सूर्य १२ राशियों में भ्रमण करता है।जब सूर्य राशि बदलता है तब हर महीने संक्रांति होती है । मकर संक्राति साल में एक बार होती है।१४ जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा ।  इस लिये इस को मकर संक्रांति कहा जाता है। उत्तरायण ६ महीने  और दक्षिणायन ६ महीने का होता है। उत्तरायण का समय देवताओ का दिन और दक्षिणायन का समय रात माना जाता है । महाभारत में भीष्म पितामह ने भी मृत्यू शैया पर सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था । इस दिन लोग जल्दी उठकर नदियों और सरोवरों में स्नान करते है। 

सूर्य की पूजा करते है और सूर्य को जल चढ़ाते है । मकर संक्रांति के दिन धार्मिक सथानो में पूजा पाठ, यज्ञ किये जाते है और जगह जगह लंगर लगाये जाते है । खिचड़ी, खीर ,तिल के लड्डू और तिल से बनी हुई चीजे खाई जाती है । कई जगह मिट्टी के बर्तनो को हल्दी लगा कर उनमे अनाज,हल्दी,रुई,गन्ने और सिक्के रखे जाते है । मकर संक्रांति के अवसर पर पतंगे उड़ाई जाती है । कई जगहों पर पतंग बाजी की प्रतियोगिताएँ भी की जाती है । दक्षिण भारत में मकर संक्राति पोंगल के नाम से जानी जाती  है। पूरब भारत में भोगाली बिहू के नाम से जानी जाती है । पष्चिम भारत में उत्तरायणा के नाम से और उत्तर भारत में माघी के नाम से जानी जाती है ।