5 Dariya News

न्यायिक सम्मेलन में नशे की समस्या पर हुआ मंथन: जस्टिस टीएस ठाकुर

नशे को रोकने के लिए युवाओं में जागरूकता की आवश्यकता: मुख्य न्यायधीश

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मनाली 13-Jun-2015

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने कहा है कि नशीले पदार्थों की तस्करी व सेवन एक बड़ी समस्या बन गई है और इससे निपटने के लिए जांच एजेंसियों व अभियोजन पक्ष में बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर शनिवार को मनाली में नालसा के तत्वावधान में हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का विषय ‘नशीले पदार्थों की समस्या-अवलोकन, चुनौतियां और समाधान’ था। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने राजनेताओं व पंचायतीराज संस्थाओं के पदाधिकारियों से अपील की कि वे नशीले पदार्थों के उत्पादन व तस्करी को रोकने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि नशे की समस्या के समाधान पर राष्ट्रीय नीति के निर्धारण में यह सम्मेलन एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि ड्रग्स तस्करों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए पुलिस अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा उन्मूलन अभियान में पुलिस, अभियोजन और न्यायालयों के अलावा अन्य एजेंसियों, स्वयंसेवी संगठनों, शिक्षण संस्थानों और पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका भी बहुत जरूरी है। 

उन्होंने सुझाव दिया कि पंचायत चुनाव के समय उम्मीदवारों से एक हल्फनामा लेने पर विचार किया जा सकता है, जिसमें पंचायत के अधिकार क्षेत्र में भांग, अफीम आदि नशीले पदार्थों की खेती न करने शपथ ली जाए। उन्होंने कहा कि नशा विरोधी जागरूकता अभियानों में शिक्षण संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नालसा और राज्य विधिक सेवाएं समितियां भी योगदान देने को तैयार हैं। ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत करने के लिए नालसा धनराशि का प्रावधान कर सकती है। समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर ने कहा कि नशे का सेवन एक परिवार, समाज और राष्ट्र को तबाह कर सकता है। इसे रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों को पहल करनी पड़ेगी। विशेषकर युवा पीढ़ी और स्कूली बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत करवाना अति आवश्यक है। तीन दिवसीय सम्मेलन की चर्चा करते हुए मुख्य न्यायधीश ने कहा कि इसमें नशे की समस्या व समाधान के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई है, जोकि नीति निर्धारण में काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने कहा कि नशा विरोधी अभियान में सरकारी एजेंसिंयों के अलावा स्वयंसेवी संस्थाएं, लीगल एड क्लीनिक्स और पैरा लीगल वॉलंटियर्स भी अहम योगदान दे सकते हैं। इससे पहले हिमाचल उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने मुख्य अतिथि, अन्य अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा तीन दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत जानकारी दी। उच्च न्यायालय रजिस्ट्रार जनरल सीवी बरोवालिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, पंजाब, हरियाणा, उतराखंड, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायधीश, राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरणों के सचिव व अन्य न्यायिक अधिकारी भी उपस्थित थे।