5 Dariya News

हालैंड टरैचिंग मशीनें निकालेंगी पंजाब की सेम समस्या का हल-शरणजीत सिंह ढिल्लों

मशीनों की पहली खेप मालवा क्षेत्र में 7 दिनों के भीतर पहुंचेगी , राजस्थान एवं सरहिंद फीडर से सीपेज़ को नकेल डालने के लिए 240 करोड़ रुपये जारी

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चंडीगढ़ 03-Sep-2015

पंजाब को दरपेश सेम की समस्या जोकि मालवा क्षेत्र के बीच 80 हजार एकड़ जरखेज़ भूमि को प्रभावित कर रही है, का हल शीघ्र ही निकलने वाला है। हालैंड से इस उद्धेश्य के लिए सब-टरैचिंग मशीनें मंगाई जा रहीं हैं जोकि आगामी 10 दिनों में सब-सर्विस टरैचिंग (खुदाई) का कार्य आरंभ करने के सक्षम हैं।‘सिंचाई वाली खेती बाड़ी में सेम अते जमीन दे कल्लरपन’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर आज यहां पंजाब के सिंचाई मंत्री स. शरणजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल द्वारा सेम की समस्या का हल ढूंढने के प्रति बेहद गंभीर रूख अपनाया जा रहा है और यह उनके ही प्रयासों का परिणाम है कि सेम अधीन रकबा 1.04 लाख एकड़ से घटकर 80 हजार एकड़ रह गया है।सैंट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन एंड पॉवर (सी बी आई पी)सैंट्रल वॉटर कमिशन, इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च द्वारा पंजाब सरकार के सिंचाई विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय के जियोलजी विभाग और इंटरनेशनल कमिशन ऑन ईरीगेशन एंड ड्रेनेज़ के सहयोग से करवाई जा रही कार्यशाला की आज एक शुरूआत के अवसर पर स. ढिल्लों ने कहा कि सेम की समस्या पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का प्रभावित हो रहें हैं। 

उन्होंने कहा कि सेम से लोगों की केवल आर्थिक तरक्की ही नही प्रभावित होती बल्कि उनके स्वास्थय को भी नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि सेम वाले क्षेत्रों में कैंसर और अन्य बिमारियां भी अपने पैर पसार रही है। उन्होंने कहा कि 1997 में मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके दिशा निर्देशों तहत इस समस्या से निपटने के लिए एक स्कीम बनाई गई। वर्ष 1997 तक 1.04 लाख हैक्टयर क्षेत्र सेमग्रस्त था। वर्ष 1997-98 में स. बादल द्वारा प्रयासों स्वरूप नई ड्रेने बनने से काफी हद तक क्षेत्र को सेम से राहत मिली और सेम ग्रस्त क्षेत्र घटकर 84800 हैक्टयर रह गया। इसके बाद वर्ष 2007-08 में पुन: सरकार बनने पर स. बादल के दिशा निर्देशों अनुसार कई नई ड्रेनों तथा सब-सरफेस ड्रेनेज़ स्कीम और लिफ्ट स्कीमें बनाई गई और इन प्रोजेक्टों के संपूर्ण होने के बाद सेम ग्रस्त एरिया 60 हजार हैक्टयर रह गया। स. ढिल्लों ने आगे कहा कि राज्यों में नई ड्रेनों, लिफ्ट स्कीमों, सब-सरफेस ड्रेनज़ प्रणाली, वाइडनिंग/मॉडलिंग ऑफ ड्रेन, रिमूवल ओवर वार्डन, नई स्थानों पर बांध बनाना, ड्रेनों की सफाई, राजस्थान फीडर और सरहिंद फीडर की सीपेज़ को कम करने के लिए इंटरसेपटिंग सरफेस ड्रेने बनाने हेतू फंडों की कोई कमी नही आने दी जायेगी। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इस कार्य के लिए पहली किस्त के तौर पर 240 करोड़ रुपये जारी कर दिये गये हैं और राज्य सरकार द्वारा भी अपने हिस्से के तौर पर 80 करोड़ रुपये जारी किये जा रहे हैं। 

स. ढिल्लों ने और जानकारी देते हुये बताया कि सब-सरफेस स्कीमों के लिए पाईपों को जमीन के नीचे बिछाने के लिए 20 करोड़ रुपये की लागत से 4 टरेचिंग मशीनों को खरीदने के लिए इंटर डरेन कंपनी, नीदरलैंड को आर्डर दिया जा चुका है और यह टरेचिंग मशीनें 11 सितंबर, 2015 को हालैंड से रवाना हो जायेंगी और इसी महीने में यह टरेचिंग मशीन यहां पहुंच जायेंगी। इन मशीनों और पुरानी दो टरेचिंग मशीनों से मार्च 2017 तक 250 करोड़ रुपये के सब-सरफेस के कार्य होने की संभावना है, जिससे लगभग 53 गांवों के 12882 एकड़ रकबे को लाभ होगा। इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिकों को भी अपने तकनीकी अनुभव का उचित इस्तेमाल करते हुये इस समस्या का हल ढूंढने का आह्वान किया। इस अवसर पर सिंचाई विभाग के स. काहन सिंह पन्नू, सैंट्रल वॉटर कमिशन के चेयरमेन तथा सैंट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन ऑफ पॉवर के मुखी ए बी पांडिया, इंडियन कौंसिल फॉर एग्रीक ल्चरल रिसर्च के एग्रीक्लचरल साइंटिस्ट रिकरियूटमैंट बोर्ड के  चेयरमैन डॉ. गुरबचन सिंह, भाखड़ा- व्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन ए बी अग्रवाल और सैंट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन एंड पॉवर के सचिव वी के कांजलिया ने भी संबोधन किया। इस अवसर पर सिंचाई मंत्री के ओ एस डी श्री सहजप्रीत सिंह मांगट भी उपस्थित थे।