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भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव से किसानों को नुकसान, कारपोरेट को फायदा - किरण चौधरी

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चंडीगढ़ 31-Dec-2014

भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में लाया गया अध्यादेश किसान विरोधी, अनुचित और कारपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने वाला हैं। पिछली यूपीए सरकार ने किसानों के हितों में व्यापक व बहुत ही बढिय़ा कानून को बनाया था लेकिन एनडीए सरकार ने इसे कमजोर करते हुए उसे कुछ ही लोगों को फायदा पहुंचाने तक सीमित कर दिया है।यह बात हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने यहां जारी एक बयान में कही। उन्होंने एनडीए सरकार की इस बात को लेकर भी आलोचना की है कि उसने संसदीय प्रक्रिया को छोड़कर अध्यादेश को जारी करने का रास्ता अपनाया। उन्होंने सवाल किया कि इस अध्यादेश को लागू करने के पीछे इतनी जल्दबाजी क्यों की गई ? क्या सिर्फ इसलिए कि एनडीए सरकार इस बात को लेकर डर रही है कि यह बदलाव कानूनी जांच पड़ताल में टिक नहीं पाएंगे ?  

उन्होंने कहा कि इस बदलाव ने जबर्दस्ती व  जरूरत से ज्यादा जमीन के अधिग्रहण का रास्ता खोलने के साथ ही किसानों की जमीन को किसी और काम के लिए लेने का रास्ता भी खोल दिया है।चौधरी ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून में सहमति की शर्त को हटाने से जमीन की अधिग्रहण न सिर्फ आसान हो गया है बल्कि  पीपीपी मोड में किसान को उसकी जमीन को छोडऩा भी जरूरी कर दिया गया है। पूर्व आबकारी व कराधान मंत्री ने कहा कि यह न सिर्फ अनुचित है बल्कि किसान विरोधी और  किसानों के लिए जले पर नमक छिड़कने की तरह से है जो कि  पहले से ही त्रस्त हैं। वास्तव में यह किसानों पर दोहरी मार है जिन्हें केंद्र सरकार पहले ही  स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं करके छल चुकी है। 

उन्होंने कहा कि कृषि बहुल्य राज्य जैसे हरियाणा में कमजोर कानून से किसानों को झटका लगा है जो कि अब पूरी तरह से भाजपा सरकार की दया  पर निर्भर रह गए हैं। सरकार अब जब भी चाहे पीपीपी मोड के नाम पर अपने खासम खास के लिए कभी जमीन का अधिग्रहण कर सकती है और किसानों को सिर्फ नाममात्र के मुआवजे की राशि से अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ सकता है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्या यह सरकार की तरफ से किसानों के लिए नए साल का तोहफा है।