5 Dariya News

फारसी और अंगे्रजी के प्रभावों ने पंजाबी भाषा को समृद्ध किया है-हरचरण बैंस

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चण्डीगढ़ 29-May-2015

प्रसिद्ध लेखक पत्रकार ओर पंजाब के मुख्यमंत्री के मीडिया व राष्ट्रीय मामले संबधी सलाहकार हरचरण बैंस ने आज पंजाबी भाषा के  साहित्य को अन्य भाषाओं के प्रभाव कबूल करने के लिए छूट देने का निमंत्रण देते हुये कहा कि अन्य भाषाओं के उचित शब्द, मुहावरे और लोकोक्तियां पंजाबी भाषा को ओर समृद्ध करेगें। उन्होने लेखकों को भाषा की शुद्धता संबधी सतर्क करते हुये कहा कि यह मूल वादी रूचि पंजाबी भाषा का अत्याधिक नुकसान करेगी। पंजाबी व अंग्रेजी भाषाओ में अपने लेखो, कालमो और विचार चर्चा के लिए जाने जाते श्री बैंस ने प्रसिद्ध कवि सुरजीत पात्र को अपील की कि वह  विध्वता पर भारी हो रहे रितिवाद और करतूतों से मुक्त होन के लिए जरूरी समझी जा रही लहर की अगुवाई करे। उन्होने कहा कि भाषा की अमीरी और रूह वास्तव में उस के लिए लेखकों व प्रवक्ताओं के खुल स्वभाव में ही विद्यमान होती है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुरजीत पात्र और पंजाबी के प्रसिद्ध कहानी कार गुलजार संधू ने भाषा के मूल सरोकारों की और मुडऩे की वजाहत  की। सुरजीत पात्र ने इस मौके विदेशी भाषाओं व पंजाबी पर बढ रहे बेमेच प्रभावों संबधी अपनी प्रसिद्ध कविता मर रही है मेरी भाषा सुनाई। पंरतु पंजाबी भाषा इतनी मजबूत और स्वस्थ्य है किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।पंजाब कृषि विश्व विद्यालय कें भाषाओं व भाषा विज्ञान संबधी आज शुरू हुई तीसरी विश्व कांफ्रैंस में बोलते हुये श्री बैंस ने कहा कि लेखकों विशेषकर पंजाबीजैसे अल्पसंख्यक भाईचारे की भाषा के लेखकों को अपनी बोली की अमीरी के लिए लगातार यत्न करने चाहिए और यह यत्न दूसरी बोलियों के प्रति लचकीला रवैया धारण करने से ही कामयाब हो सकते है। उन्होने कहा कि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण फारसी व संस्कृत भाषाओं के शब्दो व मुहावरो के कारण समृद्ध हुई पंजाबी बोली है।श्री बैंस ने कहा कि सिक्ख गुरू साहिबान विशेषकर श्री गुरू गोबिंद सिंह जी ने भाषाओं के प्रति यही रवैया और सिद्धांत अपनाया था।श्री बैंस ने कहा कि विज्ञान की उन्नति ने चितन के नये नये संकल्प सामने लाये है और हमें इनको अपनाने में कोई झिझक नही होनी चाहिए।