5 Dariya News

संत जगत के कल्याण के लिए धारण करते हैं देह: हुजूर कंवर साहेब महाराज

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भिवानी 02-Mar-2015

इंसान जैसे कर्म करता है वैसा ही प्रारब्ध कमाता है। जो करनी करना समझ जाता है वो पांच तत्व के जाल से मुक्त हो जाता है। मां के गर्भ से जन्म बिंदु जन्म है और यह संतों की शरण में जाने का मौका बनाता है। जीव की मुक्ति की मार्ग उसका नादी जन्म बनाता है। नादी जन्म संत सतगुरु की शरणाई से मिलता है। यह अमूल्य सत्संग परमसंत हुजूर कंवर साहेब महाराज ने रोहतक रोड स्थित राधास्वामी आश्रम में साध संगत की विशाल हाजिरी में फरमाया। साध संगत हुजूर कंवर साहेब महाराज जी का 68वां अवतरण दिवस मना रही थी। सत्संग से पूर्व रक्तदान शिविर भी लगाया गया, जिसमें 200 यूनिट रक्तदान हुआ। 

गुरु महाराज जी ने फरमाया कि संतों के लिए जन्म मरण अहम नहीं है। वो तो इस जगत के कल्याण के लिए देह का धारण करते हैं। संतों के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलना ही उनके जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार है। दुनियादारी में रहते हुए हम एक विचार नहीं हो सकते इसलिए नित्य कर्म में जीव से मंदी बात हो जाती है। इन विचारों को एक सूत्र में बांधने का कार्य संत सतगुरु और सत्संग बनाता है। एक प्रसंग का जिक्र करते हुए हुजूर महाराज ने फरमाया कि एक करोड़पति धनवान व्यक्ति से एक महात्मा ने उसके धन, पुत्र और आयु के बारे में पूछा तो उसने धन को घटाकर बताया, पुत्रों की संख्या भी कम बताई और आयु केवल 12 ही वर्ष बताई। इस पर महात्मा ने कहा कि आप झूठ क्यों बोल रहे हैं? इस पर उसने करोड़पति ने कहा कि मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं। धन मेरा नहीं है, जो मेरे काम आता है वही मेरा है बाकी तो कूड़े कागज का ढेर ही है। पांच संतानों में पुत्र मेरा एक ही, जो मेरे कहे में चलता है और उम्र 12 केवल इसलिए है क्योंकि 12 वर्ष ही हुए हैं मुझे गुुरु की शरण लिए इसलिए बाकी उम्र तो मैंने व्यर्थ ही गंवा दी। 

गुरु महाराज ने फरमाया कि लाख बरस के जीने से भला तो केवल उस अल्पकाल का जीना भला है, जो प्रभु भक्ति में बीता है। लगन लगाओ तो चकोरे जैसी। शक्ति सती जैसी रखो और प्यास पपीहे जैसी होनी चाहिए। थोड़े से लालच में ही इंसान अपनी भक्ति को लूटा बैठता है। हक हलाल की कमाई नहीं खाओगे तो कर्जदार हो जाओगे। राधास्वामी मत की यही खूबी है कि यह सामाजिकता और आध्यात्मिकता दोनों में सामंज्सय बैठाता है। अपनी करनी में सच्चाई और ईमानदारी रखो। धीरज और धर्म को कभी मत त्यागो। माया और काल का जाल उसपर असर नहीं डालता है जिसने गुरु की टेक पकड़ ली। उन्होंने फरमाया कि संतों का जन्मदिन मनाते हो तो संकल्प लेकर जाओ कि मां-बाप बड़े बुजुर्गों की सेवा करोगे। जल और प्रकृति का संरक्षण करोगे। भू्रण हत्या जैसे पाप को रोकोगे। सत्स-अंहिता और धर्म के माग पर चलोगे। हुजूर महाराज ने हजारों संगत को नामदान भी बख्शा और संगत ने प्रसाद भी ग्रहण किया।