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घरौण्डा मे नहीं रुकते एक्सप्रेस के पहिये,यात्रीयों की संख्या हजारों मे

5 दरिया न्यूज (प्रशांत प्रवीण कौशिक )

घरौण्डा 15-Jul-2013

आजादी के 63 वर्ष बाद भी घरौण्डा कस्बा रेल विभाग की ओर से उपेक्षा झेल रहा है। इस क्षेत्र का सबसे पुराना स्टेशन होने के बावजूद यहां प्लेटफार्म को ऊंचा उठाने का प्रयास नहीं किया गया। एक्सप्रेस गाड़ियों के ठहराव की मांग पुरानी है। मात्र दो एक्सप्रेस गाड़ी यहां रुकती है। इससे स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है। दिल्ली-अंबाला रेलवे ट्रैक पर घरौण्डा स्टेशन का निर्माण 1950 में हुआ था। समय बीतने के साथ आसपास बने लगभग सभी रेलवे स्टेशनों की कायापलट हो गई। प्लेटफार्म ऊंचे किए गए, बल्कि एक्सप्रेस व सुपर फास्ट गाड़ियों का ठहराव हुआ। विडंबना है कि घरौण्डा स्टेशन पर दादर एक्सप्रेस व झेलम  के अलावा कोई एक्सप्रेस गाड़ी नहीं रुकती। क्षेत्रवासी कई गाड़ियों के ठहराव की मांग समय अनुसार करते रहे, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल सका।

हजारों यात्री करते है यात्रा

जब कभी बस की सुविधा ना के बराबर थी, तब यहां सरकार की ओर से रेलवे स्टेशन बनाया गया था। उस समय यहां जो ट्रेन रुकती थी, आज भी उतनी गाड़ी यहां रुकती हैं। कस्बे से प्रतिदिन हजारों यात्री ट्रेन से यात्रा करते हैं। लोगों को दूरदराज की यात्रा के लिए एक्सप्रेस गाड़ी पकड़ने के लिए पानीपत व  करनाल, रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ता है।

रेल मंत्री को लिखा था पत्र

समाज कल्याण कल्ब व परमार्थ सेवा सदन के सदस्य अपनी मांग को लेकर विभाग को पत्र भेज चुके हैं। सामाजिक संस्थाओं ने पूर्व रेल मंत्रीयों  को पत्र लिख एक्सप्रेस गाड़ियों के ठहराव की मांग की थी। हर बार कस्बावासियों की मांग को अनसुना कर दिया। यात्रियों का कहना है कि रेलवे की समय सारिणी भी सही नहीं। जिस दादर एक्सप्रेस व झेलम का ठहराव घरौण्डा स्टेशन पर है उसमें सामान्य श्रेणी के यात्रियों के लिए केवल ढाई बोगी ही रखी गई हैं। इसके अलावा दिल्ली व अंबाला की ओर जाने वाली गाड़ियों की संख्या कम होने से यात्रियों को बस का सहारा लेना पड़ता है। लोगों ने स्टेशन पर एक्सप्रेस गाड़ियों के ठहराव की मांग की है।