5 Dariya News

देव बड़ा छमाहू व करथा नाग का हुआ भव्य मिलन

बड़ा छमाहू के कैंप में हाजिरी भरने पहुंचे बासुकी नाग, सराज घाटी के अन्य देवी देवता भी भरते हैं बड़ा छमाहू के पास हाजिरी

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कुल्लू 25-Oct-2015

देव महाकुंभ अंतर्राष्ट्रीय दशहरा पर्व में सिर्फ  सगे संबंधियों व मनुष्यों का ही मिलन नहीं होता है बल्कि देवी देवताओं का भी भव्य मिलन होता है। देव बड़ा छमाहू सराज घाटी के अधिष्ठाता देवी देवताओं में से एक हैं। दशहरा पर्व के दौरान हजारों लोग देव बड़ा छमाहू के कैंप में आकर देवता का आशीर्वाद लेते हैं। यही नहीं देव बड़ा छमाहू के कैंप में सराज घाटी के अन्य देवी देवता भी मिलन करने आते हैं। इस कड़ी में सराज घाटी के पलदी क्षेत्र के कांढ़ी सेहुली के देव करथा नाग देवता बड़ा छमाहू से मिलने आए और भव्य मिलन हुआ। देव परंपरा के अनुसार इन दो देवताओं का मिलन जहां संसार के लिए सुखमय होता है वहीं यह मिलन रोमांचकारी तब बन जाता है जब देव बड़ा छमाहू के समक्ष पहली बार वाद्य यंत्रों में फागली की धुन बजाई जाती है। 

गौर रहे कि देव बड़ा छमाहू के समक्ष आम दिनों में कभी भी फागली नहीं बजाई जाती है लेकिन दशहरा पर्व के दौरान देवता बड़ा छमाहू की कमर में भी करथा नाग का मोहरा स्थापित होता है। जबकि आम दिनों में देवी शक्ति का मोहरा देव बड़ा छमाहू की कमर में स्थापित होता है उस दौरान फागली की धुन बजाना बर्जित रहता है। देवता करथा नाग व बड़ा छमाहू के मिलन को देव संस्कृति में अति महत्वपूर्ण माना जाता है। जैसे ही देवता करथा नाग देवता बड़ा छूमाहू से मिलन हुआ तो करथा नाग ने अपने कैंप में जाने से इंकार कर दिया और वहीं पर देव बड़ा छमाहू के कैंप में ही रहने के आदेश

हारियान को दिए। इसके बाद देवता छोटा छमाहू पलदी व बासुकी नागए ब्रह्मा के अलावा खोडू खरीडू, पटरूणू, बनशीरा आदि देवता भी बड़ा छमाहू से मिलने करेंगे। सनद रहे कि देव बड़ा छमाहू सराज घाटी में सबसे बड़ा देवता माना जाता है। सिर्फ मनुष्य ही इस देवता को बड़ा नहीं मानते बल्कि देवता भी अपने बड़े अिधष्ठाता देव के पास माथा टेकने आते हैं। छमाहू का संधि विछेद अर्थ है छ: जमा मुंह यानि कि छ: समूह का एक देवता जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदी, शक्तिए शेष। माना जाता है कि इसी छ: समूह की शक्ति ने सृष्टि की रचना की है और जब प्रलय भी हुई तो उसके बाद भी सृष्ट की रचना

इन्हीं देवों ने मिलकर की थी। सृष्टि की रचना के बाद ही छरू समूह का एक देवता देव बड़ा छमाहू बने हैं। सराज घाटी में देव बड़ा छमाहू के चार रूप हैं और अलग अलग स्थानों पर चार देव रथ भी हैं जिसमें पलदी छमाह, धामणी छमाहू, जिला मंडी के खंणी छमाहू शामिल है जबकि धाराखरी गांव में शक्ति का रथ भी मौजूद हैं। लेकिन जब देव बड़ा छमाहू का रथ कहीं मौजूद हो तो सभी देवी देवता एक ही रथ में समाहित होते हैं। यही नहीं देवता की जहां हार कोटला, चकूरठा,गोपालपुर तक है तो वहीं दूसरी तरफ क डौण धाउगी से लेकर शाक्टी मरौड़ तक हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र के सभी ग्रामीण देवी देवता देव बड़ा छमाहू को सबसे बड़ा देव मानते हैं।