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बगलामुखी जयन्ती मेले पर बनखण्डी में असंख्य श्रद्घालुओं ने शीश नवाया

पांडवों ने एक रात में बनाया था बगलामुखी मंदिर-मंहत देवी गिरि

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

ज्वालामुखी 19-May-2013

माता बगलामुखी जयंती के उपलक्ष्य पर कांगड़ा जिला के  रानीताल-ऊना-चण्डीगढ़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर देहरा के समीप बनखण्डी में स्थित माता बगलामुखी मन्दिर में मेले का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से हजारों की तादाद में आए श्रद्वालुओं ने मंदिर में शीश नवाया एवं माता का आर्शीवाद प्राप्त किया।मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, मंहत देवी गिरि ने बताया कि इस मन्दिर की स्थापना द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक रात में की गई थी जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्घ में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी और कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्घा का केंद्र बना हुआ है तथा वर्षभर असंख्य श्रद्घालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिन्तपुर्णी, नगरकोट इत्यादि दर्शन के लिए आते हैं, वह सभी श्रद्घालु इस मंदिर में भी आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है जहां पर लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। 

मंहत गिरि ने बताया कि मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्घालुओं के लिए व्यापक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था तथा हवन इत्यादि करवाने की विशेष प्रबंध किया गया है।पंडित दिनेश रत्न ने बताया कि माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वां स्थान है तथा इस देवी की अराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिये की जाती है। धार्मिक गं्रथों के अनुसार माता बगलामुखी की अराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी। इसके उपरान्त भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की अराधना करके अनेक युद्घों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी। 

श्री दिनेश ने बताया कि दोर्णाचार्य, रावण, मेघनाथ इत्यादि सभी महायोद्घाओं द्वारा माता बगलामुखी की अराधना करके अनेक युद्घ लड़े गये। उन्होंने बताया कि नगरकोट के महाराजा संसार चन्द कटोच भी प्राय: इस मन्दिर में आकर माता बगलामुखी की अराधना किया करते थे, जिसके आर्शीवाद से उन्होंने कई युद्घों में विजय पाई थी और तभी से इस मन्दिर में श्रद्घालुओं का अपने कष्टों के निवारण के लिये निरन्तर आना आरम्भ हुआ और श्रद्घालु नव ग्रह शांति, ऋद्घि-सिद्घि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं। 

उन्होंने बताया कि माता बगलामुखी के सम्पूर्ण भारत में केवल दो सिद्घ शक्तिपीठ विद्यमान हैं, जिसमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में तथा दूसरा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बनखण्डी में स्थित  है। यहां पर लोग अपने कष्टों के निवारण के लिये हवन एवं पूजा करवाते हैं और लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती। केवल सच्ची श्रद्घा एवं सद्विचार की आवश्यकता है।