5 Dariya News

हमले को पीएम के पाक दौरे से जोड़ना कितना जायज?

5 Dariya News (राजीव रंजन तिवारी)

पठानकोट (पंजाब) 03-Jan-2016

पठानकोट हमले की सुर्खियां हर किसी को सोचने पर विवश कर रही है कि आखिर अचानक क्या हुआ कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नरमी व पाकिस्तान दौरे के तुरंत बाद इतनी बड़ी घटना हो गई। सवाल यह भी उठ रहा है इस हमले को पीएम के पाक दौरे से जोड़ना कितना जायज है। हालांकि परंपरा के अनुरूप विपक्षी पार्टियां तो केन्द्र सरकार व पीएम को कठघरे में खड़ा कर रही है, जिसकी कोई खास अहमियत नहीं है। बावजूद गौर फरमाने वाली बात यह है कि जिस दिन मोदी लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मिले थे, उसी दिन से वहां के चरमपंथियों के कान खड़े हो गए। हाफिज सईद ने तो खुलेआम भारत व पाक दोनों के खिलाफ आग उगला था। इसलिए इसे सिरे खारिज कर देना भी ठीक नहीं है कि इस घटना को पीएम के पाक दौरे से नहीं जोड़ा जा सकता। बताते चलें कि जिस तरह भारत में विभिन्न जाति-धर्म के बेलगाम कट्टरपंथी किसी की बात नहीं सुनते, ठीक इसी तरह पाकिस्तान में तो चरमपंथियों के सामने सरकार को हमेशा ही नतमस्तक होना पड़ता है। 

जाहिर है मोदी-शरीफ मिलन को वहां के चरमपंथी पचा नहीं पा रहे हैं और पठानकोट जैसी घटनाओं को अंजाम देने पर तुले हुए हैं। स्वाभाविक है पठानकोट आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया पाकिस्तान दौरे पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसे नकारा नहीं जा सकता। हमले के बाद कांग्रेसियो ने तो प्रदर्शन तक किया। पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मोदी-नवाज के पुतले फूंके। आतंकी हमले की निंदा करते हुए कांग्रेसियों ने कहा कि पाकिस्तान से उफा में बातचीत और पीएम के लाहौर दौरे के बाद भारत को यह सिला मिला है। कांग्रेसी नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी-अभी पाकिस्तान से लौटे हैं, जहां उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन हमें बदले में ये मिला है। सरकार को चाहिए कि वह अपनी कूटनीति और विदेश नीति पर फिर से विचार करे। इस बीच, पाक ने भी आतंकी हमले की निंदा की है। इस बाबत पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया है। सबके बावजूद इस हमले पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है और पाक की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि पंजाब के पठानकोट में एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकी हमले में सुरक्षाबलों ने ४ आतंकियों को ढेर कर दिया। घंटों की मशक्कत के बाद मिली इस सफलता पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षाबलों को बधाई दी। मारे गए आतंकियों के बारे में कहा जाता है कि ये सभी जैश-ए-मोहम्मद से संबंध रखते हैं। जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान का खूंखार चरमपंथी संगठन है। २ जनवरी की सुबह हुए इस हमले में एक एयरफोर्स के कमांडो और ५ डीएससी गार्ड सहित ६ जवान शहीद हुए। आतंकियों से मुठभेड़ में १२ लोगों के जख्मी होने की भी खबर है। इसके तुरंत बाद एयरफोर्स स्टेशन को सेना और पारा कमांडो ने सील कर दिया ताकि अगर कोई आतंकी छिपने में कामयाब रहा हो तो वह भाग न सके। आतंकी हमले के मद्देनजर दिल्ली समेत देश के सभी बड़े शहरों और संवेदनशील इलाकों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इससे पहले दिन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल समेत तीनों सेना के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को कार्रवाई के बारे में ब्रीफ किया। वहीं रक्षा मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी से पालम एयरपोर्ट पर मुलाकात की और अपडेट दिए। खुफिया एजेंसियों को पठानकोट हमले के आतंकियों के फोन कॉल डीटेल मिले हैं। इसके तहत रात डेढ़ से पौने दो बजे के बीच आतंकियों ने पाकिस्तान में चार फोन कॉल किए थे। सूत्रों के मुताबिक, आतंकी ३० दिसंबर को गुरदासपुर से लगी सीमा से भारत में घुसे थे। बताया जाता है कि आतंकियों को बहावलपुर में ट्रेनिंग मिली और इनके हैंडलर का नाम मोहम्मद अशफाक और हाजी अब्दुल है। सभी ६ आतंकियों को वायुसेना के विमान उड़ाने का टास्क दिया गया था। आशंका जताई जा रही है कि आतंकी दो ग्रुप में बंटकर हमले के लिए निकले हैं। लिहाजा, अलग-अलग इलाकों में भी सर्च ऑपरेशन चला।

