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नरेंद्र मोदी ने विज्ञान कांग्रेस में दिए '5 ई' मंत्र

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मैसूर(कर्नाटक) 03-Jan-2016

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कर्नाटक दौरे के दूसरे दिन रविवार को 103वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) का उद्धाटन किया और वैज्ञानिकों को अनुसंधान और इंजीनियरिंग के लिए 'पांच ई' के मंत्र दिए। मोदी ने कहा, "वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद अगर पांच ई के सिद्धांत पर अमल करेंगे तो विज्ञान का प्रभाव काफी बढ़ेगा।"पांच दिवसीय वार्षिक आयोजन में मोदी के दिए 'पांच ई' मंत्र में अर्थव्यवस्था (इकॉनॉमी), पर्यावरण (एनवॉयरमेंट), ऊर्जा(एनर्जी) सहानुभूति(एम्पेथी) और न्यायसंगत (इक्विटी) हैं।

मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, "वाजिब और प्रभावशाली उपाय अपनाने पर अर्थव्यवस्था का मंत्र फलीभूत होगा, पर्यावरण यानी जब हमारा कार्बन फुटप्रिंट सबसे कम होगा और ऊर्जा का मंत्र तब फलीभूत होगा जब हमारी संपन्नता ऊर्जा पर कम से कम निर्भर होगी और हम जिस ऊर्जा का प्रयोग करेंगे वह हमारे आकाश को नीला और पृथ्वी को हरा-भरा रखेगी।"मोदी ने अन्य दो ई के मंत्रों की व्याख्या करते हुए कहा, "सहानुभूति (एम्पेथी) तब आएगी, जब संस्कृति, परिस्थिति और सामाजिक बदलाव के अनुकूल प्रयास किए जाएंगे और न्यायसंगत (ईक्विटी) तब होगा, जब विज्ञान समावेशी विकास को बढ़ाएगा और सबसे कमजोर का कल्याण करेगा।"

उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि, रोजगार के अवसर और समृद्धि के लिए शहर महत्वपूर्ण इंजन हैं। हमें तेजी से बढ़ते शहरीकरण की चुनौतियों से निपटना होगा। यह सतत विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय परिस्थितियों और धरोहर को ध्यान में रखते हुए संवेदनशीलता के साथ योजना बनाकर शहरों का वैज्ञानिक रास्तों से विकास करना चाहिए। मोदी ने कहा, "वैश्विक उर्जा मांग की दो तिहाई से अधिक हिस्सेदारी शहरों की है, इसके परिणामस्वरूप 80 फीसदी तक वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन होता है। 

उन्होंने कहा कि स्वच्छ हरित उर्जा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने, सभी के लिए इसे सुगम और वहनीय बनाने के लिए हमें शोध एवं नवोन्मेष की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें शहरी योजना को स्थानीय पारिस्थितिकी और धरोहर से जुड़ी संवेदनशीलता के साथ बेहतर बनाना चाहिए और हमें ठोस कचरा प्रबंधन का व्यावहारिक एवं वहनीय समाधान निकालना चाहिए।मोदी ने कहा कि पृथ्वी का सतत भविष्य केवल इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम जमीन पर क्या कर रहे हैं बल्कि इस बात पर भी कि हम सागरों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा, "हम समुद्र या नीली अर्थव्यस्था पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हम सागरीय विज्ञान में वैज्ञानिक प्रयासों के स्तर को बढ़ाएंगे।"भारत में सशक्तीकरण और अवसरों की एक और क्रांति शुरू होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हम एक बार फिर देश के वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को मानव कल्याण और आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हमारी सफलता का दायरा सूक्ष्म कण परमाणु से लेकर अंतरिक्ष के विस्तृत मोर्चे तक फैला हुआ है। हमने खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा को बेहतर बनाया है और हमने दुनिया में अन्य लोगों के बेहतर जीवन की उम्मीद जगाई है। "

उन्होंने कहा कि जब हम अपने लोगों की आकांक्षाओं के स्तर को बढ़ा रहे हैं, हम अपने प्रयासों के स्तर को भी बढ़ाएंगे। क्योंकि 'सुशासन'. विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जोड़कर विकल्प पेश करने और रणनीति तैयार करने की व्यवस्था है। मोदी ने कहा, "हमें नवीकरणीय उर्जा को ज्यादा सस्ता, ज्यादा विश्वसनीय और ट्रांसमिशन ग्रिडों से आसानी से जुड़ सकने वाला बनाने के लिए नवोन्मेष की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि डिजिटल नेटवर्क की गुणवत्ता और लोक सेवाओं संबंधी इसकी पहुंच और गरीबों को इससे होने वाले फायदे का विस्तार हो रहा है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के केंद्र में नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी को लाने में सफल रहे। नवोन्मेष केवल जलवायु परिवर्तन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह जलवायु न्याय के लिए भी अहम है। उन्होंने कहा, "हमें वहनीय, व्यावहारिक और सस्ती स्वच्छ हरित प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए अनुसंधान एवं नवोन्मेष की जरूरत है। हमें नवीकरणीय विश्वसनीय, सस्ती उर्जा के लिए भी नवोन्मेष की जरूरत है।"भारतीय विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय 'भारत में स्वदेशी विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की तर्ज पर है। 

इस कांग्रेस में देश विदेश के प्रमुख शोध संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, उद्योगों एवं विश्वविद्यालयों से 15 हजार प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला, राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित प्रसिद्ध वैज्ञानिक सीएनआर राव भी उपस्थित थे।