5 Dariya News

गत वर्ष की हिंसा को ना दोहराएं निरंकारी बाबा का नव-वर्ष संदेश

5 दरिया न्यूज

चंडीगढ़ 05-Jan-2015

आज जब हम नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, आईए शुभकामनाओं के साथ-साथ यह प्रार्थना भी करें कि इस नए वर्ष में सभी प्यार तथा मिलर्वतन की भावनाओं से युक्त हो कर एक दूसरे के हितैषी बनें। गए वर्ष में हमने कितनी निर्दयता, क्रूरता और हिंसा देखी है। अब प्रण करें कि एक-दूसरे के प्रति सहनशील बनें और मानवता के ऐसे हनन को रोकने के लिए प्रयत्न करें।  मनों में जो दूरीयाँ जाति, धर्म, रंग-नसल, संस्कृति और भाषा के नाम पर पैदा हो चुकी हैं, उन्हें कम किया जाए और मानव को मानव के निकट लाने का प्रयास किया जाए।मोहिन्द्र सिंह जी संयोजक चंडीगढ़ ने सन्त निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर 30 में बताया कि य वचन निंरकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अपने नव वर्ष के संदेश पर दिल्ली में व्यक्त किए। यह संदेश मिशन के वेबसाईट से प्रसारित किया गया।

मोहिन्द्र सिंह जी ने आगे बताया कि  बाबा जी ने कहा कि हम सभी एक ही मानव परिवार के सदस्य बनकर एक दुसरे के हितैषी बनकर जीवन के सफर को तय करें। किसी की आँख में आँसू का कारण ना बनें। हम इस कदर प्रेम भाव से युक्त होकर रहें ताकि इस नए वर्ष के अंत में ये कह सकें कि हमने वास्तव में इसे सुख और समृद्धि से भरा है।बाबा जी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि समय हर किसी के लिए सदा अनुकूल नहीं रहा।  गुरु-पीर-पैगम्बरों को भी कितने कष्ट सहने पड़े, बलिदान देने पड़े परन्तु वे सभी अपने जीवन काल में इस निराकार प्रभू परमात्मा के साथ जुड़े रहें और दूसरों को भी यही शिक्षा देते चलें गए।बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा कि जिन्होंने संतो महात्माओं की शिक्षाओं की परवाह नहीं की और सत्य से नाता नहीं जोड़ा और निंदा, नफरत, वैर, ईष्या तथा हिंसा जैसी भावनाओं से युक्त रहे, वही इस मानवता के लिए अभिशाप बनें, धरती को कलंकित किया। वे दुनियावी पदार्थों तथा धन-दौलतों के साथ जुड़े रहे जो केवल मानव को स्वार्थी और तंग दिल ही बनाते हैं, दूरियाँ पैदा करते हैं। संतों ने इसका एक ही हल बताया है, सत्य का बोध प्राप्त करना, परमात्मा के साथ नाता जोडऩा। 

बाबा जी ने अपने माता जी - निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी को याद करते हुए कहा कि जब भी नव वर्ष का आगमन होता था हम राजमाता जी का जन्मदिन भी मनाते थे और वेा हमें भरपूर आशीर्वाद भी देते थे। परंतु आज पहली बार शारीरिक रूप में उनकी कमी महसूस हो रही है। लेकिन उनका जीवन, उनकी शिक्षाएँ, ये हमेशा ही हमारे लिए प्रेरणा का कारण बनी रही और आने वाले समय में भी हम ऐसी ही प्रेरणा लेते रहेंगे। उनकी नम्रता, उनका प्यार, दया का भाव, इस निराकार प्रभु परमात्मा में अटूट विश्वास ये सभी गुण हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे और हम इन गुणों को अपने जीवन में अपनाते चले जाऐंगे और जैसे उन्होंने इस मिशन को जी कर हमें शिक्षा दी, हम भी उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चलते हुए मिशन के संदेश को आगे से आगे बढ़ाते चले जायेंगे।