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फिल्म समीक्षा – देसी कट्टे

दोस्ती की दास्तान के साथ सोशल मैसेज

5 दरिया न्यूज( चन्द्रकांत शर्मा )

26-Sep-2014

फिल्म समीक्षा – देसी कट्टे

दोस्ती की दास्तान के साथ सोशल मैसेज

 

 

( चन्द्रकांत शर्मा )

कलाकार: अखिल कपूर, जय भानुशाली, टीया बाजपेयी, साशा आगा, सुनील शेट्टी, आशुतोष राणा

निर्माता—निर्देशक : आनंद कुमार

संगीत: कैलाश खेर

कहानी : आर्यन सक्सेना

'देसी कट्टे' सच्ची दोस्ती पर आधारित फिल्म है, जिसमें एक सोशल मैसेज भी दिया गया है कि अगर आप में कोई हुनर है तो आप उसे कहीं पर भी साबित कर सकते हैं। चाहे वो अच्छाई के लिए हो या फिर बुराई के लिए। फिल्म की कहानी ही इसकी सबसे बड़ी यूएसपी है। इसके लिए स्क्रिप्ट राइटर आर्यन सक्सेना की तारीफ करनी होगी। डायरेक्टर आनंद कुमार की बतौर प्रोड्यूसर यह पहली फिल्म है और इसके लिए उनकी सराहना करनी होगी कि उन्होंने फिल्म को शुरू से आखिरी तक बांधे रखा है। इस फिल्म से सिंगर कैलाश खेर ने भी म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में कदम रखा है। फिल्म का म्यूजिक कर्णप्रिय है तथा सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है।

कहानी : फिल्म 'देसी कट्टे' दो दोस्तों पाली (अखिल कपूर) व ज्ञानी (जय भानुशाली) की कहानी है। दोनों ही देसी कट्टे बनाने वाली गैर कानूनी ​फैक्टरी में काम करते हैं और कट्टे बनाते—बनाते ही बढ़े हो जाते हैं। पाली सख्त मिजाज किस्म का है तो वहीं ज्ञानी नाम के अनुरूप ही शांत व ज्ञानी भी है। दोनों दोस्त अपराध जगत में राज करना चाहते हैं और आहिस्ता—आहिस्ता वो अपने ट्रेक पर आगे बढ़ भी रहे होते हैं। इसी बीच दूसरे गैंग से एक भिडंत के दौरान इनके निशानेबाजी का जौहर कर्नल (सुनील शेट्टी) देख लेता है। कर्नल को लगता है कि अगर इन दोनों पर मेहनत की जाए तो ये देश के लिए राइफल शूटिंग प्रतियोगिता में गोल्ड लेकर आ सकते हैं। वो इन दोनों से बात करता है तथा इन्हें कोचिंग देना भी शुरू कर देता है। परन्तु अपराध जगत के माफिया (आशुतोष राणा), जिन्हें लोग जज साहब के नाम से भी जानते हैं, वो इन दोनों को अपने गैंग में शामिल करने की पेशकश रखता है। कहानी में नया मोड़ तब आता है जब पाली तो जज साहब का दामन थाम लेता है और ज्ञानी कर्नल का। अब देखना यह है कि क्या पाली अपराध जगत में राज कर पाता है और ज्ञानी देश के लिए गोल्ड ला पाता है? यह तो आपको पाली व ज्ञानी ही बता सकते हैं और इसके लिए आपको सिनेमा का रूख करना होगा।

अभिनय : अखिल कपूर जोकि फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना के भांजे भी है, उनकी यह पहली फिल्म है। अखिल ने पाली का किरदार बखूबी निभाया है। उनके अभिनय को देखकर लगता नहीं कि यह उनकी पहली फिल्म है। अखिल अभिनय में थोड़ी सी और मेहनत करते है तो वो इण्डस्ट्री में लम्बी रेस का घोड़ा बन सकते हैं। जय भानुशाली ने भी अपना किरदार शत प्रतिशत निभाया है। आशुतोष राणा पूरी फिल्म में सब पर भारी पड़े है। उनके अभिनय की तारीफ करनी होगी। सुनील शेट्टी ने भी कर्नल के किरदार में जीवंत अभिनय किया है। साशा आगा व टीया बाजपेयी को अभिनय में कड़ी मेहनत की आवश्यकता है। छोटे बच्चों का काम भी सराहनीय है।

डायरेक्शन : डायरेक्टर आनंद कुमार ने सभी कलाकारों से बखूबी काम लिया है तथा बेहतरीन डायरेक्शन किया है।

संगीत : कैलाश खेर का म्यूजिक कर्णप्रिय है। 'तक धूम—तक धूम' व आइटम सांग 'पटने वाली हूं' श्रोताओं की जुबां पर पहले से ही चढ़े हुए हैं।

निष्कर्ष: सच्ची दोस्ती पर आधारित यह फिल्म एक सोशल मैसेज भी देती है। शुरू से आखिरी तक बांधे रखने वाली ​यह फिल्म इस सप्ताह आप नि:संकोच देखने जा सकते हैं। यकीन मानिए, थिएटर से बाहर निकलते हुए आप 'तक धूम—तक धूम' गुनगुनाते हुए निकलेंगे।