5 Dariya News

मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा महाराजा दलीप सिंह यादगार कौम को समर्पित

5.29 करोड़ रुपये की लागत वाली महाराजा दलीप सिंह यादगार का उद्घाटन

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बस्सीयां कोठी/लुधियाना 24-May-2015

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने आज महाराजा दलीप सिंह यादगार के साथ लगती ज़मीन में बहुउद्धेश्यीय हुनर विकास प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का एलान किया , ताकि क्षेत्र के नवयुवकों को हुनरमंद बनाया जा सके।आज यहां सिक्ख राज के आखिरी शासक  महाराजा दलीप सिंह यादगार का उद्घाटन करने के पश्चात विशाल एकत्रता को संबोधित करते हुय स. बादल ने कहा कि आज के समय के दौरान रोज़गार के अवसरों के लिए प्रत्येक नवयुवक को हुनरमंद बनाना समय की आपश्यकता बन चुकी है और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया इस क्षेत्र की तरफ पहला और अह्म कदम है। उन्होंने कहा कि इस यादगार के साथ लगती जीमन में हुनर विकास सिखलाई केंद्र स्थापित होने का सबसे बड़ा लाभ रायकोट और साथ लगते क्षेत्रों के नवयुवकों को होगा। इस संबंध में उन्होंने महाराजा दलीप सिंह यादगार ट्रस्ट के प्रतिनिधियों और क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों से भी सुझाव मांगे ताकि इस प्रोजेक्ट को शीघ्र अति शीघ्र अमली जामा पहनाया जा सके। 

बस्सीयां की अहमियत का जिक्र करते हुये स. बादल ने कहा कि सिक्ख राज के अंतिम शासक महाराजा दलीप सिंह को जलावतनी के मौके अंग्रेज हकुमत ने इस कोठी में दो रात तक नज़रबंद रखा था, जिस कारण यह ईमारत सिक्ख इतिहास की अहम कड़ी को मूर्तीमान करती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में वह जब संगत दर्शन कार्यक्रम करने के लिए रायकोट में आये थे तो उस समय उन्होंने बस्सीयां कोठी का दौरा किया था, जो उस समय बहुत ही खस्ता हालत में थी। मुख्यमंत्री मंत्री ने कहा कि इस कोठी की अहमियत को समझते हुये पंजाब सरकार ने इसको राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी इंटैक से 5 करोड़, 29 लाख रुपये खर्च करके करवाया जो कि अमली रूप में आज हम सभी के सामने है। 

महाराजा रणजीत सिंह के राज को अकाली भाजपा सरकार के लिए मार्गदर्शन बताते हुये स. बादल ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह का राज इतिहास का वह सुनहरी राज था जब सिक्खों ने ना केवल अपनी राजनीतिक शक्ति स्थापित की बल्कि उनके राज में धर्म, जाति और सामाजिक रूतबे से व्यक्तियों की परख नही होती थी। उन्होंने कहा कि यह राज सही मायनों में एक धर्म निरपेक्ष राज था। उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार ने इसी राह पर चलते हुये धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत पर दृढता से पहरा दिया और राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म की स्वतंत्रता अनुसार विचरने का पूर्ण अधिकार है।सिक्खों के गौरवमयी इतिहास का जिक्र करते हुये स. बादल ने कहा कि सिक्खों संबंधी यह आम राय है कि यह कौम इतिहास को बनाना तो जानती है परंतु संभालना नही। पर अकाली-भाजपा सरकार ने इस मिथ्य को तोड़ते हुये अमीर सिक्ख विरसे की संभाल के लिए यादगारों के निर्माण का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा िक इन यादगारों के निर्माण की अहमियत इस लिए भी अधिक है ताकि हमारी आने वाली पीढिय़ों को अपने गौरवमयी इतिहास संबंधी अवगत् करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब में विरासत-ए-खालसा यादगार हमारे महान विरसे को मूर्तिमान करती है। इसी प्रकार काहनुवान में छोटा घल्लूघारा यादगार, कुप रोहीड़ा में बड़ा घल्लूघारा यादगार और चप्परचिड़ी में बाबा बंदा सिंह बहादर जंगी यादगार का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि देश के सवतंत्रता संर्घष में महान कुर्बानियां देने वाले पंजाबियों को समर्पित जंग-ए-आज़ादी यादगार करतारपुर में 200 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित की जा रही है। इसी प्रकार श्री अमृतसर साहिब में सैनिकों के महान योगदान को समर्पित जंगी यादगार का निर्माण किया जा रहा है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में नामधारी संप्रदाय का बहुमूल्य योगदान का जिक्र करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि नामधारी लहर के संघर्ष का बस्सीयां कोठी से भी गहरा संबंध है क्योंकि ब्रिटिश हकुमत इस कोठी में से ही नामधारी लहर के बहादुर योद्धाओ को सजायें सुनाती थी। 

पंजाब विधानसभा के स्पीकर डा. चरनजीत सिंह अटवाल ने महाराजा दलीप सिंह के प्रति ब्रिटिश हकूमत के व्यवहार का जिक्र करते हुये कहा कि इस अंतिम शासक की जलावतनी के दिन सिक्ख कौम के लिए बहुत ही मनहूस दिन थे कयोंकि इस समय ने सिक्ख कौम की गुलामी का आरंभ किया। समागम को संबोधित करते हुये सांस्कृतिक मामले एवं पर्यटन मंत्री स. सोहन सिंह ठंडल ने कहा कि पंजाब में गौरवमयी विरसे को दर्शाती यादगारें की स्थापना करने का सेहरा मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल को जाता है। इस अवसर पर पूर्व विधायक रणजीत सिंह तलवंडी ने क्षेत्र के लोगों की तरफ से मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल का विशेष तौर पर धन्यवाद किया। 

महाराजा दलीप सिंह यादगार ट्रस्ट के चेयरमैन प्रौ. गुरभजन सिंह गिल ने बताया कि बस्सीयां कोठी इतिहास की पहली वह यादगार है जोकि बिना नींव पत्थर से रिकार्ड समय में बनकर लोगों को समर्पित कर दी गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को यह भी सुझाव दिया कि प्रस्तावित हुनर विकास प्रशिक्षण केंद्र का नाम नामधारी संप्रदाय के मुखी सत्तगुरू राम सिंह या अन्य नामधारी शहीद के नाम पर रखा जाये। इससे पहले पूर्व मुख्य संसदीय सचिव स. बिक्रमजीत सिंह खालसा ने समस्त उपस्थित लोगों का स्वागत किया और यादगार संबंधी जानकारी दी। इस अवसर पर महाराजा दलीप सिंह संबंधी 4 पुस्तकें लिखने वाले सेवा निवृत जस्टिस अवतार सिंह गिल को मुख्यमंत्री द्वारा विशेष तौर पर सम्मान्नित किया गया। 

इस अवसर पर अन्य के अतिरिक्त सिंचाई मंत्री स. शरणजीत सिंह ढिल्लों, मुख्यमंत्री के सलाहकार स. महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल, मुख्य संसदीय सचिव स. बलबीर सिंह घुन्नस, विधायक स. मनप्रीत सिंह इयाली, विधायक श्री एस आर कलेर, अधीनस्थ चयन बोर्ड के चेयरमैन स. संता सिंह उम्मेदपुरी, मेयर नगर निगम के अतिरिक्त प्रमुख व्यक्ति नेता और बहुसंख्या में जनसमूह उपस्थित थे।