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प्रशासन ने नहीं प्रदान की मेले में सुविधाएं, ग्रामीणों ने नारेबाजी कर रोष प्रकट किया

5 Dariya News (राजकुमार अग्रवाल)

कैथल 25-Aug-2015

पिलनी गांव में 29 तारीख यानि रक्षाबंधन पर हर साल लगने वाले मेले को इस बार फिर असुविधा के भेट चढऩा पड़ेगा। क्योंकि रक्षाबंधन को केवल 4 दिन बचे है और प्रशासन ने एक बार भी सुविधाएं देने के लिए गांव में जाना तो दूर की बात मेले की चर्चा तक नहीं की। जिससे पिलनी ग्रामीणों में भारी रोष है और इसी रोष के चलते कल शाम ग्रामीणों ने मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर अपना रोष प्रकट किया। ग्रामीण सुरेश शर्मा, प्रषोतम, देश राज, जिले राम, जोनी, जोगिंद्र, विनय भूषण, प्रतिम जांगडा, गोपी, ईशवर, शिव कुमार, सुनिल कैत, प्रविण शर्मा, संदीप, रिंकू, कमल, बलदेव, सुखदेव, विपिन के साथ सैंकड़ों ग्रामीणों ने बताया कि पिलनी गांव में स्थित बाबा देवी दास के मंदिर का इतिहास महाभारत के समय का है और इसी लिए तब से लेकर आज तक यहां पर हर रक्षाबंधन के दिन एक विशाल मेले लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आनी मनोकामना पूरी करने व काया कष्ट रोगों को दूर करने के लिए आते है। 

उन्होंने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को काया कष्ट रोग है तो वह यहां स्थित तालब की मिट्टी अपने शरीर पर लगाता है तो उसको इस रोग से मुक्ती मिल जाती है। सभी ग्रामीणवासी आज तक भी गांव के इस नाम को श्रीकृष्ण भगवान व अर्जुन का आर्शवाद समझते है। ग्रामीणों ने पहले भी इस मामले को लेकर प्रशासन से मांग की थी मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भगती को देखते हुए वे मेले में विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करे लेकिन प्रशासन द्वारा जब आज तक इस मामले में कोई सुध नहीं ली गई तो ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर अपना रोष प्रकट किया। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल पूरे गंाव की मद्द से ही मेले गांव में लगता है और इस बार भी वे पूरे गांव की मद्द से गांव में मेला लगाएंगे और आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं ध्यान रखेंगे। 

क्या है ग्रामीणों की मांगें

गांव पिलनी में स्थित बाबा देवी दास के मंदिर में हर वर्ष रक्षा बंधन के दिन एक विशाल मेला लगता है, जिसमें हजारों की सख्यां में दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने व तलाब में स्न्नान करने के लिए आते है। जिसके चलते ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की थी कि वे मंदिर में विभिन्न सुविधाएं प्रदान करे जैसे की मंदिर तक जाने वाला रास्ता कच्चा है, यदि हल्की सी भी बारिश होती है तो सारा रास्ता मिट्टी का होने के कारण लोगों को मंदिर तक जाने में भारी दिक्कत का समाना करना पड़ेगा। दूसरी मंदिर में स्थित तालब पूरी तरह से कच्चा है, जिसकी वजह से वहां स्न्नान करने वाले श्रद्धालु केवल बहार से ही अपने शरीर पर पानी लगाते है, और वहीं दूसरी और सबसे बड़ी समस्यां मेले में आने वाली महिलाओं के लिए अलग से स्न्नान घर की कोई भी सुविधा नहीं है, जिसके बाद महिलाएं वहां स्न्नान नहीं कर सकती और मेले में होने वाले खेलों के लिए भी तो मैदान है वह कठोर मिट्टी का है, ग्रामीणों ने स्वयं हर बार की तरह इस बार भी उस मैदान को खेलने के लिए तैयार कर लिया है और मेले में होने वाले खेलों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से एक मांग ओर की है कि इस मंदिर की देख-रेख कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा की जाए, ताकि इस मंदिर में छिपी मान्यता के बारे में पूरा विश्व जान सके और इस मंदिर का नाम इतिहास के लेखों में लिखा जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन व सरकार से मेले में वे सुविधाएं प्रदान करने की मांग की थी, प्रशासन स्वयं अपनी जिम्मेवारी पर प्रदान कर सकता था, लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया।