5 Dariya News

माकपा के नए महासचिव बने येचुरी पार्टी को मजबूत बनाएंगे

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विशाखापत्तनम 19-Apr-2015

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी को रविवार को सर्वसम्मति से पार्टी का नया महासचिव चुना गया। माकपा की 21वीं कांग्रेस की बैठक के अंतिम दिन यह फैसला लिया गया। उन्होंने देश और पार्टी के समक्ष चुनौतियों का सामना करने और संगठन को मजबूत करने का संकल्प लिया। माकपा की 21वीं कांग्रेस के अंतिम दिन नई केंद्रीय समिति (सीसी) की बैठक में निवर्तमान महासचिव प्रकाश करात ने येचुरी का नाम प्रस्तावित किया और एस. रामचंद्रन पिल्लई ने इसका समर्थन किया।कुल 91 सदस्यों वाली केंद्रीय समिति ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। केंद्रीय समिति पार्टी की सर्वोच्च कार्यकारी निकाय है। महासचिव पद के दूसरे दावेदार पिल्लई द्वारा दावेदारी वापस लेने के बाद 62 वर्षीय येचुरी को पार्टी का नया महासचिव चुन लिया गया। पिल्लई ने यह कहकर दावेदारी वापस ली कि पार्टी ने सर्वसम्मति से अपना नेता चुनने की परंपरा को कायम रखा है।एक दशक तक पार्टी का नेतृत्व करने वाले करात ने बाद में छह दिवसीय सम्मेलन की समाप्ति पर मीडिया के समक्ष औपचारिक घोषणा कर इस बात की सूचना दी। 

येचुरी ने नई जिम्मेदारी को चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने इस दौरान 16 सदस्यीय पोलित ब्यूरो का गठन भी किया। वह 1992 से पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य थे। वह 50 वर्ष पुरानी पार्टी के पांचवे महासचिव हैं। येचुरी पर पार्टी को नया जीवन देने की जिम्मेदारी होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी इकाई अंक वाली पार्टी रह गई है। येचुरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं कांग्रेस में पार्टी, भारत और वाम एकता के भविष्य पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि पार्टी की ताकत उसके सामूहिक कामकाज में निहित है। 

नई रणनीतिक दिशा और सम्मेलन में पारित राजनीतिक प्रस्तावों का हवाला देते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी के लिए उन्हें लागू करना तब तक मुमकिन नहीं है जब तक कि खुद को संगठनात्मक रूप से मजबूत नहीं बना लिया जाता। 

येचुरी ने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए पार्टी 2015 की समाप्ति से पहले एक विस्तृत अधिवेशन बुलाएगी। उन्होंने कहा कि माकपा अकेली ऐसी पार्टी है जो लाखों कामकाजी लोगों के हितों की रक्षा कर सकती है। उन्होंने कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार की नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों और सांप्रदायिकता का विरोध करने के लिए अन्य वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ हाथ मिलाएंगे।उन्होंने कहा, "आज हमारी जो सरकार है न केवल एक सांप्रदायिक ताकत के नेतृत्व वाली सरकार है बल्कि एक ऐसी सरकार है जो कि आक्रामक तरीके से नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।"उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एक नई त्रिमूर्ति 'सांप्रदायिकता, नव-उदारवादी आर्थिक नीतियां और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का कटाव' खड़ी की है। हमें आवश्यक रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि इस सरकार द्वारा खड़ी की गई यह त्रिमूर्ति त्रिशूल में न बदले और भारत के हृदय को न चीरे।"येचुरी ने प्रतिनिधियों की तालियों के बीच कहा, "हमें इस पार्टी कांग्रेस से इस संकल्प और विश्वास के साथ लौटना होगा कि हम लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे।"

केंद्रीय समिति ने नए पोलित ब्यूरो सदस्यों का भी चयन किया है। पोलित ब्यूरो में शामिल चार नए सदस्यों में मोहम्मद सलीम, सुभाषिनी अली, हन्नान मुल्लाह और जी. रामकृष्णन शामिल हैं।बंृदा करात के बाद सुभाषिनी अली पोलित ब्यूरो की दूसरी महिला सदस्य हैं।माकपा के पोलित ब्यूरो में सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, बृंदा करात, एस. रामचंद्रन पिल्लई, बिमान बसु, माणिक सरकार, पिनाराई विजयन, बी. वी. राघवुलु, के. बालाकृष्णन, एम. ए. बेबी, एस. के. मिश्रा, ए. के. पद्मनाभन, मोहम्मद सलीम, सुभाषिनी अली, हन्नान मुल्लाह और जी. रामकृष्णन शामिल हैं।वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन, बुद्धदेव भट्टाचार्या और निरूपम सेन को पार्टी की इकाई से बाहर कर दिया गया है।केंद्रीय समिति में 91 सदस्यों के अलावा भी पांच विशेष आमंत्रित एवं पांच स्थाई सदस्य हैं।