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योजना आयोग द्वारा स्वीकृत 14000 करोड़ रुपये का सेहरा अपने सिर लेने से पहले कांग्रेसी तथ्यों से वाकिफ हों- परमिंदर सिंह ढींडसा

कहा वार्षिक योजना में केंद्र का केवल 12.32 प्रतिशत (1725 करोड़ रुपये) हिस्सा जबकि पंजाब 87.68 प्रतिशत (12,275 करोड़ रुपये) की राशि अपने स्त्रोतों से एकत्र करेगा

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चंडीगढ 16-May-2012

पंजाब के वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा कहा है कि केंद्रीय योजना आयोग द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए राज्य हेतू 14000 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को मंजूरी मिलने का सेहरा अपने सिर बांधने वाले कांग्रेसी विधायक वास्तविकता से परिचित हो  क्योंकि योजना आयोग द्वारा राज्य के लिए वार्षिक योजना में से केंद्र ने 12.32 प्रतिशत हिस्सा ही डालना है जबकि पंजाब सरकार ने 87.68 प्रतिशत की राशि अपने स्त्रोतों से एकत्र करनी है। यहां जारी एक बयान में ढींडसा ने कहा कि 14000 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना के लिए केंद्र से मंजूरी लेना महज एक औपचारिकता है जबकि योजना लागू करने का लगभग संपूर्ण भार पंजाब सरकार ने खुद झेलना है। उन्होंने बताया कि 14000 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना में केंद्र ने केवल 1725 करोड़ रुपये का निगुणा सा हिस्सा ही डालना है जबकि शेष बचती राशि 12275 करोड़ रुपये की राशि पंजाब सरकार ने अपने स्त्रोतों से एकत्र करनी है। ढींडसा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती सहायता राशि को खर्च करने संबंधी भी कठोर शर्ते लगाई जाती हैं जिस कारण अधिकतर कर योजनाओं सही ढंग से लागू करने में मुश्किल आती है। 

उन्होंने बताया कि 1725 करोड़ रुपये की राशि केंद्र ने देनी है उसमें से 144 करोड़ रूपये की राशि पर अतिरिक्त केंद्रीय सहायता (एडीशनल सैंट्रल असिटैंस ) तहत दी गई है जोकि असल योजनाओं का 30 प्रतिशत हिस्सा बनता है। उन योजनाओं को लागू करने के लिए 70 प्रतिशत हिस्सा पंजाब सरकार डालती है। केंद्र द्वारा राज्यों में की जाती करो की उगाही में से पंजाब को मिलते हिससे संबंधी ढींडसा ने बताया कि अन्य राज्यों के मुकाबले पंजाब को महज 1.389 प्रतिशत हिस्सा मिलता है जबकि उत्तरप्रदेश को 19.677, बिहार को 10.917, पश्चिमी बंगाल को 7.264 मध्यप्रदेश को 7.120, आंध्रा प्रदेश को 6.973, राजस्थान को 5.853 और महाराष्ट्र को 5.199 प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय टैक्सों की उगाही के तौर पर मिलता है।