5 Dariya News

हिमाचल में वन अधिकार कानून करने को केंद्रीय मंत्री से मिला एचएनए शिष्टमंडल

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नई दिल्ली 09-Sep-2015

हिमालय नीति अभियान का एक शिष्टमंडल दिल्ली में आदिवासी मामलों के  केंद्रीय मंत्री जुओल ओराम से मिला और उनको हिमाचल प्रदेश वन अधिकार अधिनियम को लागू करने के संदर्भ में प्रदेश सरकार की दोहरी नीतियों की जानकारी दी। यह जानकारी देते हुये हिमालय नीति अभियान के प्रैस सचिव धर्मचंद यादव ने बताया कि केंद्रीय मंत्री के साथ हुई मुलाकात के दौरान शिष्टमंडल द्वारा उनको एक लिखित दस्तावेज़ दिया गया। जिस में वन अधिकार कानून को लागू करने में प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही कानूनी अवहेलनाओं का विस्तृत ब्योरा पेश किया गया। हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह के नेतृत्व में आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री जुओल ओराम से मिले शिष्टमंडल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि हिमाचल प्रदेश का वन विभाग आदिवासियों  व अन्य परंपरागत वन निवासियों को  वन अधिकार के दावे उक्त कानून के तहत पेश करने से रोकने के लिए उन के विरुद्ध नाजायज कब्जा के मुकदमे दर्ज कर रहा हैं और कई सेब के बगीचे काट दिए गए तथा कई बगीचों के सेब वन विभाग ने तोड़ कर बेच दिए, जो सरासर गैर  कानूनी है। 

इसके अलावा कई घरों  के बिजली पानी के कनेकशन काट दिए गए हैं, ऐसे में हिमाचल प्रदेश मेें उच्चतम न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना और अवमानना हो रही है। गुमान सिंह व अन्यों ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि प्रदेश में अभी वन अधिकार कानून लागू करने कि प्रक्रिया जारी है तथा वन अधिकार के दावे पेश किए जा रहे हैं। जबकि वन अधिकार कानून 2006 में प्रावधान है कि जब तक वन निवासियों (जिस में हिमाचल के सभी किसान शामिल हैं) के वन अधिकारों के दावों की मान्यता और सत्यापन की कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती है, तब तक उन की वन भूमि पर किए गये दखल से किसी भी तरह की बेदखली की कार्यवाही नहीं की जा सकती है।गुमान सिंह ने यह भी बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों में यह साफ तौर पर कहा गया है कि वन अधिकार कानून 2006 जब तक पूरी तरह से लागू नहीं होजाता है तब तक आदिवासियों  व अन्य परंपरागत वन निवासियों को वन भूमि पर से बेदखल नहीं किया जा सकता है। इस तरह से बेदखली पर मान्यता और सत्यापन की कार्यवाही पूरी होने तक रोक लगा दी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि ऐसे में हिमाचल सरकार द्वारा की जा रही यह कार्यवाही तुरंत रोकी जाए और साथ ही हिमाचल उच्च न्यायालय में चल रहे केस में सरकार तुरंत जबाब दायर करे और कोर्ट को सूचित किया जाए कि इन कानूनी परिस्थितियों में नाजायज कब्जा  नहीं हटाया जा सकता है। 

आदिवासी मामलों के  केंद्रीय मंत्री जुओल ओराम ने हिमालय नीति अभियान के शिष्टमंडल को आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही इस कानूनी अवहेलना पर तुरंत कार्यवाही के आदेश दिए जाएंगे और प्रदेश सरकार से इस मसले पर जबाब तलबी भी की जायेगी ताकि वन अधिकार कानून 2006 पूरी तरह से लागू होने तक इस तरह की गैरकानूनी कार्यवाही को रोका जा सके। जुओल ओराम ने ने हिमालय नीति अभियान के शिष्टमंडल को आश्वास्त करते हुये कहा कि केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय उच्च न्यायालय में चल रहे केस में भी अपना पक्ष रखेगा और वन अधिकार कानून के अमलिकरण के लिए सख्त निर्देश जारी करेगा। ताकि न तो न्यायपालिका के आदेशों की उललंघना हो और न ही लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़े। इसके अलावा हिमालय नीति अभियान के शिष्टमंडल ने केंद्रीय मंत्री को एक मांग पत्र भी सौंपा, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिया कि उनकी मांगों पर वह गंभीरता से विचार करने के बाद उस पर कार्यवाही भी करेंगे। शिष्टमंडल में एनवायरोनिक्स ट्रस्ट के एस श्रीधर,हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष कुलभुषण उपमन्यू, उपाध्यक्ष आर एस नेगी सहित अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी शामिल थे।