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कैग रिपोर्ट पर भाजपा सरकार का दोहरा रवैया क्यों -दीपेन्द्र हुड्डा

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चंडीगढ़ 12-May-2015

लोकसभा में आज कांग्रेस संसदीय दल के सचेतक और सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश कर पूर्ति शक्कर कारखाना लिमिटेड को भारत सरकार की इकाई इरडा द्वारा लोन के मामले की सघन जाँच की मांग रखी। उन्होंने सदन को बताया कि पूर्ति कंपनी को लोन

देने में कायदे-कानून का पालन नहीं करने तथा सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लगाने संबंधी कदाचार के तथ्य सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुए

हैं। सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ जांच कराये।ज्ञात रहे कि वर्ष 2002 में एक तरफ केंद्र में भाजपा की सरकार थी और

दूसरी तरफ श्री नितिन गडकरी लाभार्थी पूर्ति शक्कर कारखाना लिमिटेड के प्रमोटर थे। कांग्रेस सांसद ने आशंका व्यक्त करी कि कहीं इरडा पर किसी

तरह का दबाव तो नहीं था। साथ ही कहा कि जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती, तब तक केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी को अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

उन्होंने सदन को याद दिलाया कि भाजपा जब विपक्ष में थी, तब उसने सीएजी रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री तक का इस्तीफा मांगते हुए कई दिनों तक संसद की कार्यवाही चलने नहीं दी। आज सत्ता में आते ही कैग रिपोर्ट की शुचिता को लेकर उसका नजरिया बदला दिख रहा है। दीपेन्द्र ने सत्ता पक्ष से सीधा सवाल करते हुए कहा कि सरकार बताये कि पूर्ति कंपनी के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली सीएजी रिपोर्ट पर अपने पहले के रुख से क्यों पलट रही है?दीपेन्द्र ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पूर्ति समूह को 2002-03 में पिछली एनडीए सरकार के समय इरडा द्वारा कम से कम 75 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से परियोजना चलाने के लिये 84.12 करोड़ रुपयों का कर्जा दिया गया, जबकि पूर्ति कंपनी ने इरडा के साथ धोखाधड़ी करते हुए शत प्रतिशत कोयला आधारित परियोजना लगायी। ऋण खाता एनपीए होने के बाद एक मुश्त समाधान के नाम पर सरकारी खजाने को 12.77 करोड़ की चपत लगायी।