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युवक का दिल बन गया था गोला, फोर्टिस ने खोला

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नई दिल्ली 29-Dec-2015

नोएडा निवासी 25 वर्षीय राहुल (बदला हुआ नाम) लगातार सांस उखड़ने और मामूली सा श्रम करने पर भी दिल की धड़कन बढ़ जाने की समस्या से ग्रस्त था। उसके लिए दैनिक कार्य करना भी चुनौती बन चुका था। आमतौर पर यह हृदय संबंधी कई रोगों का सामान्य लक्षण है, लेकिन 25 वर्ष की उम्र में ऐसा होना सामान्य नहीं था। जांच में पता चला कि वह दिल के एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार से ग्रस्त था, जिसमें उसका हृदय मांसपेशियों के एक गोले जैसा बन गया था और रक्त प्रवाह को बाधित कर रहा था। 

इस तरह के मामले में कई चुनौतियां पेश आती हैं और अब तक बेहद कम मामलों में ही इस रोग के लिए सर्जरी की गई है।राहुल के इस दुर्लभ रोग के इलाज के लिए नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियाक थोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. वैभव मिश्रा के नेतृत्व में उनकी सफल सर्जरी की गई। इस गंभीर स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में एचओसीएम या हाइपरट्रॉफिक ऑस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है, जिसमें मांसपेशी का एक हिस्सा काफी मोटा हो जाता है, जिसकी वजह से रक्तप्रवाह बाधित होने लगता है। 

इसके कारण मरीज की हृदय गति अचानक रुक सकती है और उसकी मौत तक हो सकती है। इसके अलावा इस रोग के 20 प्रतिशत मरीजों के हृदय के मिट्रल वाल्व में भी असामान्यता होती है। यह मरीज इन दोनों ही विकारों से ग्रस्त था, जिसके इलाज के लिए बाएं वेंट्रिकल में मौजूद रक्तप्रवाह को बाधित करने वाली स्थिति में सुधार किया गया और उनके हृदय के मिट्रल वाल्व को भी बदलकर उसके स्थान पर कृत्रिम वाल्व लगाया गया।सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले डॉ. वैभव मिश्रा ने कहा, "इस स्थिति में रक्त प्रवाह को फिर से सामान्य करने के साथ ही वाल्व की मरम्मत करने की चुनौती भी थी। यह एक ऐसा दुर्लभ अनुवांशिक विकार है, जिसके कारण दुनियाभर के कई विख्यात युवा खिलाड़ियों की अचानक हृदयाघात से मौत तक हो चुकी है।"

डॉ. वैभव ने बताया, "40 वर्ष की उम्र से पहले होने वाली मौतों में से 50 फीसदी इस विकार के कारण होती हैं, लेकिन इसकी सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण होती है। लेकिन सौभाग्य से इस मामले में हम मरीज की इस गंभीर समस्या का सफल इलाज करने में कामयाब हुए।"आंकड़े दर्शाते हैं कि 1,000 युवाओं में से दो एचओसीएम से पीड़ित होते हैं।यह दुर्लभ विकार गुणसूत्र 14 के एक जीन में बदलाव आने के कारण होता है। इसके परिणाम स्वरूप मरीज को सांस लेने में कठिनाई होती है, वैंट्रिकल्स और फेफड़ों की रक्त धमनियों में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है और गंभीर किस्म का एरिथमियास यानी हृदय के असमान संकुचन की शिकायत बढ़ जाती है। 

फोर्टिस अस्पताल नोएडा के क्षेत्रीय निदेशक गगन सहगल के मुताबिक, "अध्ययन बताते हैं कि आजकल युवाओं में विभिन्न हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, ऐसे में समय रहते निदान से समस्या को स्थिति बिगड़ने से पूर्व ही ठीक किया जा सकता है।"आंकड़ों के अनुसार, लगभग चार फीसदी भारतीयों में एचसीएम जीन मौजूद है और जीन में आने वाले इस बदलाव की वजह से लाखों लोग प्रभावित होंगे, जिसके चलते आगामी पीढ़ियों में कम उम्र में ही इस विकार के उभरने की आशंका है।