5 Dariya News

देश में एकीकृत बाल विकास कार्यक्रमों के लिये 197 करोड़ः डा.धनी राम शांडिल

राज्य स्तरीय बाल्यकाल देखभाल एवं शिक्षा परिषद की प्रथम बैठक आयोजित

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शिमला 27-May-2015

प्रदेश में वर्तमान में 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के डेढ़ लाख से अधिक बच्चों को 18921 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से शाला पूर्व शिक्षा प्रदान की जा रही है। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में 0-6 आयुवर्ग के बच्चों को नियमित पोषाहार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है और इन कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिये चालू वित्त वर्ष के दौरान 197 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा.(कर्नल) धनी राम शांडिल ने आज यहां आयोजित राज्य स्तरीय बाल्यकाल देखभाल एवं शिक्षा परिषद की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी।

बाल्यकाल देखभाल एवं शिक्षा परिषद के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए डा. शांडिल ने कहा कि बाल्यावस्था के दौरान शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास की सर्वाधिक संभावनाएं होती हैं और राज्य में इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये छः वर्ष की आयु तक के बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित बनाने के पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। नन्हें शिशुओं के अतिरिक्त गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को उनके घरद्वार पर पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है।

डा.शांडिल ने सम्बन्धित अधिकारियों से कहा परिषद के उद्देश्यों का प्रदेश में प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए ताकि शिशुओं का संपूर्ण विकास सुनिश्चित हो और वे सक्षम नागरिक बन सकंे। हालांकि, प्रदेश की आंगनवाडी सेवाएं देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर हैं, लेकिन कुपोषण को पूरी तरह समाप्त करने के लिये अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 0 से 30 दिनों तक के शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिये बच्चों को सूक्ष्म पोषाहार उपलब्ध करवाने के साथ इसकी गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखनी होगी। कुपोषण की समस्या से पूरी तरह निजात पाने के लिये राज्य में स्वास्थ्य और बाल विकास विभागों द्वारा क्षेत्रवार एक व्यापक अध्ययन किया जाएगा और क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुरूप आवश्यक आहार लेने पर बल दिया जाएगा तथा मॉं के दूध की महत्ता बारे जागरूक किया जाएगा।  

उन्होंने कहा कि राज्य में परिषद की नीतियों, मापदण्डों एवं अन्य प्रावधानों के योजनाबद्ध एवं समन्वयक विकास के लिये प्रभावी पग उठाए जाएंगे। बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिये राज्य की सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। आंगनवाडी परिक्षेत्र में पोषाहार वितरण ग्रामीण स्तरीय समिति की देख-रेख में निर्धारित तिथियों को किया जाएगा। इस बारे किसी प्रकार की शिकायत पर त्वरित कड़ी कार्रवाही की जाएगी। आंगनवाड़ियों में प्रत्येक दिन की गतिविधियों का ब्यौरा उपलब्ध होगा। अभिभावक महीने में एक बार आंगनवाडी केन्द्रों में निश्चित तिथि को अपने बच्चों के कार्यकलापों, विकास एवं कमियों की रिपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे।

डा. शांडिल ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये राज्य में शीघ्र ही दो प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त, चार और आंगनवाडी एवं पर्यवेक्षक प्रशिक्षण केन्द्रों का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु केन्द्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्रशिक्षण केन्द्रों के लिये 9.50 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।बाल विकास विभाग की निदेशक मधुबाला ने मंत्री का स्वागत करते हुए विभाग द्वारा संचालित परिषद की गतिविधियों का विस्तृत विवरण दिया।अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा श्री पी.सी. धीमान, प्रधान सचिव वित्त डा. श्रीकान्त बाल्दी, बाल विकास विभाग के विशेष सचिव श्री जीत राम कटवाल, स्वास्थ्य निदेशक डा. बी.एस. गुरन्ग, आईजीएमसी मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डा. रवि शर्मा और अतिरिक्त निदेशक योजना बासु सूद ने भी बैठक में राज्य में परिषद के कार्यकलापों के बेहतर कार्यान्वयन बारे बहुमूल्य सुझाव दिए।