5 Dariya News

गुरू साहिबान की दुर्लभ निशानियों से सुशोभित धार्मिक दर्शन यात्रा पूरे जाहो जलाल से आरंभ

गुरुद्वारा श्री दुख: निवारण साहिब से हजारों की संगत की मौजूदगी में रवाना हुई यात्रा

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पटियाला 06-May-2015

आज यहां गुरुद्वारा श्री दुख: निवारण साहिब से परंपरागत खालसाई जाहो जलाल के साथ गुरू साहिबान के पवित्र शस्त्रों की शोभा यात्रा, हजारों की तादाद में पहुंची संगत की मौजूदगी में जयकारों की गूंज में रवाना हुई और यह शोभा यात्रा लगातार 15 दिन पूरे पंजाब में से गुजरेगी जहां संगत गुरू साहिबान के शस्त्रों के दर्शन करेगी। इस धार्मिक यात्रा में छटे गुरू श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी, नौवें गुरू श्री गुरु तेग बहादुर जी और खालसा पंथ के जनक श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी की पवित्र निशानियां एक विशेष बस में सुशोभित हैं। यह धार्मिक यात्रा पंजाब सरकार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की तरफ से संयुक्त रूप में  आयोजित की गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री श्री सुखबीर सिंह बादल, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचण सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान जत्थेदार अवतार सिंह की उपस्थिति में तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी मल  सिंह ने अरदास कर इस पवित्र यात्रा का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर पटियाला और साथ लगते क्षेत्रों से बड़ी संख्या में संगत शामिल हुई। 

श्री अकाल तख्त साहब के जथेदार सिंह साहब ज्ञानी गुरबचण सिंह ने कौम के नाम संदेश देते हुए नशे जैसी सामाजिक बुराईयों की समाप्ती के लिए अधिक से अधिक योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने ने संगत को श्री गुरु गं्रथ साहिब जी की पवित्र वाणी अनुसार जीवन जीने का भी न्योता दिया। इस विलक्षण यात्रा के लिए पंजाब सरकार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और शिरोमणि अकाली दल के  संयुक्त प्रयासों की प्रशंसा करते हुए सिंह साहब ज्ञानी गुरबचण सिंह ने कहा कि पहली बार संगत को गुरू साहिबान के  इन  शस्त्रों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि फ खर -ए-कौम श्री प्रकाश सिंह बादल के निजी प्रयासों के चलते विरासत -ए -खालसा, बन्दा सिंह बहादुर युद्ध स्मारक, छोटा और बड़ा घल्लुघारा के स्मारक आस्तित्व में आए हैं जिनसे सिख कौम को अपनी महान विरासत और बहादुरी की जानकारी हासिल होने के साथ ही पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है। उन्होंने कहा कि यह पवित्र यात्रा भी सिख विरासत के प्रचार और प्रसार की श्रंखला का ही एक हिस्सा है। इससे संगत को शस्त्रों की महत्ता बारे भी पता चल सकेगा। इस अवसर पर उन्होंने संगत को 17 से 19 जून तक श्री आनंदपुर साहिब के  35० वें स्थापना दिवस पर करवाए जा रहे समारोह में बढ़ चढ़ कर कर शामिल होने को कहा है। 

इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि आज के इस पवित्र मौके  पर हम खुद  को बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं जिन्हें गुरू साहिबान जी की पवित्र निशानियों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस पवित्र यात्रा के महत्व पर श्री बादल ने कहा कि यह यात्रा सिर्फ गुरू साहिबान के शस्त्रों  के दर्शन करने का ही मौका नहीं है, बल्कि यह शस्त्र गुरू साहिब द्वारा स्थापित किए गए खालसा पंथ के दर्शन और पहचान के प्रतीक हैं जो हमे जबर जुल्म और अन्याय विरुद्ध डटने और पीड़ीत की हिफाजत करने की याद दिलाते हैं।पंजाब को गुरूओं, पीरों, पैगंबरों और देवी देवताओं की धरती बताते हुए श्री बादल ने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से अपनी महान विरासत की संभाल करने के विशेष प्रयास किये गए हैं जिनके तहत श्री आनंदपुर साहब में विरासत -ए -खालसा, चप्पड़ चिड़ी में सिख कौम के महान सैनापति बाबा बन्दा सिंह बहादुर का स्मारक, कुप्प रहीड़ा में बड़े घल्लुघारा की यादगार और काहनूंवान में छोटे घल्लुघारा की स्मृति स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि इन स्मृति चिन्हों को बनाने का उद्वेश्य हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी महान विरासत से अवगत करवाना है, जिससे वह सीख ले सके। उन्होंने कहा कि देश के आजादी के संघर्ष में अपना बेमिसाल योगदान देने वाले पंजाबियों को समर्पित जंग -ए -आजादी स्मारक करतारपुर में दो सौ करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया जा रहा है। 

इसी प्रकार अमृतसर में भगवान वाल्मीकि जी के पवित्र स्थान रामतीर्थ में भी दो सौ करोड़ रुपए से स्मारक बनाया जा रहा है। इस अवसर पर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान और उप मुख्यमंत्री श्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज का दिन समपूर्ण मानवता के लिए पवित्र दिन है। उन्होंने शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से अपील की है कि इस धार्मिक यात्रा को राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में भी ले जाया जाए जिससे वहां की संगत भी गुरू साहिबान की दुर्लभ निशानियों के दर्शन कर सके। सिख पंथ की महान परंपराओं प्रति नौजवानों को जानकारी देने सभी धार्मिक संस्थाओं को अपना योगदान देने का आह्वान करते हुए श्री बादल ने कहा कि केवल वो कौम ही जिंदा रहती हैं जो अपनी विरासत को नहीं भूलती। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में संख्या के लिहाज से सिख सब से कम हैं परन्तु इनकी बहादुरी से पूरी दुनिया अवगत है। मुख्य मंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल के  निजी प्रयासों के चलते ही विरासत -ए -खालसा जैसी महान स्मारकों की स्थापना हुई है और यह पवित्र यात्रा भी उसी कड़ी का ही एक हिस्सा है। 

इससे पहले मुख्य मंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्य मंत्री श्री सुखबीर सिंह बादल गुरुद्वारा श्री दुख: निवारण साहिब में नतमस्तक हुए और कीर्तन का श्रवण किया। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान जत्थेदार अवतार सिंह, शिरोमणी अकाली दल के महासचिव श्री सुखदेव सिंह ढींडसा और बूढ़ा दल के प्रमुख बाबा बलबीर सिंह ने भी संगत समक्ष अपने विचार रखे। इस मौके  पर शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने यात्रा के  समपूर्ण कार्यक्रम की जानकारी दी। 

इस अवसर पर श्री सुरजीत सिंह रखड़ा, जत्थेदार तोता सिंह, श्री अजीत सिंह कोहाड़, श्री शरणजीत सिंह ढिल्लों, श्री जनमेजा सिंह सेखों, श्री सोहन सिंह ठंडल, श्री गुलजार सिंह रणीके और श्री परमिन्दर सिंह ढींडसा (सभी कैबिनेट मंत्री), मुख्य संसदीय सचिव श्री पवन कुमार टीनू और श्री एनके शर्मा, एसजीपीसी के पूर्व प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर और बीबी जागीर कौर, मुख्य मंत्री के सलाहकार श्री महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल, मुख्य मंत्री के विशेष प्रमुख सचिव श्री केजेएस चीमा, विधायक श्रीमती हरप्रीत कौर मुखमेलपुर, विधायक श्री हरी सिंह जीरा, पूर्व मंत्री श्री अजायब सिंह मुखमेलपुर, पूर्व मंत्री श्री हरमेल सिंह टौहड़ा, पूर्व मंत्री श्री सुरजीत सिंह कोहली, मेयर श्री अमरिन्दर सिंह बजाज, श्री इन्दरमोहन सिंह बजाज, श्री सुरजीत सिंह गढ़ी, श्री तजिन्दरपाल सिंह संधू, श्री सुरजीत सिंह अबलोवाल, श्री भगवान दास जुनेजा, श्री हरपाल जुनेजा, श्री गुरतेज सिंह ढिल्लों, सुखजिंदर पाल सिंह मिंटा के अलावा कई अन्य नेता भी उपस्थित रहे। 