पता नहीं क्यों इतना सब होने के बावजूद पाकिस्तान के प्रति नरमी दिखाकर भारत सरकार क्या संदेश देना चाहती है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के प्रति नरमी दिखाते हुए राजनाथ ने कहा कि वह हमारा पड़ोसी देश है। हम केवल पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि सभी पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं। इतना ही नहीं हमले के बाद केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री पाक के खिलाफ बोलने में सावधानी बरत रहे हैं। मोदी की हाल की लाहौर यात्रा और दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की पहल इसकी वजह मानी जा रही है।सुरक्षा बलों ने 'जैश-ए-मोहम्मद' लिखा एक कागज का टुकड़ा आतंकियों की कार से बरामद किया है। गुरदासपुर से अगवा कार के ड्राइवर को आतंकवादियों ने सुबह में गोली मारी थी। पठानकोट आतंकी हमले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है। गृह मंत्रालय, आर्मी से जुड़े ठिकाने और तमाम अहम जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। गौरतलब है कि नए साल के आगमन पर १ जनवरी को ही एनएसए अजीत डोवाल ने वायुसेना, सेना और एनएसजी को आतंकी हमलों के बाबत अलर्ट किया था। कांग्रेस ने मोदी सरकार के पाक मामलों को निपटाने के मुद्दे पर सवाल उठाया और साथ ही प्रधानमंत्री को पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को दृढता के साथ संभालने के उनके वादे की याद दिलाई। 

कांग्रेस की ओर से कहा गया कि यह वास्तव में गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर यात्रा और नवाज शरीफ से मुलाकात के सात दिनों के बाद पाकिस्तान से एक आतंकी मॉड्यूल आता है और पंजाब में हमले करता है और हमारे अग्रिम सुरक्षा ठिकानों पर हमला करता है। दो चीजें बहुत ही स्पष्ट हैं। पहली बात कि प्रधानमंत्री की पाकिस्तान यात्रा के बावजूद आईएसआई भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को जारी रखे हुए है और मदद कर रहा है। मौजूदा मॉड्यूल पाकिस्तान से आया लगता है। इसके अलावा आतंकी शिविर जो भारत विरोधी गतिविधियां चलाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों द्वारा चलाए जा रहे हैं, उन्हें पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा समर्थन मिलना जारी है। पिछले २० वर्षों तक शांति रहने के बाद पंजाब में अचानक ऐसी गतिविधियां दिख रही हैं।बेशक पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर घुसे आतंकवादियों को जवानों ने मार गिराया, लेकिन इस हमले ने देश की सुरक्षा तैयारियों की पोल खोल दी है। खासकर तब जब हमले के बारे में खुफिया अलर्ट हो, बचाव की तैयारियां भी की जाएं, बावजूद इसके हमला हो जाए। इस हमले के बारे में आतंकी साजिश के बारे में सुरक्षा अमले को पूरी जानकारी थी। खुफिया रिकॉर्डिंग से पता चल चुका था कि आतंकवादी घुस चुके हैं और इसी इलाके में हमला करने वाले हैं। इसीलिए वायुसेना स्टेशन में सेना के स्पेशल फोर्सेज के २ कॉलम तैनात किए गए। इसके अलावा वायुसेना के गरुड़ कमांडो अलग से मौजूद थे। 

बावजूद इसके आतंकवादी न सिर्फ सुरक्षा का पहला घेरा तोड़ पाने में कामयाब रहे, बल्कि उन्होंने तीन जवानों को शहीद भी कर दिया। हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसको चूक मानने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर आतंकवादी आगे बढ़ जाते, तो बेहद नुकसान होता। गौरतलब है कि सुरक्षा एजेंसियों के कान तभी खड़े हो गए थे, जब आतंकवादियों ने गुरुदासपुर के एसपी को अगवा किया। उन्होंने एसपी को छोड़ दिया और ड्राइवर को मार कर कार लेकर भाग खड़े हुए। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब सुरक्षा में चूक हुई हो। तमाम तैयारी, खर्चों और दावों के बावजूद पिछले छह महीनों में यह तीसरा बड़ा आतंकवादी हमला है। चूक बीएसएफ की भी है और राज्य पुलिस की भी। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कहना है कि आतंकवादियों को रोकने की ज़िम्मेदारी राज्य की नहीं है। हम अलर्ट थे, इसीलिए नुकसान कम हुआ। उधर, शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा कि यह हमला बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के पीएम के लाहौर में रुकने के बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि हम राजनीति नहीं करना चाहते लेकिन यह तथ्य है कि द्विपक्षीय शांतिवार्ता और आतंकवादी हमले साथ-साथ हो रहे हैं। बहरहाल, इस हमले को मोदी की लाहौर यात्रा से जोड़ा जाए या नहीं, यह बड़ा सवाल है। लेकिन हालात तो अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं।

संपर्कः राजीव रंजन तिवारी, द्वारा- श्री आरपी मिश्र, ८१-एम, कृष्णा भवन, सहयोग विहार, धरमपुर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), पिन- २७३००६. फोन- ०८९२२००२००३.