5 Dariya News

म्यूनिसपल ठोस वेस्टेज़ प्रबंधन ही स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का मुख्य स्त्रोत-अनिल जोशी

पीएमआईडीसी ने म्यूनिसपल ठोस वेस्टेज़ प्रबंधन में दरपेश चुनौतियां विषय पर लगाई एक दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला

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चंडीगढ़ 22-Sep-2015

स्थानीय निकाय संबंधी मंत्री अनिल जोशी ने शहरों की साफ सफाई के लिए आरंभ किये म्यूनिसपल ठोस वेस्टेज़ प्रबंधन मॉडल को सफल बनाने के लिए सरकारी एवं निजी क्षेत्रों और गैर सरकारी संगठनों को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। जोशी आज यहां पंजाब म्यूनिसपल इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेल्पमैंट कौंसिल (पीएमआईडीसी) द्वारा लगाई एक दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का उद्घाटन करने के पश्चात संबोधित कर रहे थे। भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के नेतृत्व में करवाई इस कार्यशाला में पंजाब के  समस्त निगमों के मेयरों एवं आयुक्तों के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसपगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, कर्नाटक, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, आसाम, जम्मू एवं कशमीर, बिहार एवं मणिपुर राज्यों की म्यूनिसपेल्टियों के अधिकारी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित हुये। 

जोशी ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को ठोस वेस्टेज़ प्रबंधन संबंधी जागरूक करने की आवश्यकता है और इस संबंध में उठाये गये विभिन्न कदमों को पेश चुनौतियों का हल ही लेागों के सहयोग और जागरूकता से ही ढूंढा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए स्वपनमयी प्रोजेक्ट ‘ स्वच्छ भारत मिशन ’ एक वर्ष पहले देश के इतिहास में एक विलक्षण उद्यम के तौर पर आरंभ किया गया था जिससे लोगों में बहुत जागरूकता फैली है। विशेषकर स्कूलों के बच्चों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है जोकि साकारत्मक कदम है। स्थानीय निकाय मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन की सफलता ठोस वेस्टेज प्रबंधन पर टिकी है। इसलिए पंजाब सरकार ने इसकी अहमियत को समझते हुये ठोस वेस्टेज प्रबंधन तहत राज्य की 164 म्यूनिसपेल्यिों को 8 कलस्टरों में बांटा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही चार कलस्टरों की बोली प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जबकि शेष 4 कलस्टरों के टैंडर भी शीघ्र ही जारी हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक ढंग से वेस्टेज़ का प्रबंध किया जाना आधुनिक समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है जहां कि वेस्टेज़ को अलग कर वैज्ञानिक ढंग से प्रॉसेसिंग की जाती है। 

इससे पूर्व स्थानीय निकाय विभाग के सचिव श्री अशोक गुप्ता ने अतिथियों और डेलीगेटों का स्वागत करते हुये कहा कि पंजाब सरकार द्वारा कलस्टर आधारित ठोस वेस्टेज़ प्रबंधन प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में इस प्रोजेक्ट को बठिंडा, फिरोज़पुर, लुधियाना और जालंधर के कलस्टरों में चलाया जा रहा है जिस तहत 70 म्यूनिसपेल्टियां आती हैं जोकि 1900 टन वेस्टेज उठाती हैं। उन्होंने बताया कि वेस्टेज़ की प्रॉसेसिंग कर बठिंडा एवं जालंधर के प्रोजेक्टों से 12-12 मेगावाट बिज़ली पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने इस प्रबंधन में आ रही मुश्किलों का जिक्र करते हुये कहा कि भूमि हासिल करना, गांववासियों का विरोध, वेस्ट जरनेटरों द्वारा बॉयो डिगराडेबल और सी साइकलिंग होने योग्य श्रेणीयों में वेस्टेज का ना बांटा जाना, म्यूनिसपल ठोस वेस्टेज़ के साथ ई-वेस्ट का निपटारा करने से गुरेज़ किये जाने आदि कई पक्ष हैं जो स्वच्छ भारत मिशन की सफलता की राह में कठिनाईयां खड़ी कर रही हैं। 

उन्होंने कहा कि इन मुश्किलों का हल हम सभी को मिलकर निकालना पड़ेगा। भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती शोभा ठाकुर ने इस अवसर पर बोलते हुये कहा कि देश में रोजाना 1.7 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पैदा हो रहा है जिससे निपटना समय की सबसे बड़ी मांग है। उनहोंने कहा कि इसमें से लगभग आधा कूड़ा देश के बड़े निगर निगमों में पैदा हो रहा है जिसकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। उन्होंने कहा कि बड़े शहरों कें लिए ठोस वेस्टेज़ का प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस प्रबंधन का सफल बनाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला लगाकर बहुत बढिय़ा प्रयास किया गया है जिससे दरपेश चुनौतियों का हल निकालने में सफलता मिलेगी। उद्धघाटनी स्तर के अंत में अतिथियों और डेलीगेटस का धन्यवाद करते हुये पी एम आई डी सी के सी र्ईओ श्री जे एम बालामुरगन ने कहा कि जनसंख्या की बढ़ौतरी और शहरीकरण से वेस्टेज़ प्रबंधन बड़े शहरों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। 

उनहोंने कहा कि इस विषय की तरफ ध्यान देना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इसका प्रत्यक्ष संबंध शहरियों के स्वास्थय एवं स्वच्छता से है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्धेश्य इस क्षेत्र में दरपेश समस्याओं का पता लगाना, निम्न स्तर पर शहरों का प्रबंध देख रहे निगमों के मेयरों/आयुक्तों का सुझाव लेकर इसके हल के लिये नीति तैयार करना है। उन्होंने कहा कि आज एक ही मंच पर केंद्र एवं राज्य सरकार के विभाग बैठे हैं जो आपसी तालमेल से इसका बेहतर हल निकाल सकते हैं। 

मुख्यमंत्री पंजाब स. प्रकाश सिंह बादल के तकनीकी सलाहकार मेजर जनरल (सेवा निवृत) वी के भट्ट ने समस्त सत्रों की कार्रवाई का संचालन किया। कार्यशाला के दौरान विभिन्न सत्रों में बिज़ली तैयार करने आदि में आती मुश्किलों संबंधी विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला के अंत में स्वच्छ भारत मिशन को और सफल बनाने के लिए सभी मुश्किलों के हल के लिए एकत्र की सिफारिशें, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को सौंप दी ताकि इस संबंधी कारगर नीति तैयार कर लागू की जाये। इस कार्यशाला के दौरान विभिन्न राज्यों से संबंधित विभागों के अधिकारी, निगमों के मेयर एवं आयुक्त, पंजाब के मुख्य संसदीय सचिव श्री के डी भंडारी, विधायक स. परगट सिंह, पंजाब की विभिन्न नगर निगमों के मेयर/आयुक्त, म्यूनिसपल स्वास्थय अधिकारी, कार्य साधक अधिकारी, इंजीनियर आदि उपस्थित हुये।