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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया कोटला में 66वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारम्भ

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शिमला 10-Jul-2015

शिमला ग्रामीण विधानसभा की 45 पंचायतों के लिए 105 करोड़ रुपये की पेयजल योजना वन सम्पदा प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ः वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज शिमला ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र के कोटला में 66वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारम्भ करने के उपरान्त कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 1986 से हरे पेड़ों के कटान पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबन्ध की वजह से हालांकि राज्य को 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन उन्हें इस बात का सन्तोष है कि इससे हजारों पेड़ों को बचाने में सफलता मिली है, जिससे विगत दो दशकों के दौरान राज्य के वनाच्छादित क्षेत्र में वृद्धि हुई है। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने से पूर्व सेबों की पैकिंग के लिये लकड़ी के बक्से इस्तेमाल में लाए जाते थे जिसके लिये हजारों पेड़ों को काटा जाता था, जिससे वन सम्पदा का भारी नुक्सान होता था तथा इसकी आड़ में वन माफिया भी काफी फलाफूला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बागवानी से संबंधित तबकों और किसानों के विरोध के बावजूद सेबों की पैकिंग के लिए कौरूगेटिड बक्सों के उपयोग का निर्णय लिया और आज कौरूगेटिड बक्सों की जबरदस्त मांग है। इससे प्रदेश की वन सम्पदा और जीव-जन्तु व वनस्पति का संरक्षण हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को वन सम्पदा के लाभों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ हिमालयन पारिस्थितिकी को अपघटन से बचाने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए जागरूक करना है। 

इस अवसर पर उन्होंने पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री के.एन. मुन्शी को वन सम्पदा के संरक्षण की दिशा में उनके योगदान के लिए याद किया। श्री मुन्शी ने 1950 में देश की वन सम्पदा के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए पहल की थी। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश की वन सम्पदा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा मुख्यमंत्री बनने के बाद से वह वन माफिया पर नकेल कसने तथा प्रदेश की वन सम्पदा के संरक्षण के लिये समर्पित रहे हैंै। उन्होंने कहा कि इससे कार्बन क्रैडिट प्राप्त करने में मदद मिली है तथा हिमाचल प्रदेश कार्बन क्रैडिट अर्जित करने की उपलब्धि प्राप्त करने वाला एशिया का पहला राज्य बना है। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 105 करोड़ रुपये की लागत की पेयजल आपूर्ति योजना कार्यान्वित की जा रही है, जिससे आने वाले समय में क्षेत्र की 45 पंचायतों के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने सिंचाई उद्देश्यों के लिए चैकडैम बनाने और दुग्ध आधारित व्यवसाय अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने लोगों से चैड़ी पत्ती वाले और फलदार पेड़ उगाने का आह्वान किया। उन्हांेने कहा कि हरित आवरण मंे वृद्धि और बदलती पारिस्थितिक परिस्थितियों से जीव-जन्तु एवं वनस्पति को बचाने के उद्देश्य से चम्बा और कांगड़ा जिलों में 310 करोड़ रुपये की के.एफ.डब्ल्यू. जर्मन परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण एक हेक्टेयर तक की वन भूमि पर विकासात्मक गतिविधियांे के लिए स्वीकृति प्रदान करने की शक्तियां अब प्रदेश सरकार के पास हंै तथा गत वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा वन स्वीकृतियांे के लगभग 82 मामलों में मंजूरी प्रदान की गई है। श्री वीरभद्र सिंह ने वनीकरण अभियान में 3000 से अधिक स्कूली बच्चों द्वारा भाग लेने तथा गत वर्ष 5,61,000 से अधिक पौधे लगाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस वर्ष स्कूली बच्चों के अलावा काॅलेजों के विद्यार्थी भी इस अभियान में भाग लेंगे। उन्होंने वन सम्पदा के महत्व एवं लाभों के सन्दर्भ में युवाओं को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। 

वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर सफेद ओक का पौधा रोपा और इसके उपरान्त सेवाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले वन अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास और आर्थिकी में जल विद्युत और पर्यटन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और ये दोनों क्षेत्र प्रदेश की समृद्ध जैव वनस्पति सम्पदा पर निर्भर करते हैं। उन्होंने वन सम्पदा को प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ करार दिया। श्री वीरभद्र सिंह ने जाभऱी में स्वास्थ्य उपकेन्द्र खोलने और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, चलाहल (थाची) के अतिरिक्त भवन के निर्माण की घोषणाएं की। उन्होंने इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले स्कूली बच्चों को 10 हजार रुपये देने की भी घोषणा की। वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 12 हजार हेक्टेयर भूमि को लैंटाना मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसपर 19.29 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य वन विभाग की इस पहल की पूर्व में भी प्रशंसा की गई है। उन्होंने कहा कि बन्दरों के उत्पात के नियन्त्रण के लिये जून, 2015 तक 96,333 बन्दरों की नसबन्दी की गई है और बन्दरों की आबादी को नियंत्रित रखने के लिए ऊना जिला में हरोली विधानसभा क्षेत्र के ईसपुर में एक नया बन्दर नसबन्दी केन्द्र खोला गया है। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा जंगलों में फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं ताकि बन्दरों को जंगलों में पर्याप्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों और वे खाने की तलाश में गांवों व नगरों का रूख न करें। 

राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वन विभाग द्वारा चलाया गया वनीकरण अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे लोग वनों के महत्व व लाभों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान शिमला ग्रामीण क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर क्षेत्रवासियों की समस्याओं को सरकार के समक्ष उठाएंगे। प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री सुनील श्रीवास्तवा ने मुख्यमंत्री सहित उपस्थित गणमान्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने 66वें वन महोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर 45 लाख औषधीय पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बहने वाली मुख्य नदियों के जलग्रह क्षेत्र के संरक्षण के लिए कैम्पा कोष से 96 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। मुख्य संसदीय सचिव श्री नन्द लाल, पूर्व विधायक श्री सोहन लाल, राज्य वन निगम के उपाध्यक्ष श्री केवल सिंह पठानिया, हि.प्र. कांग्रेस कमेटी के सचिव श्री प्रदीप वर्मा, शिमला ग्रामीण ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री चन्द्र शेखर, हि.प्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम के निदेशक मण्डल के सदस्य श्री पी.के. गुप्ता, शिमला के उपायुक्त श्री दिनेश मल्होत्रा, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी) श्री जे.एस. वालिया, अरण्यपाल श्री आलोक नागर सहित वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तथा पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधि, महिला एवं युवक मण्डलों के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।