5 Dariya News

ईश्वर बोध से ही मानवता होगी स्थापित-निरंकारी बाबा

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चंडीगढ़ 20-Nov-2014

संत निरंकारी मंडल चंडीगढ ब्रांच के संयोजक श्री मोहिन्द्र सिंह जी ने बताया कि ३-दिवसीय वार्षिक निरंकारी संत समागम समापन कर चंडीगढ़ लोटे श्रद्धालु  आगे श्री सिंह ने बताया कि निरंकारी बाबा हरदेव सिंह  जी महाराज ने ३-दिवसीय वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि आज मानव ईर्ष्या, वैर, घृणा की आग में तप रहा है । वहशीपन और नफ़रत के वातावरण से आदमी घुटन महसूस कर रहा है । संत ही इन्सान को  ईश्वर बोध के द्वारा शीतलता प्रदान कर घुटनमय वातावरण से मुक्त कर सकते हैं ।बाबा जी ने कहा कि पिछले तीन दिनों से जिस प्रकार आनन्दमयी वातावरण का सुन्दर रूप यहां बना हुआ है वर्णन नहीं किया जा सकता । गीत, कविता, व्याख्यानों के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में पीर-पैगम्बरों की शिक्षाओं एवं सन्देशों को मानव समाज तक पहुँचाने का प्रयास किया गया जिससे विश्व भर में इस प्रकार का सुखद वातावरण स्थापित हो सके । 

बाबा जी ने कहा कि भगवान राम, भगवान कृष्ण, हज़रत मोहम्मद, ईसा मसीह व गुरु नानक देव जी महाराज ने प्रेमपूर्वक जीने का सलीका मानव समाज को दिया । मानवता का दामन मजबूती से पकड़ने के लिए कहा अर्थात् व्यक्ति धर्म के रास्ते पर चल सके जिससे विश्व में मानवता का धर्म स्थापित हो सके । बाबा जी ने कहा कि मानव धार्मिक अनुष्ठानों, रीती-रिवाजों एवं कर्मकाण्डों को ही धर्म मान बैठा है । यदि मानव धर्म के सही रूप को अपना लें तो उसके जीवन में बदलाव  एक क्रांति की भांति घटित हो सकता है और चारों ओर प्रेममयी वातावरण स्थापित हो सकता है ।  मनुष्य के भाग्य की विडंबना है कि इन्सान पीड़ा व घुटन में जी रहा है । उसे मूल्यवान सासों की कदर करनी होगी । पीर-पैगम्बरों के सन्देशों को पढ़ने व सुनने तक ही सीमित न रह जाए अपितु उन भावों से युक्त होकर स्वयं भी संभले और दूसरों को भी संभाले । दूसरों के आंसू पोंछे, गिरते को उठाये, भाईचारे व सद्भाव का साधन बन कर सुन्दर वातावरण बनाये । 

दूसरों को उज़ाड़ कर बसना बसना नहीं होता । वह महल महल नहीं होता अपितु खंडर होता है । दूसरों का छीन कर किया गया उजाला, उजाला नहीं होता । इसी प्रकार जीवन में प्यार, नम्रता व सहनशीलता नहीं होती तो वह जीवन भी जीवन नहीं होता । प्रेमविहीन जीवन मृतक के समान होता है और कंगालता का प्रतीक है । मानव को जब ईश्वर बोध हो जाता है तो नफ़रत प्यार में, संकीर्णता विशालता में बदल जाती है । सहनशीलता, विनम्रता का जीवन में समावेश हो जाता है । नाम की दौलत से मानव मालामाल हो जाता है । बाबा जी ने कहा कि ईश्वर की असीम कृपा से एक दिन में हम हजारों सासें लेते हैं जिसकी हम कद्र नहीं कर पातें न ईश्वर के प्रति कोई कृतज्ञता का भाव रखते हैं । जो सासें ईश्वर के अहसास में गुजरती हैं वे सासें ही मूल्यवान होती हैं । इस प्रकार से मानव प्रेममयी जीवन व्यतीत करने लगता है । 

मंगलवार प्रात: सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज एवं उनकी धर्म पत्नी पूज्य माता सविन्दर जी ने समागम स्थल पर रिहायशी शामियानों में जाकर श्रद्धालु भक्तों को दिव्य दर्शन दिए जिससे भक्तजन भावविभोर हो उठे, अपने पारंपरिक लोकनृत्य एवं लोकगीतों द्वारा अपनी खुशी का इजहार करने लगे जिसने एक रंगारंग शोभा यात्रा का रूप धारण कर लिया । अनेकता में एकता का यह सुंदर एवं अनुपम दृश्य नज़र आ रहा था । सद्गुरुदेव भी उनकी खुशियों में सम्मिलित हो गए जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि भक्त और भगवान के बीच का अंतर समाप्त हो गया है । रिहायशी शामियानों के बीच चार घंटे यह दिव्य जोड़ी अपने दिव्य दर्शन देकर आशीर्वाद प्रदान करती रही ।