पवित्र निशानियों में शामिल हैं

श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की पवित्र निशानियों में तीन तलवारें, कंघा सहित केश, एक दस्तार, एक चोला, एक चाबूक, पांच तीर, एक श्री साहिब(तीन इंच छोटी कृपान), लकड़ी का भाला, स्टील का छोटा भाला ,एक श्री साहिब (बड़ी कृपाण), एक श्री साहिब जिस पर सत श्री अकाल गुरू तेगबहादुर, 1713 सम्वत (1656)अंकित है, के दर्शन संगतों को करवाये जाएगें। इसके अतिरिक्त गुरू गोबिंद जी की हस्त लिखित वाणी के भी संगत को दर्शन होंगे। संगत की सुविधा के लिए विशेष बस के इर्द गिर्द 13 स्क्रीन लगाई गई हैं जिससे रात के समय में भी इन पवित्र निशानियों और इसके इतिहास पर बनी फिल्म देख सकें।पंजाब सरकार और श्री गुरूद्वारा प्रंबधक कमेटी द्वारा खालसा पंथ के संस्थापक की पवित्र निशानियों के दर्शन समूचे पंजाब के प्रत्येक कोने में संगतों को करवाने का महान प्रयत्न शुरू किया गया है क्योंकि यह पवित्र निशानियां गुरू जी द्वारा तत्कालीन कट्टर हाकिमों  की अन्याय पूर्ण, दमनकारी और धार्मिक अत्याचार , विरूद्ध शूरवीरता से लड़ी जंग के सूचक है। ये निशानियां शिरोमणि कमेटी द्वारा विशेषतौर पर तैयार किये 33 फुट लम्बे वाहन (बस)में पवित्र निशानियां सजाई गई हैं।

पवित्र निशानियों की शोभा यात्रा का विवरण

दिनांक रूट का विवरण

07-5-15   बरनाला, मानसा, मोड़, तलवंडी साबो

08-5-15   तलवंडी साबो, बठिंडा, मलोट, श्री मुक्तसर साहिब

09-5-15              श्री मुक्तसर साहिब, कोटकपुरा, फरीदकोट, फिरोजपुर, वजीदपुर

10-5-15              वजीदपुर, मोगा, कोटईसेखान, जीरा, मखू, हरिके

11-5-15              हरिके, पटटी, भिखीविंड, झबाल, तरनतारन

12-5-15 तरनतारन, जडियाला, बाबा बकाला, मेहता चौक, अमृतसर

13-5-15 अमृतसर शहर

14-5-15 अमृतसर, बटाला, श्री हरगोबिंदपुर, काहनुवान, छोटा घल्लुघारा

15-5-15 छोटा घल्लुघारा, गुरदासपुर, मुकेरिया, दसूहा, होशियारपुर

16-5-15 होशियारपुर, टांडा, भोगपुर, करतारपुर, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी(बाया तलवंडी चौधरिया)

17-5-15 सुल्तानपुर लोधी, मलसीआ, नकोदर, जांलधर, फगवाड़ा

18-5-15 फगवाड़ा, लुधियाना, फतेहगढ साहिब,

19-5-15 फतेहगढ साहिब, मोहाली, खरड़, मोरिंडा, चमकौर साहिब, रोपड़

20-5-15 रोपड़, श्री आंनदपुर साहिब।